नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को अपने कार्यकाल के पांच साल पूरे करने वाले हैं. इस दौरान राष्ट्रपति ने केंद्र और राज्य सरकारों के कई विधेयकों को मंजूरी दी. कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. हालांकि, कुछ अधिनियम राष्ट्रपति की सहमति के लगभग तीन वर्षों बाद भी लागू नहीं हुए हैं. जैसे नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 जिसे राष्ट्रपति कोविंद ने 12 दिसंबर, 2019 को मंजूरी दी थी. देश में लागू किया जाना बाकी है. क्योंकि, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अभी तक इसके कार्यान्वयन के लिए नियम नहीं बनाए हैं.
पढ़ें: राष्ट्रपति कोविंद ने अपने कार्यकाल में खारिज कीं छह दया याचिका, एक भी लंबित नहीं
केंद्र सरकार ने धार्मिक उत्पीड़न के कारण पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी जैसे छह अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने के उद्देश्य से कानून बनाया था. आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022, जिसपर राष्ट्रपति कोविंद ने 18 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किया था. वह भी नियमों के अभाव में अभी तक लागू नहीं किया गया है. अधिकांश विपक्षी दलों ने बिल का विरोध किया. विधेयक को किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का प्रत्यक्ष उल्लंघन बताया गया.
पढ़ें: कोविंद को आवंटित हो सकता है पासवान वाला बंगला
कई राज्य सरकारों ने भी आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 का विरोध किया गया. उसे भी अभी तक लागू नहीं किया जा सकता है. यह कानून कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दोषी लोगों के अलावा, अपराधों में आरोपी लोगों के बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने और उन्हें स्टोर करने की अनुमति देता है. इनके अलावा 24 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति ने तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी थी. जिसे विरोध के बाद निरस्त कर दिया गया किया. 2021 में तीन विधेयकों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक और विधेयक पेश किया गया.
पढ़ें: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दो दिवसीय दौरे पर कर्नाटक पहुंचे
राष्ट्रपति ने कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 को 30 नवंबर, 2021 को पारित किया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी 24 जुलाई, 2019 को मिली. इसी तरह, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक, 2019, जिसे 8 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दी गई थी, सरकार को आतंकवाद के कृत्यों में भाग लेने के लिए व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में नामित करने का अधिकार देता है.