कोलकाता: कहते हैं तस्वीर हजार शब्द बोलती है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बिना कैप्शन वाली दो तस्वीरों के ट्वीट से यह स्पष्ट था. शायद सीएम ममता ने दो तस्वीरें पोस्ट कर देश के ताजा हालात को समझाने की कोशिश की. फोटो में अभी की सरकार और तब की सरकार को दिखाया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं था कि मुख्यमंत्री का क्या मतलब था? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ट्वीट से राजनीतिक बहस छिड़ गई है.
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पहली तस्वीर
ममता बनर्जी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जो दो तस्वीरें पोस्ट की हैं, उनमें से एक तस्वीर आजादी के बाद के दौर की है और दूसरी वर्तमान मोदी सरकार का समय है. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस तस्वीर के केंद्र में हैं. वहीं, स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट के कई अहम सदस्यों को जगह मिली थी. इसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, बीआर अंबेडकर, स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद शामिल हैं.
दूसरी तस्वीर
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पोस्ट में दूसरी तस्वीर 28 मई 2023 की है. उसमें देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक की जगह नहीं थी. तस्वीर में पुजारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह नजर आ रहे हैं. ममता बनर्जी ने तस्वीरों के स्पष्टीकरण में अलग से कोई कैप्शन नहीं दिया. हालांकि, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी के ट्वीट का जवाब देने में देर नहीं की. एक ट्वीट में उन्होंने शिकायत की, 'ममता बनर्जी, मैं उनकी काना धारणा से हैरान नहीं हूं. वह परंपराओं के प्रति अपनी नफरत के लिए जानी जाती हैं, इसलिए वह इन संतों का मजाक उड़ा रही हैं.'
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ममता के ट्वीट से गरमाई राजनीति: एक लंबे ट्वीट में अधिकारी ने पारंपरिक संस्कृति के साथ सेंगोल के जुड़ाव को उजागर करने की कोशिश की. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने भी अधिकारी के पीछे अपना पोस्ट किया. उन्होंने सोशल साइट ट्विटर पर लिखा, यह एक ऐसा ट्वीट है जिसके जरिए दीदी ने दिखाया कि वह कैसे और क्यों हिंदुओं से नफरत करती हैं. इसी तरह बीजेपी के अमित मालवीय ने एक ट्वीट में ममता पर निशाना साधा. ममता का बिना कैप्शन वाला ट्वीट निश्चित तौर पर कुछ दिनों तक राज्य के मुख्य विपक्षी खेमे में चर्चा का विषय रहेगा. अब देखना यह होगा कि भगवा ब्रिगेड के हमले से तृणमूल कांग्रेस कैसे निपटती है.