मुंबई : आम आदमी पार्टी पर पंजाब में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश का आरोप लगा है. आप के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे डॉ कुमार विश्वास ने नाम लिए बिना आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पंजाब कोई राज्य नहीं, यह एक भावना है. इस प्रदेश में खालिस्तानी और अलगाववादी लोगों को जगह नहीं मिलनी चाहिए. बता दें कि केजरीवाल फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. गौरतलब है कि पंजाब को सिखों का स्वतंत्र सूबा बनाने के लिए कई बार भारत विरोधी गतिविधियों की साजिश रची गई है. इन्हीं में एक पहल 2020 में की गई थी, जिसे मीडिया में 'रेफरेंडम 2020' या खालिस्तान मूवमेंट भी कहा गया. विश्वास ने इसी खालिस्तान मूवमेंट के संदर्भ में केजरीवाल (kumar vishwas kejriwal khalistan) के हवाले से दावा किया है.
डॉ कुमार विश्वास ने कहा, पंजाबियत पूरी दुनिया में एक भावना है. उन्होंने पिछले चुनावों का जिक्र (पंजाब विधानसभा चुनाव 2017) कर केजरीवाल की बातों का जिक्र किया. विश्वास ने केजरीवाल का नाम लिए बिना (vishwas targets arvind kejriwal) कहा, मैंने उससे कहा था कि अलगाववादी संगठनों और खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े लोगों की मदद नहीं लेनी चाहिए. लेकिन उसने (केजरीवाल) कहा था कि चिंता मत कर हो जाएगा. भगवंत और फूलका जी को लड़ाकर पहुंच जाउंगा. विश्वास ने कहा कि इस बार भी वो (केजरीवाल) पंजाब में वो कठपुतली को बैठा लेगा, वो कुछ न कुछ कर लेगा.
किसी भी कीमत पर केजरीवाल को सत्ता की चाह
बकौल डॉ कुमार विश्वास, उसने (केजरीवाल) कहा कि चिंता मत कर या तो मैं एक स्वतंत्र सूबे (खालिस्तान) का मुख्यमंत्री (kejriwal khalistan PM statement) बनूंगा. अलगाववाद और 2020 रेफरेंडम की इंटरनेशनल फंडिंग और आईएसआई को लेकर चिंता जताने पर उसने (केजरीवाल) कहा, तो क्या हुआ स्वतंत्र देश का पहला प्रधानमंत्री बनूंगा. उन्होंने कहा कि इस आदमी की सोच में अलगाववाद को लेकर कई चिंता नहीं, वह (केजरीवाल) किसी भी कीमत पर सत्ता चाहता है.
हिंदू-मुस्लिम वोटों की बात से अफसोस
उन्होंने कहा कि अन्ना आंदोलन के दौर में एकजुटता ऐसी थी कि पहली बार मुंबई के डिब्बे वालों ने पहली बार हड़ताल की थी. डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि दुख इस बात का होता है कि चले कहां से थे, और आज पहुंचे कहा हैं. हिंदू-मुसलमान के वोटों की बातें हो रही है. ये सोचना की अलगाववाद फैला कर, सिखों का धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा सकता है, अफसोसजनक है.
यह भी पढ़ें- बेअदबी, ड्रग्स और खनन के मुद्दों में उलझ गई पंजाब की चुनावी राजनीति
डेमोक्रेसी में गिनती होती है, तुलना नहीं
केजरीवाल के 'पंजाब में आप का दलित उपमुख्यमंत्री' वाले बयान पर डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि ये सोच मानसिक स्तर को दिखाती है. उन्होंने सवाल किया कि दलित मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता ? डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि पतन की भी एक सीमा होती है, लेकिन यहां कोई सीमा नहीं है. इकबाल के शेर का जिक्र कर उन्होंने कहा, 'जम्हूरियत वो तर्ज-ए-हुकूमत है कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं, तोला नहीं करते.'
