नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि 'हर जगह समस्याएं' हैं और जनहित याचिका (Public interest litigation - PIL) का इस्तेमाल किसी पर दोषारोपण करने के बजाए तंत्र को मजबूत बनाने में किया जाना चाहिए. न्यायालय ने समस्याओं के समाधान तलाशे जाने की जरूरत पर भी जोर दिया.
न्यायालय ने यह भी कहा कि तंत्र में खामियां तलाशने का 'चलन शुरू' हो गया है लेकिन समस्याओं पर चर्चा करने और तंत्र को दोष देने के बजाए , इन समस्याओं का समाधान तलाशने की कोशिश होनी चाहिए.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा,' समस्याएं हर जगह हैं. हमें यह स्वीकारना चाहिए. हमें तंत्र को मजबूत बनाने के लिए जनहित याचिका की प्रक्रिया का इस्तेमाल करना है, किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं.'
पीठ दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापरक प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करने के लिए नियुक्त योग्य विशेष शिक्षकों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील शोएब आलम से कहा कि उसने मामले में उठाई गई समस्या की गंभीरता पर ध्यान दिया है और उसे यह देखना है कि बुनियादी ढांचे में कैसे सुधार किया जा सकता है . पीठ के अनुसार, संबंधित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए कि संबंधित कानूनों और नियमों में प्रदान किए गए उपायों को ठीक से लागू किया जाए.
पीठ ने कहा, 'हर जगह कई समस्याएं हैं. इसलिए संस्थानों की बात क्यों करें. यहां तक कि हमारे तंत्र में भी इसकी सब चर्चा कर रहे है. हम उस तरह से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, जैसे हमें बढ़ना चाहिए. अगर अदालतें काम नहीं कर रहीं, अगर अदालतें तय समय सीमा के भीतर न्याय नहीं दे रहीं तो ‘कानून का शासन’ संविधान में एक अभिव्यक्ति मात्र है.'
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न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा,' इलाहाबाद उच्च न्यायालय की हालत देखिए, हमें यह नहीं कहना चाहिए लेकिन मैं तब से सुनता आ रहा हूं जब से मैं प्रैक्टिस कर रहा था कि आपराधिक अपीलों में 20 वर्ष लग जाते हैं.
जब अधिवक्ता ने कहा कि हालात अब भी नहीं बदले हैं, तब पीठ ने कहा कि इसमें सुधार नहीं हो रहा है.
(पीटीआई-भाषा)