ETV Bharat / bharat

Private Member Bill : राज्यसभा में समान नागरिक संहिता पर प्रस्ताव पेश

भाजपा सांसद ने समान नागरिक संहिता पर एक प्रस्ताव पेश किया है. प्रस्ताव पेश होते ही सदन में हंगामा होने लगा. समाजवादी पार्टी, सीपीआईएम, एनसीपी समेत कई विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते सभापति जगदीप धनखड़ को हस्तक्षेप करना पड़ा. .

rajya sabha
राज्य सभा
author img

By

Published : Dec 9, 2022, 12:35 PM IST

Updated : Dec 9, 2022, 9:36 PM IST

नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी, सीपीआईएम, एनसीपी समेत कई विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते सभापति जगदीप धनखड़ को हस्तक्षेप करना पड़ा। सभापति ने विपक्षी सांसदों को भरोसा दिलाया कि सदन में प्रत्येक कार्यवाही तय नियमों के तहत की जाएगी. उन्होंने विपक्षी सांसदों से चर्चा में भाग लेने और अपना मत व्यक्त करने का अनुरोध किया. विपक्ष के सांसदों का कहना था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड प्राइवेट मेंबर बिल सदन में पेश करने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए. वहीं सत्तापक्ष के सांसद इस प्राइवेट मेंबर बिल को सदन में रखे जाने का समर्थन करते दिखाई दिए.

कई विपक्षी सांसदों ने इस बार वोटिंग की मांग की जिसके बाद सभापति ने बिल पेश करने को लेकर वोटिंग करवाई. डिविजन स्लिप के माध्यम से वोटिंग कराई गई. वोटिग में 63 वोट बिल पेश किए जाने के पक्ष में और 23 वोट विपक्ष में थे. अधिकांश सांसदों के समर्थन में होने के बाद यह मोशन एडॉप्ट कर लिया गया और भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपना प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया.

वोटिंग से पहले इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव यूनिफॉर्म सिविल कोड पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मुसलमानों में चचेरी बहन से शादी करना अच्छा माना जाता है लेकिन हमारे में हिंदुओं में इसे बुरा माना जाता है, ऐसी स्थिति में सरकार समान नागरिक संहिता कैसे लागू कराएगी. समाजवादी पार्टी के सांसद ने कहा कि सरकार ऐसे प्रावधानों को एक समान बनाने के लिए किस ओर से शुरूआत करेगी.

कांग्रेस सांसद एल हनुमंतय्या ने कहा कि ये बिल देश के स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. एक अन्य सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि ये देशहित में नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड हमें अंधी खाई में ले जाएगा. भाजपा सांसद के इस प्राइवेट मेंबर बिल के खिलाफ राज्यसभा सांसद वाईको, अब्दुल वहाब, विकास रंजन भट्टाचार्य, एए रहीम समेत कई सांसदों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए नोटिस दिया. केरल से आईयूएमएल के राज्यसभा सांसद अब्दुल वहाब ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को किसी भी हालत में इंडिया में लागू नहीं किया जा सकता. वहाब ने राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि यह एक और इनटोलरेंस है, इसे न होने दिया जाए.

वहीं इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का समर्थन करते रहे. हंगामे की स्थिति उत्पन्न होने पर सभापति ने फिर से हस्तक्षेप करते हुए सभी सदस्यों को अपनी बारी आने पर ही बोलने का आग्रह किया. केरल के एक अन्य राज्य सभा सांसद सीपीआईएम के इलामाराम करीम ने सभापति से कहा कि सभापति को किरोड़ी लाल मीणा को यह प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश देना चाहिए क्योंकि इससे देश की विविधता नष्ट होग. उन्होंने कहा कि इस प्रकार से चीजें थोपी नहीं जानी चाहिए.

गौरतलब है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों पर एक जैसे नियम लागू होंगे. भारत के हर हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

समान नागरिक संहिता पर बोले पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह

पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह ने ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'संघ नागरिक संहिता भारत में इस तरह का कृत्य करने के लिए शुरू से ही आरएसएस का मुद्दा है. बड़ी संख्या में विवाहों के कारण अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है और इसे नियंत्रित करने के लिए यूसीसी आवश्यक है. हालांकि, यह समस्या को हल करने के लिए नहीं बल्कि एक विशेष समुदाय को लक्षित करने के हित में है. हम हमेशा कहते हैं कि आप कोई कानून नहीं थोप सकते. इस तरह के कानून को थोपना संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.

Former MP and CPM Politburo member Hannan Mollah
समान नागरिक संहिता पर बोले पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह

उन्होंने कहा कि जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर मामला है, लेकिन अनुनय और बातचीत के जरिए हमें अपने नागरिकों को समझाना होगा. मोल्ला ने जोर देकर कहा कि विपक्षी दल सरकार की ऐसी कार्रवाई के खिलाफ अपना विरोध जारी रखेंगे. उन्होंने कहा 'हम विविधता चाहते हैं. एकता और एकरूपता अलग है. एकता विभिन्न शक्तियों का योग है और एकरूपता के अंतर्गत सभी को कुछ न कुछ स्वीकार करना ही पड़ता है. भारत एक संघीय देश है और हमारा संविधान हमारे जीवन के तरीके में विविधता की अनुमति देता है.'

