लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार में हर ओर निजीकरण का डंका बज रहा है. सरकारी होटल से लेकर सरकारी नौकरी औऱ बस अड्डे व स्मारक तक तेजी से प्राइवेट हाथों में जा रहे हैं. जहां भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही हैं. विपक्ष इसको लेकर सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं. लगातार निजीकरण उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा है. इसको लेकर सरकार का दवा तरक्की और आम लोगों के लिए बेहतर सुविधाओं का है. जबकि विपक्षी यह मानते हैं कि निजीकरण के माध्यम से कारोबारियों को लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे धीरे-धीरे सरकारी विभाग और व्यवस्थाएं बहुत कम बजट पर प्राइवेट हाथों में चली जाएंगी. जिससे आम लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
निजी हाथों में जा रहे पर्यटन विभाग के होटल
करीब एक दर्जन ऐसे होटल जो पर्यटन विभाग अब तक संचालित कर रहा था उनको नुकसान होने का दावा करते हुए सरकार निजी हाथों में दे रही है. यूपी कैबिनेट की बैठक में संबंध में फैसला दो सप्ताह पहले हो गया था. महत्वपूर्ण जिलों के यह होटल निजी हाथों में जा चुके हैं. इससे पहले हरिद्वार में टूरिज्म के बड़े होटल को निजी हाथों में दिया जा चुका है.
बस अड्डे भी प्राइवेट हाथों में जाएंगे : इसके अलावा बस अड्डे को भी प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है. लखनऊ में आलमबाग का बस अड्डा इसका एक उदाहरण है जो कि शालीमार लिमिटेड के हाथों में है. करीब दो दर्जन अन्य बस अड्डे को भी निजी हाथों में देने को लेकर सरकार प्रक्रिया चल रही है.
कंप्यूटर ऑपरेटर और फोर्थ क्लास कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर : सरकार केवल स्थान का ही निजीकरण नहीं कर रही, बल्कि नौकरियों का भी निजीकरण तेजी से किया जा रहा है. जैम पोर्टल के माध्यम से 4th क्लास कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर निजी कंपनियों से लिए जा रहे हैं. मजे की बात यह है कि सरकारी विभागों के एक-एक क्लर्क के लिए यह दावा किया जा रहा है कि वह कंप्यूटर प्रशिक्षित है. इसके बावजूद लगातार कंप्यूटर ऑपरेटर निजी कंपनियों से लिए जा रहे हैं. यही नहीं स्वास्थ्य विभाग में नर्स और टेक्नीशियन आदि सभी स्टाफ निजी सेक्टर से लिए जा रहे हैं.