ऋषिकेशः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के दिसंबर 2024 तक पूरा करने में रेलवे विकास निगम लिमिटेड ने हाथ खड़े कर दिए हैं. परियोजना के मुख्य प्रबंधक ने परियोजना के निर्माण की धीमी गति के लिए कोरोना और उपखनिज से संबंधित न्यायालय की सख्ती को जिम्मेदार ठहराया है. ऐसे में आगामी 2026 तक ही ट्रेन पहाड़ चढ़ने की उम्मीद है.
दरअसल, रेल विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने बताया कि टनल खुदाई में उन्हें इस्तेमाल लायक पत्थर नहीं मिले. उम्मीद 40 फीसदी ठोस पत्थरों के मिलने की थी, लेकिन इसमें भी सिर्फ 20 प्रतिशत पत्थर ही टनल निर्माण में यूज करने लायक मिले हैं. कोर्ट की सख्ती के चलते नदियों में हाथों से चुगान की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है, जिसका असर टनल निर्माण पर पड़ रहा है. रेल लाइन के चिह्नित क्षेत्र में नौजवान पहाड़ों की कच्ची मिट्टी ने भी मुश्किलें बढ़ाई हैं. अभी 60 फीसदी टनल निर्माण का कार्य किया जा चुका है. कई टनल न सिर्फ लंबी हैं, बल्कि यहां निर्माण भी बेहद विषम परिस्थितियों में है.
प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है. इस परियोजना की सबसे लंबी सुरंग 14.58 किलोमीटर का निर्माण किया जाना है. इस प्रोजेक्ट में 12 स्टेशनों और 19 प्रमुख रेल पुलों का निर्माण किया जाना है. साल 2025 दिसंबर या फिर 2026 शुरुआती माह तक इस परियोजना को पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है. 125 किमी रेल लाइन में करीब 104 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत सुरंगों से गुजरेगा. इस परियोजना में रोजाना 170 मीटर सुरंग बनाने का काम किया जा रहा है.
परियोजना पूरे होने पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर केवल 3 घंटे रह जाएगा. इस परियोजना का सुरंग कार्य साल 2019 में शुरू हुआ है. अभी तक इस परियोजना में 127 किलोमीटर अंडरग्राउंड सुरंग खुदाई का काम पूरा हो चुका है. 12 सितंबर 2023 तक गूलर और शिवपुरी के बीच निकासी सुरंग संख्या 2 (6080 मीटर लंबी) की खुदाई का काम भी पूरा हो गया है.
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साथ ही गूलर और शिवपुरी के बीच की मुख्य सुरंग भी फरवरी 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा. इस रेल परियोजना में वीरभद्र समेत कुल 13 स्टेशन हैं. जिसमें से 12 स्टेशनों का काम एक साथ शुरू किया जाएगा. इस परियोजना में यार्ड और स्टेशनों की लंबाई सवा किलोमीटर रहेगी. देवप्रयाग समेत कुछ प्लेटफॉर्म का हिस्सा सुरंग के अंदर भी बनाया जाएगा. सभी सुरंगों को वाटरप्रूफ भी बनाया जा रहा है. ताकि, बरसात में आवागमन पर रुकावट पैदा न हो.
इस परियोजना के तहत हिमालयी क्षेत्र प्रबंधक के रेलवे कर्मचारियों के लिए आवासीय सर्विस कॉलोनी का भी निर्माण किया जाएगा. आपातकालीन स्थिति में अग्निशमन के लिए अतिरिक्त पानी के टैंकों का निर्माण किया जाएगा. जिसका काम भी प्रगति पर है. परियोजना में अधिग्रहण की गई भूमि का पूरी तरह से प्रतिकर दे दिया गया है. परियोजना में 3 किलोमीटर से लंबी मुख्य सुरंगों के साथ निकासी सुरंगों का भी निर्माण किया गया है. ताकि, आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित किया जा सके.
परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने की समयावधि दिसंबर 2024 है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देरी होने की आशंका है. साथ ही नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से मशीनी खनन पर रोक लगाए जाने से परियोजना में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की उपलब्धता प्रभावित हो रही है. जिसका प्रभाव परियोजना की अवधि पर पड़ता नजर आ रहा है.
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वहीं, सुरंग संख्या 8 (14.58 किमी लंबी) का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है. इसके अलावा सभी सुरंगों की खुदाई ड्रिल और ब्लास्ट पद्धति से की जा रही है. जिसमें सभी मानकों का ध्यान रखा जा रहा है. किसी प्रकार की कोई भी हानि न हो. कुछ मामलों में मकानों में दरारों की शिकायत को देखते हुए तकनीकी विशेषज्ञों से निरीक्षण किया जा रहा है. जिससे क्षति का आकलन कर मुआवजा दिया जा सके.
मुख्य प्रबंधक ने बताया कि फिलहाल, आगामी 2026 तक रेल विकास निगम लिमिटेड व्यासी तक ट्रेन पहुंचा सकेगा. हालांकि, उन्होंने ये भी दावा किया कि 2026 में ही ट्रेन कर्णप्रयाग पहुंचा देंगे. उन्होंने नदियों में चुगान से संबंधित दिक्कत के लिए उन्होंने निगम की तरफ से भी कोर्ट की शरण लेने और राज्य सरकार के स्तर पर भी मसले का हल जल्द निकलने की उम्मीद जताई है.