ये भी पढ़ें : चार राज्यों में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करने के लिए 4 विधेयक पेश किए गए

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी, सीपीआईएम, एनसीपी समेत कई विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते सभापति जगदीप धनखड़ को हस्तक्षेप करना पड़ा। सभापति ने विपक्षी सांसदों को भरोसा दिलाया कि सदन में प्रत्येक कार्यवाही तय नियमों के तहत की जाएगी. उन्होंने विपक्षी सांसदों से चर्चा में भाग लेने और अपना मत व्यक्त करने का अनुरोध किया. विपक्ष के सांसदों का कहना था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड प्राइवेट मेंबर बिल सदन में पेश करने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए. वहीं सत्तापक्ष के सांसद इस प्राइवेट मेंबर बिल को सदन में रखे जाने का समर्थन करते दिखाई दिए.

कई विपक्षी सांसदों ने इस बार वोटिंग की मांग की जिसके बाद सभापति ने बिल पेश करने को लेकर वोटिंग करवाई. डिविजन स्लिप के माध्यम से वोटिंग कराई गई. वोटिग में 63 वोट बिल पेश किए जाने के पक्ष में और 23 वोट विपक्ष में थे. अधिकांश सांसदों के समर्थन में होने के बाद यह मोशन एडॉप्ट कर लिया गया और भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपना प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया.

वोटिंग से पहले इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव यूनिफॉर्म सिविल कोड पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मुसलमानों में चचेरी बहन से शादी करना अच्छा माना जाता है लेकिन हमारे में हिंदुओं में इसे बुरा माना जाता है, ऐसी स्थिति में सरकार समान नागरिक संहिता कैसे लागू कराएगी. समाजवादी पार्टी के सांसद ने कहा कि सरकार ऐसे प्रावधानों को एक समान बनाने के लिए किस ओर से शुरूआत करेगी.

कांग्रेस सांसद एल हनुमंतय्या ने कहा कि ये बिल देश के स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. एक अन्य सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि ये देशहित में नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड हमें अंधी खाई में ले जाएगा. भाजपा सांसद के इस प्राइवेट मेंबर बिल के खिलाफ राज्यसभा सांसद वाईको, अब्दुल वहाब, विकास रंजन भट्टाचार्य, एए रहीम समेत कई सांसदों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए नोटिस दिया. केरल से आईयूएमएल के राज्यसभा सांसद अब्दुल वहाब ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को किसी भी हालत में इंडिया में लागू नहीं किया जा सकता. वहाब ने राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि यह एक और इनटोलरेंस है, इसे न होने दिया जाए.

वहीं इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का समर्थन करते रहे. हंगामे की स्थिति उत्पन्न होने पर सभापति ने फिर से हस्तक्षेप करते हुए सभी सदस्यों को अपनी बारी आने पर ही बोलने का आग्रह किया. केरल के एक अन्य राज्य सभा सांसद सीपीआईएम के इलामाराम करीम ने सभापति से कहा कि सभापति को किरोड़ी लाल मीणा को यह प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश देना चाहिए क्योंकि इससे देश की विविधता नष्ट होग. उन्होंने कहा कि इस प्रकार से चीजें थोपी नहीं जानी चाहिए.

गौरतलब है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों पर एक जैसे नियम लागू होंगे. भारत के हर हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

समान नागरिक संहिता पर बोले पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह

पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह ने ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'संघ नागरिक संहिता भारत में इस तरह का कृत्य करने के लिए शुरू से ही आरएसएस का मुद्दा है. बड़ी संख्या में विवाहों के कारण अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है और इसे नियंत्रित करने के लिए यूसीसी आवश्यक है. हालांकि, यह समस्या को हल करने के लिए नहीं बल्कि एक विशेष समुदाय को लक्षित करने के हित में है. हम हमेशा कहते हैं कि आप कोई कानून नहीं थोप सकते. इस तरह के कानून को थोपना संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.

Former MP and CPM Politburo member Hannan Mollah
समान नागरिक संहिता पर बोले पूर्व सांसद और सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह

उन्होंने कहा कि जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर मामला है, लेकिन अनुनय और बातचीत के जरिए हमें अपने नागरिकों को समझाना होगा. मोल्ला ने जोर देकर कहा कि विपक्षी दल सरकार की ऐसी कार्रवाई के खिलाफ अपना विरोध जारी रखेंगे. उन्होंने कहा 'हम विविधता चाहते हैं. एकता और एकरूपता अलग है. एकता विभिन्न शक्तियों का योग है और एकरूपता के अंतर्गत सभी को कुछ न कुछ स्वीकार करना ही पड़ता है. भारत एक संघीय देश है और हमारा संविधान हमारे जीवन के तरीके में विविधता की अनुमति देता है.'

ये भी पढ़ें : चार राज्यों में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करने के लिए 4 विधेयक पेश किए गए

(आईएएनएस)

Last Updated : Dec 9, 2022, 9:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.