नई दिल्ली / गुवाहाटी : असम के दरांग जिले में गुरुवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प में दो लोगों की मौत और करीब 20 के घायल होने की घटना की व्यापक निंदा हो रही है. पुलिस की कार्रवाई के विरोध में दिल्ली में भी प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया.
हिरासत में लिए जाने से पहले प्रदर्शनकारियों ने असम भवन का घेराव किया. हाथों में तख्तियां लिए लोगों ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी की. विरोध-प्रदर्शन में शामिल संगठन- बंधुत्व आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशेर इब्राहिम ने कहा कि समाज में हाशिए पर पड़े तबके के साथ घोर अन्याय हो रहा है. उन्होंने जांच की मांग की.
बकौल शमशेर, असम में पुलिसकर्मियों ने आम लोगों पर गोलियां चलाईं हैं. हम दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.
वहीं, प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे निष्कासन अभियान का विरोध करते हुए ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) ने शुक्रवार को दरांग में 12 घंटे का बंद रखा. इस दौरान कई जगह प्रदर्शन हुए. सुरक्षाबल भी अलर्ट रहे. बंद समर्थकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 15 पर टायर जलाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच प्रदर्शनकारियों ने बेसीमारी इलाके में सरकार विरोधी नारेबाजी की. वहीं कांग्रेस ने 'पुलिस अत्याचारों' के विरोध में दारांग के मंगलदई में एक विरोध रैली और धरना प्रदर्शन किया.
उधर, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पुलिस को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि बेदखली अभियान का विरोध कर रहे सैकड़ों लोगों की भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों पर लाठी, छुरे और भाले से हमला किया. सरमा के पास गृह विभाग भी है. उन्होंने कहा कि निष्कासन अभियान, जो सोमवार को शुरू हुआ था, शुक्रवार को भी जारी रहा.
असम सरकार ने बाद में गुरुवार रात गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच का आदेश दिया. पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत अब जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए सिपाझार में डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो में एक घायल व्यक्ति पर हमला करते हुए देखे गए कैमरामैन बिजॉय बोनिया को गिरफ्तार कर लिया गया है.
उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री के निर्देश पर मैंने सीआईडी से मामले की जांच करने को कहा है.' उन्होंने कहा कि कैमरामैन अब सीआईडी की हिरासत में है. अधिकारियों ने कहा कि बंगाली भाषी मुसलमानों के लगभग 800 परिवार कई वर्षों से लगभग 4,500 बीघा (602.40 हेक्टेयर) सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे थे और सरकार ने हाल ही में बसने वालों को हटाकर भूमि का उपयोग कृषि उद्देश्यों के लिए करने का निर्णय लिया.
कांग्रेस ने की एसपी को हटाने की मांग
उधर, राज्य कांग्रेस प्रमुख भूपेन कुमार बोरा ने पुलिस फायरिंग के 'बर्बर कृत्य' की निंदा करते हुए कहा, 'बेदखली का कार्य अपने आप में अमानवीय है, खासकर कोविड की स्थिति के दौरान. कांग्रेस ने जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के तत्काल स्थानांतरण की मांग की है. ये मांग इसलिए भी है क्योंकि जिले में एसपी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के भाई हैं.
कांग्रेस ने शुक्रवार को असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी को सौंपे गए एक ज्ञापन में कहा कि प्रदर्शनकारी को वहां मौजूद 40 पुलिस कर्मियों द्वारा आसानी से काबू किया जा सकता था. एक अकेले प्रदर्शनकारी को गोली मारना क्रूरता व अमानवीय है. पुलिस को उसे मारने के बजाय उसे शांत करने की कोशिश करनी चाहिए थी.
कांग्रेस ने भी हिंसा की घटना को अत्यंत अमानवीय, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया. कांग्रेस नेता और विधायक देवव्रत सैकिया ने कहा, 'यह घटना समानता के अधिकार का भी घोर उल्लंघन है.' कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कोर्ट ने भी महामारी के दौरान बेदखली के खिलाफ एक निर्देश दिया था, फिर भी असम सरकार 1970 के दशक से इस क्षेत्र में रह रहे निवासियों को बेदखल करने के लिए 'निरंकुश' तरीके से व्यवहार कर रही है.
पढ़ें- असम हिंसा: घायल के शरीर पर कूदने का आरोपी गिरफ्तार
पढ़ें- असम : अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा में दो की मौत, न्यायिक जांच की घोषणा
उल्लेखनीय है कि दारांग जिले के सिपाझार राजस्व अंचल के अंतर्गत 77,420 बीघा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है. भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने इस साल जून में बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शुरू किया था. लगभग 8000 बीघा जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था.
20 सितंबर को शुरू किया था अभियान
इस साल 20 सितंबर को सरकार ने ढालपुर इलाके में एक और बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शुरू किया और लगभग 450 बीघा जमीन को खाली कराया. इस कार्रवाई के बाद 750 परिवारों को बेदखल किया गया. इन परिवारों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सरकारी अनुमान के मुताबिक गुरुवार के बेदखली अभियान में करीब 500 परिवारों को बेदखल किया जाना था.