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इंडियन आइडल प्रतिभागी बोकारो की सड़कों पर गाना गाकर जुटा रहा रोजी रोटी, मदद के लिए सीएम हेमंत सोरेन से लगाई गुहार

इंडियन आइडल प्रतिभागी रह चुका दिव्यांग मोहम्मद मकसूद इन दिनों सड़कों पर गाना गाकर अपनी जीविका चला रहा है (Singing on streets for living). आजकल उसे बोकारो की सड़कों पर गाना गाते देखा जा सकता है (Indian Idol contestant Md Maqsood in Bokaro), जहां लोग उसके गाने सुनकर आर्थिक मदद कर देते हैं. दिव्यांग मोहम्मद मकसूद ने मदद के लिए सीएम हेमंत सोरेन से गुहार लगाई है.

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Published : Nov 10, 2022, 8:00 PM IST

बोकारो: जिला के गोमिया प्रखंड के झिरकी का रहने वाला दिव्यांग मोहम्मद मकसूद (Indian Idol contestant Md Maqsood in Bokaro), इन दिनों सड़क किनारे बैठ कर लोगों को गाना सुना कर अपने और अपने परिवार वालों का भरण पोषण कर रहा है (Singing on streets for living). वह इंडियन आइडल का प्रतिभागी भी रह चुका है. मकसूद भीड़भाड़ वाले इलाके में गाना गाता है. इस दौरान लोग उसके दर्द भरे गानों को सुनकर उसे आर्थिक सहायता करते हैं.



ये भी पढ़ें: T20 World Cup For Blind: दिव्यांग क्रिकेटर की फ्लाइट छूटी, खेल निदेशालय ने तत्काल टिकट बुक कर भेजा बेंगलुरू

2017 में गया था इंडियन आइडल: मकसूद ने बताया कि 2017 में वह इंडियन आइडल के 24वें राउंड तक पहुंचा था. उसके बाद उसे गायक सुरेश वाडेकर के यहां भेज दिया गया, जहां उसने गाने के गुर सीखे लेकिन, कोरोना काल में वह अपने घर लौट आया. मकसूद अभी बोकारो जिले में घूम-घूमकर गाना गाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा है. वह घर से सुबह-सुबह अपने एक साथी के साथ गाड़ियों में सफर कर जगह-जगह पहुंच जाता है और लोगों को गाने सुनाने का काम करता है. उसका कहना है कि वह प्रतिदिन 1 से 2000 रुपए गाना गाकर कमा लेता है.

देखें वीडियो

सीएम हेमंत सोरेन से मदद की गुहार: मकसूद का कहना है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहता है. उसका एक छोटा भी बेटा है. मकसूद को राज्य सरकार के द्वारा विकलांग पेंशन दिया जाता है लेकिन, उसके बाद उसे कोई सरकारी मदद नसीब नहीं हुई है. वह राज्य सरकार से एक नौकरी की मांग कर रहा है. वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन से वह कहना चाहता है कि उसे सहायता पहुंचाया जाए ताकि अपनी कला को वह आगे बढ़ा सके.

बोकारो: जिला के गोमिया प्रखंड के झिरकी का रहने वाला दिव्यांग मोहम्मद मकसूद (Indian Idol contestant Md Maqsood in Bokaro), इन दिनों सड़क किनारे बैठ कर लोगों को गाना सुना कर अपने और अपने परिवार वालों का भरण पोषण कर रहा है (Singing on streets for living). वह इंडियन आइडल का प्रतिभागी भी रह चुका है. मकसूद भीड़भाड़ वाले इलाके में गाना गाता है. इस दौरान लोग उसके दर्द भरे गानों को सुनकर उसे आर्थिक सहायता करते हैं.



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2017 में गया था इंडियन आइडल: मकसूद ने बताया कि 2017 में वह इंडियन आइडल के 24वें राउंड तक पहुंचा था. उसके बाद उसे गायक सुरेश वाडेकर के यहां भेज दिया गया, जहां उसने गाने के गुर सीखे लेकिन, कोरोना काल में वह अपने घर लौट आया. मकसूद अभी बोकारो जिले में घूम-घूमकर गाना गाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा है. वह घर से सुबह-सुबह अपने एक साथी के साथ गाड़ियों में सफर कर जगह-जगह पहुंच जाता है और लोगों को गाने सुनाने का काम करता है. उसका कहना है कि वह प्रतिदिन 1 से 2000 रुपए गाना गाकर कमा लेता है.

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सीएम हेमंत सोरेन से मदद की गुहार: मकसूद का कहना है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहता है. उसका एक छोटा भी बेटा है. मकसूद को राज्य सरकार के द्वारा विकलांग पेंशन दिया जाता है लेकिन, उसके बाद उसे कोई सरकारी मदद नसीब नहीं हुई है. वह राज्य सरकार से एक नौकरी की मांग कर रहा है. वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन से वह कहना चाहता है कि उसे सहायता पहुंचाया जाए ताकि अपनी कला को वह आगे बढ़ा सके.

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