नई दिल्ली : राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन की भारत यात्रा India-Russia के बीच अच्छे संबंधों की पुष्टि करती है. पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी (Former Diplomat G Parthasarathy) ने 6 दिसंबर को होने वाली पुतिन की नई दिल्ली यात्रा से पहले यह बात कही है.
पार्थसारथी ने कहा कि रक्षा उन मुद्दों में से एक होगा जिस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. कहा कि रूस के साथ विचारों का आदान-प्रदान कई दशकों से बहुत अच्छे संबंधों की एक स्वाभाविक निरंतरता है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसंबर को भारत और रूस के बीच 21वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली आने वाले हैं. यह शिखर सम्मेलन आखिरी बार 2019 में आयोजित किया गया था.
इस बीच जैसा कि पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने बताया कि मॉस्को से एस-400 मिसाइलों की खरीद पर बातचीत को प्रमुखता मिलेगी. यह शिखर सम्मेलन S-400 वायु रक्षा प्रणाली के पहले बैच की डिलीवरी के साथ होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि भारत और रूस ने 2018 में एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए 5.43 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.
S-400 प्रणाली के पहले बैच की संभावित डिलीवरी पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजनयिक पार्थसारथी ने कहा कि अमेरिकियों को इस पर आपत्ति हो सकती है लेकिन अंततः इसे सुलझा लिया जाएगा. यह एक ऐसा कानून है जो अमेरिका को तुर्की के साथ-साथ भारत के साथ भी परेशानी दे रहा है.
भारत ने बार-बार रूस के साथ लंबे समय से रक्षा सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. अमेरिका के बावजूद एस -400 सिस्टम के लिए $ 5.4 बिलियन के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के साथ ही बाइडेन प्रशासन ने एस -400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए चेतावनी दी है. रूस से भारत को प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए) के माध्यम से काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज के तहत प्रतिबंधों के अधीन किया जा सकता है. ट्रम्प की अध्यक्षता में पिछली सरकार द्वारा यह कानून पेश किया गया था.
6 दिसंबर को होने वाले भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (India-Russia Annual Summit) से इतर दोनों पक्ष अपनी पहली 2+2 वार्ता भी करेंगे. इससे कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन लोकतंत्र शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. वार्ता दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच होगी. आगामी शिखर सम्मेलन में रक्षा, व्यापार और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी होंगे.
पिछला भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (India-Russia Annual Summit) सितंबर 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की व्लादिवोस्तोक (रूस) यात्रा के दौरान आयोजित किया गया था. कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण 2020 में वार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हो सका. नवंबर 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की बैठक होगी.
बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए वर्चुअल बैठकों के अलावा नवंबर 2019 से अब तक दोनों नेताओं के बीच 6 बार टेलीफोन पर बातचीत हुई है. दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं की समीक्षा करेंगे और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.
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शिखर सम्मेलन पारस्परिक हित के क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने की भी अनुमति देगा. यह यात्रा भारत और रूस में वैकल्पिक रूप से वार्षिक शिखर सम्मेलन की परंपरा की निरंतरता में है. यह यात्रा भारत-रूस के बीच विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गति प्रदान करेगी.