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Rajasthan Election 2023 : पीएम मोदी के राजस्थान दौरों का सियासी पैगाम, क्या भाजपा के लिए मुश्किल हो रहा सियासी रण?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 6:38 PM IST

Rajasthan Assembly Elections 2023, राजस्थान के सियासी रण में सीएम गहलोत को पटखनी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान खुद अपने हाथों में ले ली है. जिसकी बानगी उनके दौरों के रूप में सब के सामने है, लेकिन राज्य के सियासी जानकार कुछ और ही बयां कर रहे हैं.

Rajasthan Election 2023
Rajasthan Election 2023
वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. इस बार पीएम भी पूरी तरह से राज्य पर फोकस बनाए हैं, जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म भी है. मसलन पीएम मोदी का बीते दो हफ्ते में तीन बार राजस्थान आना और तीन संभागों में जनसभाओं को संबोधित करना इसमें शामिल है. सवाल यह हो रहा है कि बार-बार मोदी राजस्थान आकर क्या पैगाम दे रहे हैं, क्या मोदी के इलेक्शन मैनेजमेंट टीम को अब यह लग रहा है कि आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए हालात मुश्किल है? चर्चा इस बात की भी है कि राजस्थान का यह सियासी रण अब मोदी बनाम गहलोत हो चुका है. वहीं, जयपुर के बाद चित्तौड़गढ़ और जोधपुर की जनसभा में भी कुछ ऐसे ही संकेत देखने मिले हैं.

10 दिन में तीन दौरों का संदेश - पीएम मोदी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जयपुर के नजदीक परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन पर बीते 25 सितंबर को एक जनसभा को संबोधित किए थे. उसके बाद मोदी 2 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलियाजी में सभा को संबोधित किए और आज (गुरुवार को) जोधपुर में जनसभा कर पीएम ने खास सियासी संदेश देने की कोशिश की. यह तमाम सूरत-ए-हाल बयान कर रहे हैं कि आने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनावी फोकस का मसला हो सकता है. पीएम मोदी अपने इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं. पहले सर्वे और फिर रिपोर्ट के आधार पर फैसले लेने के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अगर राज्य की जगह केंद्रीय नेतृत्व को बागडोर सौंपकर प्रदेश के चुनाव का नतीजा तय करने का सोच रहे हैं तो इसके मायने कई तरह से खास हो सकते हैं.

Rajasthan Election 2023
पीएम मोदी के सियासी दौरे

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यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के महंगाई राहत की मुहिम के सामने हर जगह मोदी ही मुकाबला करते नजर आ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि चुनावी साल में प्रमुख पार्टियों का फोकस राजस्थान पर है. साथ ही भाजपा के आलाकमान को राजस्थान के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. इसलिए खुद मोदी कमान संभाले हुए हैं. शर्मा ने बताया कि मोदी ने अभी तक अपने दौरे पर राज्य के किसी नेता को चेहरे के रूप में तवज्जो नहीं दी है. जबकि गारंटी के नाम पर मोदी खुद को ही आगे रख रहे हैं और उन्हें लोकल लीडरशिप पर भरोसा नहीं है.

मोदी के निशाने पर सीएम गहलोत - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में जनता के लिए योजनाओं का पिटारा खोलकर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है. यही वजह है कि महंगाई के खिलाफ कांग्रेस सरकार के कैंपेन का मुकाबला करने के लिए मोदी अपनी हर सभा में राज्य की कानून व्यवस्था, तुष्टिकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार के साथ-साथ कुर्सी की लड़ाई का जिक्र करते हैं. मोदी अपने भाषणों में गहलोत को जिस तरह से निशाने पर ले रहे हैं और यहां भी गहलोत मोदी को लेकर ही बात करते हैं. इससे जाहिर है कि अब यह लड़ाई गहलोत बनाम मोदी की होकर रह गई है. गहलोत कांग्रेस की जगह गहलोत सरकार की बात करते हैं और मोदी जवाब में कांग्रेस की जगह गहलोत को ही निशाने पर रख रहे हैं. मौजूदा स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि मोदी बार-बार राजस्थान आकर जो सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें भाजपा के लिए कमल का निशान और मोदी का नेतृत्व जरूरी समझा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें - Ramesh Bidhuri On Gehlot : सीएम करते रहे विधायकों की गुलामी, पायलट पर भी कही ये बड़ी बात

शाह और नड्डा ने भी संभाला मोर्चा - ऐसा नहीं है कि अकेले मोदी ही राजस्थान के रण का मुकाबला संभाल रहे हैं. मोदी के विश्वस्त केंद्रीय मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे हैं. माना जा रहा है कि शाह और नड्डा को भी राजस्थान में मोदी के इशारे पर दौरे करने पड़े हैं. इसके पीछे भाजपा की रणनीति और स्थानीय नेतृत्व की कमजोरी को ही बड़ा कारण समझा जा रहा है.

