सिवान: बिहार के सिवान रेलवे स्टेशन पर उस समय हड़कंप मच गया, जब जांच के दौरान ट्रेन से विस्फोटक पदार्थ बरामद हुआ. दरअसल, ग्वालियर से चलकर बरौनी जाने वाली ग्वालियर-बरौनी एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या-11123) बुधवार रात जैसे ही सिवान रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची, सिवान जीआरपी की टीम शराब जांच के सिलसिले में हर डिब्बे की तलाशी लेने लगी, तभी उन्हें लावारिस अवस्था में प्लास्टिक का बोरा बाथरूम से सटे हुए रखा हुआ मिला. चेकिंग कर रहे ड्यूटी पर तैनात जीआरपी कांस्टेबल साबिर मियां ने बोरा उठाकर जीआरपी थाने लाकर किसी चीज से टांग दिया.
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ट्रेन में बम बनाने वाला 20 किलो बारूद बरामद: पूरी टीम दिन भर अपना काम करती रही. 3- 4 घंटे के बाद अचानक जीआरपी थाना अध्यक्ष सुधीर कुमार की उस पर नजर पड़ी तो उन्होंने अपने स्तर से बारीकी समझने की कोशिश तो उनको एहसास हुआ कि वह विस्फोटक पदार्थ यानी बम जैसा लग रहा है. उसके बाद इसकी सूचना आनन-फानन में रेल एडीजी को दी गई. रेलवे एडीजी ने तुरंत बम निरोधक दस्ता की टीम और सिवान बम निरोधक दस्ता की 5 सदस्य टीम को रवाना कर दिया. बाद में दो बाल्टी में पानी में रखकर विस्फोटक पदार्थ यानी बम को डिफ्यूज कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
विस्फोटक सामग्री क्या थी और उसकी क्षमता क्या थी?: बम निरोधक दस्ता की टीम में शामिल सब इंस्पेक्टर प्रसन्नजीत ने बताया कि लगभग 20 किलो बारूद बरामद हुआ है. उन्होंने बताया कि इन विस्फोटकों से घातक बम बनाया जा सकता है. उसके साथ कुछ मिट्टी और स्टील के छोटे-छोटे प्लेट भी बरामद हुए हैं. जिसकी थोड़ी सी हम लोगों ने जलाकर इसकी क्वालिटी चेक की दो बम की शक्ल में विस्फोट हुए. हालांकि बम निरोधक दस्ता की स्पेशल टीम में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत सब इंस्पेक्टर प्रसन्नजीत भावमिक ने इस बारे में कुछ भी कैमरे के सामने बताने से इनकार कर दिया.
थाने के अंदर तीन घंटे तक बैग क्यों लटका रहा?: ट्रेन के अंदर विस्फोटक मिलना और फिर यूं ही थाने के अंदर 3 से 4 घंटे तक पड़े रहना जाहिर तौर पर चिंता का विषय तो है ही, उससे भी अधिक लापरवाही का मामला है. जरा सोचिये कि अगर यह अधिक घातक होता और इस 3-4 घंटे के दौरान धमाका हो जाता तो क्या होगा? इसके लिए जिम्मेदार कौन होता? रेलवे पुलिस को इतना भी ट्रेंड नहीं किया जाता कि वह मामले की गंभीरता को समझ पाएं और विस्फोटक चीजों की पहचान कर सकें.
क्या कहना है रेल अधिकारियों का?: इस बारे में अभी तक रेल अधिकारियों कुछ भी स्पष्ट तौर पर बताने से बच रहे हैं. जीआरपी थाना अध्यक्ष सुधीर कुमार ने कहा कि ग्वालियर-बरौनी ट्रेन में जांच के दौरान जीआरपी कांस्टेबल साबिर मियां को बाथरूम के पास लावारिस अवस्था में प्लास्टिक का बोरा मिला था. जिसके बाद वह उसे उठाकर जीआरपी थाने ले आए. तीन से चार घंटे तक जीआरपी थाने में रखा रहा.
"जीआरपी ने सिवान में ग्वालियर एक्सप्रेस के जनरल बोगी के शौचालय के पास रखा एक लावारिस बोरे में करीब 300 से 400 ग्राम एक्सप्लोसिव और 26 किलो चारकोल का पाउडर बरामद किया है. सभी पहलुओं पर जांच पड़ताल की जा रही है. एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद यह क्लियर होगा कि एक्सप्लोसिव कैसा था, कैसा नहीं. एहतियातन क्षेत्राधिकार के सभी रेल थानों में यह निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र में जिस तरह से लगातार सर्चिंग चल रहा है, उसे और बढ़ाया जाए. आने-जाने वाले सभी लोगों का भी औचक जांच की जाए. इस दौरान यात्रियों की सुविधाओं का भी ख्याल रखने के लिए निर्देशित किया गया है"- डॉ कुमार आशीष, रेल एसपी, मुजफ्फरपुर
ट्रेन में विस्फोटक कहां से आया?: सबसे बड़ा सवाल ये है कि ट्रेन में विस्फोटक आया कहां से और इसका क्या मकसद था? इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है. अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि विस्फोटक जब ट्रेन में मिला है तो किसी न किसी स्टेशन पर ही उसे ट्रेन में रखा गया है. ऐसें में महत्वपूर्ण प्रश्न ये भी है कि ग्वालियर से लेकर सिवान तक के बीच के तमाम स्टेशनों पर क्यों नहीं जांच की गई? अगर जांच की गई तो फिर बारूद से भरा बोरा को कैसे नहीं पकड़ा गया. ये महज लापरवाही का मामला है या इसमें रेलवे के अधिकारी, सुरक्षाकर्मी और अन्य कर्मचारी की तो मिलीभगत नहीं है. ऐसे तमाम सवालों के जवाब का इंतजार है.