बेंगलुरु: चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से चंद्रमा पर उतरने के बाद देश की अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला मिशन 'आदित्य एल-1' लॉन्च करने के लिए उत्साहपूर्वक तैयारी कर रही है. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में इसकी तैयारियां सुचारु रूप से चल रही हैं. रक्षा और अंतरिक्ष विशेषज्ञ गिरीश लिंगन्ना ने कहा कि टीम अंतरिक्ष यान पर आखिरी मिनट की जांच कर रही है और पीएसएलवी रॉकेट पर काम चल रहा है.
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो के अगले मिशन के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आदित्य-एल-1 अंतरिक्ष यान सूर्य की तस्वीरें लेगा और प्रक्षेपण के पांच साल बाद तक जारी रहेगा. आदित्य-एल-1 अंतरिक्ष यान ऐसे स्थान पर पहुंचेगा जो सूर्य से काफी दूर है. सात उपकरण सूर्य के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानेंगे. इसरो का यह प्रोजेक्ट सूर्य की बाहरी परत, उत्सर्जन, उससे पैदा होने वाली हवा का अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा कि यहां तक कि यह विस्फोटों और ऊर्जा के उत्सर्जन के बारे में भी रिपोर्ट करेगा.
L-1 लैग्रेंज पॉइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एक विशेष स्थान है. उन्होंने बताया कि इस बिंदु पर पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ संतुलन में हैं, जिससे वस्तुएँ अपेक्षाकृत स्थिर रह सकती हैं. उन्होंने आगे कहा, 'पृथ्वी की ओर आने वाले तूफानों को समझने और उसकी सक्रियता पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है. प्रत्येक तूफान जो सूर्य से शुरू होता है और पृथ्वी की ओर आता है, L1 नामक एक विशेष बिंदु से होकर गुजरता है. किसी उपग्रह को L-1 के चारों ओर की कक्षा में स्थापित करने से सूर्य को बिना किसी रुकावट के देखने में मदद मिलती है.
सूर्य को जानना महत्वपूर्ण है: गिरीश लिंगन्ना ने कहा कि पृथ्वी के केंद्र से सूर्य के बीच की दूरी 15 करोड़ किमी है. सूर्य का मौसम पूरे सौर मंडल पर प्रभाव डालता है. इसमें परिवर्तन उपग्रहों को अलग तरह से स्थानांतरित कर सकता है, इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुंचा सकता है और पृथ्वी पर बिजली की समस्या पैदा कर सकता है. इसलिए सूर्य की घटनाओं के बारे में जानना महत्वपूर्ण है.