राहुल के मुकाबले में मोदी के दौरे ज्यादा - भाजपा और कांग्रेस के चुनावी मुकाबले पर अगर गौर किया जाए तो राहुल गांधी ने इस साल राजस्थान में दो चुनावी सभाएं की हैं, जिसमें अगस्त में मानगढ़ धाम और पीएम के दौरे से पहले सितंबर में जयपुर में राहुल गांधी के कार्यक्रम रहे. राहुल के अलावा टोंक के निवाई में प्रियंका गांधी वाड्रा की जनसभा और भीलवाड़ा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का दौरा शामिल है. इसके मुकाबले में बीते एक साल के आंकड़ों में पीएम मोदी के राजस्थान दौरों पर गौर किया जाए तो मोदी अब तक 11 बार राजस्थान आ चुके हैं. पीएम के लगातार दौरे इस बात का इशारा करते हैं कि राजस्थान की सियासी जमीन में कमल खिलाने के लिए मुफीद माहौल नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. इस बार पीएम भी पूरी तरह से राज्य पर फोकस बनाए हैं, जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म भी है. मसलन पीएम मोदी का बीते दो हफ्ते में तीन बार राजस्थान आना और तीन संभागों में जनसभाओं को संबोधित करना इसमें शामिल है. सवाल यह हो रहा है कि बार-बार मोदी राजस्थान आकर क्या पैगाम दे रहे हैं, क्या मोदी के इलेक्शन मैनेजमेंट टीम को अब यह लग रहा है कि आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए हालात मुश्किल है? चर्चा इस बात की भी है कि राजस्थान का यह सियासी रण अब मोदी बनाम गहलोत हो चुका है. वहीं, जयपुर के बाद चित्तौड़गढ़ और जोधपुर की जनसभा में भी कुछ ऐसे ही संकेत देखने मिले हैं.

10 दिन में तीन दौरों का संदेश - पीएम मोदी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जयपुर के नजदीक परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन पर बीते 25 सितंबर को एक जनसभा को संबोधित किए थे. उसके बाद मोदी 2 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलियाजी में सभा को संबोधित किए और आज (गुरुवार को) जोधपुर में जनसभा कर पीएम ने खास सियासी संदेश देने की कोशिश की. यह तमाम सूरत-ए-हाल बयान कर रहे हैं कि आने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनावी फोकस का मसला हो सकता है. पीएम मोदी अपने इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं. पहले सर्वे और फिर रिपोर्ट के आधार पर फैसले लेने के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अगर राज्य की जगह केंद्रीय नेतृत्व को बागडोर सौंपकर प्रदेश के चुनाव का नतीजा तय करने का सोच रहे हैं तो इसके मायने कई तरह से खास हो सकते हैं.

Rajasthan Election 2023
पीएम मोदी के सियासी दौरे

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यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के महंगाई राहत की मुहिम के सामने हर जगह मोदी ही मुकाबला करते नजर आ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि चुनावी साल में प्रमुख पार्टियों का फोकस राजस्थान पर है. साथ ही भाजपा के आलाकमान को राजस्थान के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. इसलिए खुद मोदी कमान संभाले हुए हैं. शर्मा ने बताया कि मोदी ने अभी तक अपने दौरे पर राज्य के किसी नेता को चेहरे के रूप में तवज्जो नहीं दी है. जबकि गारंटी के नाम पर मोदी खुद को ही आगे रख रहे हैं और उन्हें लोकल लीडरशिप पर भरोसा नहीं है.

मोदी के निशाने पर सीएम गहलोत - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में जनता के लिए योजनाओं का पिटारा खोलकर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है. यही वजह है कि महंगाई के खिलाफ कांग्रेस सरकार के कैंपेन का मुकाबला करने के लिए मोदी अपनी हर सभा में राज्य की कानून व्यवस्था, तुष्टिकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार के साथ-साथ कुर्सी की लड़ाई का जिक्र करते हैं. मोदी अपने भाषणों में गहलोत को जिस तरह से निशाने पर ले रहे हैं और यहां भी गहलोत मोदी को लेकर ही बात करते हैं. इससे जाहिर है कि अब यह लड़ाई गहलोत बनाम मोदी की होकर रह गई है. गहलोत कांग्रेस की जगह गहलोत सरकार की बात करते हैं और मोदी जवाब में कांग्रेस की जगह गहलोत को ही निशाने पर रख रहे हैं. मौजूदा स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि मोदी बार-बार राजस्थान आकर जो सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें भाजपा के लिए कमल का निशान और मोदी का नेतृत्व जरूरी समझा जा रहा है.

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शाह और नड्डा ने भी संभाला मोर्चा - ऐसा नहीं है कि अकेले मोदी ही राजस्थान के रण का मुकाबला संभाल रहे हैं. मोदी के विश्वस्त केंद्रीय मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे हैं. माना जा रहा है कि शाह और नड्डा को भी राजस्थान में मोदी के इशारे पर दौरे करने पड़े हैं. इसके पीछे भाजपा की रणनीति और स्थानीय नेतृत्व की कमजोरी को ही बड़ा कारण समझा जा रहा है.

राहुल के मुकाबले में मोदी के दौरे ज्यादा - भाजपा और कांग्रेस के चुनावी मुकाबले पर अगर गौर किया जाए तो राहुल गांधी ने इस साल राजस्थान में दो चुनावी सभाएं की हैं, जिसमें अगस्त में मानगढ़ धाम और पीएम के दौरे से पहले सितंबर में जयपुर में राहुल गांधी के कार्यक्रम रहे. राहुल के अलावा टोंक के निवाई में प्रियंका गांधी वाड्रा की जनसभा और भीलवाड़ा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का दौरा शामिल है. इसके मुकाबले में बीते एक साल के आंकड़ों में पीएम मोदी के राजस्थान दौरों पर गौर किया जाए तो मोदी अब तक 11 बार राजस्थान आ चुके हैं. पीएम के लगातार दौरे इस बात का इशारा करते हैं कि राजस्थान की सियासी जमीन में कमल खिलाने के लिए मुफीद माहौल नहीं है.

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