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पश्चिम बंगाल में निजी बस ऑपरेटरों ने बस किराया बढ़ाने की मांग की

पश्चिम बंगाल में निजी बस चालकों ने डीजल कीमतों में वृद्धि के मद्देनजर किराए में तत्काल वृद्धि की मंगलवार को मांग की.

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Published : Nov 2, 2021, 5:15 PM IST

Updated : Nov 2, 2021, 5:28 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में निजी बस ऑपरेटरों ने मंगलवार को मांग की कि डीजल की कीमतों में वृद्धि और उनके वाहनों को चलाने में शामिल अन्य कारकों से निपटने के लिए किराए में तत्काल वृद्धि की जाए.

ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट्स के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि राज्य में अभी केवल 30 फीसदी बसें ही पंजीकृत हैं, जो अभी चल रही हैं.

बस ऑपरेटरों के एक अन्य निकाय ऑल बंगाल बस मिनीबस समय समिति (ABBMSS) ने दावा किया कि दक्षिण बंगाल में उसकी लगभग 60 प्रतिशत बसें और उत्तरी जिलों में 50 प्रतिशत बसें चल रही हैं.

तपन बनर्जी ने कहा, सरकार द्वारा किराए में तत्काल वृद्धि के बिना, बस ऑपरेटरों के लिए दैनिक परिचालन घाटे को देखते हुए व्यवसाय करना असंभव होता जा रहा है.

एबीबीएमएसएस के महासचिव राहुल चटर्जी ने कहा कि सरकार ने परिचालन लागत को कम करने के लिए वैकल्पिक प्रस्तावों पर विचार किया है, जिसमें सीएनजी को बदलना भी शामिल है, लेकिन किराए में वृद्धि अनिवार्य है. ये दीर्घकालिक प्रस्ताव हैं जिन्हें लागू होने में समय लगेगा, लेकिन अभी किराए में बढ़ोतरी होनी चाहिए.

पढ़ें :- दिल्ली : 1000 लो प्लोर बसों की खरीद में घोटाले की जांच करेगी CBI

बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में पिछली बार बस का किराया मार्च, 2018 में बढ़ाया गया था, जब राज्य में डीजल की कीमत लगभग 63 रुपये प्रति लीटर थी.

उन्होंने पूछा, डीजल की कीमत अब यहां 100 रुपये से अधिक है और लगभग हर दिन बढ़ रही है, हम कैसे गुजारा कर सकते हैं? अन्य परिचालन लागत जैसे राजमार्गों पर टोल टैक्स और रखरखाव से संबंधित खर्च भी बढ़ गए हैं.

चटर्जी ने कहा कि मालिक के अलावा कम से कम छह श्रमिक एक बस से अपनी आजीविका कमाते हैं. जब किसी बस का संचालन बंद हो जाता है तो ये सभी लोग बेरोजगार हो जाते हैं.

(पीटीआई)

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में निजी बस ऑपरेटरों ने मंगलवार को मांग की कि डीजल की कीमतों में वृद्धि और उनके वाहनों को चलाने में शामिल अन्य कारकों से निपटने के लिए किराए में तत्काल वृद्धि की जाए.

ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट्स के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि राज्य में अभी केवल 30 फीसदी बसें ही पंजीकृत हैं, जो अभी चल रही हैं.

बस ऑपरेटरों के एक अन्य निकाय ऑल बंगाल बस मिनीबस समय समिति (ABBMSS) ने दावा किया कि दक्षिण बंगाल में उसकी लगभग 60 प्रतिशत बसें और उत्तरी जिलों में 50 प्रतिशत बसें चल रही हैं.

तपन बनर्जी ने कहा, सरकार द्वारा किराए में तत्काल वृद्धि के बिना, बस ऑपरेटरों के लिए दैनिक परिचालन घाटे को देखते हुए व्यवसाय करना असंभव होता जा रहा है.

एबीबीएमएसएस के महासचिव राहुल चटर्जी ने कहा कि सरकार ने परिचालन लागत को कम करने के लिए वैकल्पिक प्रस्तावों पर विचार किया है, जिसमें सीएनजी को बदलना भी शामिल है, लेकिन किराए में वृद्धि अनिवार्य है. ये दीर्घकालिक प्रस्ताव हैं जिन्हें लागू होने में समय लगेगा, लेकिन अभी किराए में बढ़ोतरी होनी चाहिए.

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बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में पिछली बार बस का किराया मार्च, 2018 में बढ़ाया गया था, जब राज्य में डीजल की कीमत लगभग 63 रुपये प्रति लीटर थी.

उन्होंने पूछा, डीजल की कीमत अब यहां 100 रुपये से अधिक है और लगभग हर दिन बढ़ रही है, हम कैसे गुजारा कर सकते हैं? अन्य परिचालन लागत जैसे राजमार्गों पर टोल टैक्स और रखरखाव से संबंधित खर्च भी बढ़ गए हैं.

चटर्जी ने कहा कि मालिक के अलावा कम से कम छह श्रमिक एक बस से अपनी आजीविका कमाते हैं. जब किसी बस का संचालन बंद हो जाता है तो ये सभी लोग बेरोजगार हो जाते हैं.

(पीटीआई)

Last Updated : Nov 2, 2021, 5:28 PM IST
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