पहले भी केजरीवाल पर भड़के हैं विश्वास-
- 'विश्वास' के टूटने का दर्द: 'नाम नहीं लूंगा' कहकर केजरीवाल पर खूब बरसे कुमार विश्वास
- राजनीति में वापसी से लेकर कोरोना काल में लोगों की मदद पर कुमार विश्वास ने खुलकर बात की
मतदाताओं को करना है फैसला
उन्होंने कहा, भाजपा-कांग्रेस सोचती है कि 'आप' का जनाधार बढ़े तो कांग्रेस-बीजेपी का नुकसान होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. यहां (आप में) शर्म लिहाज सब खत्म हो चुका है, मुझसे ज्यादा इसे (केजरीवाल को) कोई नहीं जानता. विश्वास ने कहा कि अंतिम फैसला मतदाताओं को ही करना है.
क्या है खालिस्तान, पाक से समर्थन पर भारत ने दिखाई सख्ती
गौरतलब है कि 'खालिस्तान' सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि की मांग के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है. खालिस्तान समर्थक समूह एसएफजे लंबे समय से भारत में कानून-व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. समूह ने पिछले महीने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले में खालिस्तान का झंडा फहराने वाले के लिए 1,25,000 डॉलर का इनाम घोषित किया था. खबरों के मुताबिक एसएफजे के अभियानों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जुलाई में एसएफजे को बैन कर दिया था.
मोबाइल ऐप की मदद से रेफरेंडम ?
साल 2020 में अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने रेफरेंडम 2020 की पहल की थी. रेफरेंडम 2020 के लिए मोबाइल ऐप (वॉयस पंजाब 2020) भी बनाया गया था. एसएफजे ने पंजाब के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के साथ-साथ भारत में कहीं और रहने वाले सिखों को भी जनमत संग्रह में भाग लेने की अपील की थी. जुलाई, 2020 की खबरों के मुताबिक एसएफजे ने 'रेफरेंडम 2020' अभियान शुरू करने के लिए 4 जुलाई, 2020 का दिन चुना था. हालांकि, एसएफजे भारत विरोधी समर्थन पाने में विफल रहा. बता दें कि 1955 में इसी दिन दरबार साहिब में सिखों पर हमला हुआ था.
रेफरेंडम 2020 यूएन चार्टर के तहत !
गूगल प्ले स्टोर पर एसएफजे की ऐप की डिटेल में लिखा था, 'वॉयस पंजाब 2020' गैर-सरकारी पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण की सुविधा मुहैया कराने वाला ऐप है. रेफरेंडम यूएन चार्टर के अनुच्छेद-1 के तहत आयोजित किया जा रहा है. यह लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देता है. इस ऐप की मदद से एसएफजे ने मतदाता पंजीकरण फॉर्म की तरह जनता के विवरणों को जमा करने और भारत विरोधी अभियान के लिए मतदाता के रूप में लोगों के पंजीकरण का प्रयास किया था.
यह भी पढ़ें- खालिस्तान मुद्दा : भारत ने रूस के पोर्टल 'रेफरेंडम 2020' को किया ब्लॉक
मुख्यमंत्री के हत्यारे को शहीद मानता है एसएफजे
एसएफजे ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं बरसी मनाने की घोषणा की थी. बता दें कि अलगाववादी दिलावर को शहीद मानते हैं. कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. उनके साथ इस आतंकी हमले में 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.
एसएफजे से जुड़े लोग आतंकवादी
बता दें कि केंद्र सरकार SFJ के प्रमुख प्रचारक को जुलाई 2020 में आतंकवादी घोषित कर चुकी है. भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत गुरपतवंत सिंह पनुन को आतंकवादी घोषित किया है. पनुन पर पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप हैं. गुरपतवंत के अलावा अवतार सिंह पनुन भी एसएफजे से जुड़ा है.
(एजेंसी)