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kashi vishwanath corridor : महात्मा गांधी के सपने को 100 साल बाद पीएम मोदी ने किया साकार

बाबा विश्वनाथ का भव्य कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor ) बनकर तैयार हो चुका है. पीएम मोदी ने 1916 में महात्मा गांधी द्वारा देखे गए सपने को 100 साल बाद साकार कर दिया है. लगभग 32 महीने के सफर के बाद बाबा विश्वनाथ का यह भव्य धाम बनकर तैयार हो गया है.

kashi vishwanath temple
kashi vishwanath temple
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Published : Dec 12, 2021, 10:54 PM IST

वाराणसी : विश्व के नाथ बाबा विश्वनाथ का भव्य कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor) बनकर तैयार है. अब बस लोकार्पण का इंतजार है. इस भव्य कॉरिडोर के सपने को जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया तो वहीं इस सपने की नींव 1916 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi dream) ने रखी थी. जी हां 1916 में जब महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने आए थे तो उन्होंने विश्वनाथ धाम की गलियों, यहां की गंदगी को देखते हुए चिंता व्यक्त की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ धाम की नींव रखते हुए राष्ट्रपिता के इस सपने (Mahatma Gandhi dream) का जिक्र किया था और वादा किया था कि वह विश्वनाथ मंदिर की शक्ल सूरत को परिवर्तित कर इसे एक भव्य विश्वनाथ धाम का रूप देकर बापू के इस सपने को पूरा करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 32 महीने बाद महात्मा गांधी के भव्य कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor) के सपने को पूरा कर दिया.

महात्मा गांधी के सपने को पीएम मोदी ने किया पूरा

पुराणों में ऐसा कहा जाता है कि किसी समय में मां गंगा बाबा विश्वनाथ के पांव पखारती थीं, लेकिन समय के साथ मां गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच लगभग 400 मीटर की दूरी हो गई और बाबा विश्वनाथ का मंदिर (kashi vishwanath temple) दूर हो गया. वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय ने बताया कि 1916 में महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में शामिल होने आए थे तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेका था और यहां की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि यह मंदिर यदि इसी हाल में रहा तो न जाने देश कैसा होगा. लेकिन लगभग 100 साल बाद प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने का प्रण लिया और बाबा विश्वनाथ के कॉरिडोर निर्माण की नींव रखी. लगभग 32 महीने के सफर के बाद बाबा विश्वनाथ का यह भव्य धाम बनकर तैयार हो गया और महात्मा गांधी का सपना भी पूरा हो गया.

बाबा विश्वनाथ का भव्य कॉरिडोर बनकर तैयार.

परिसर में स्थापित प्रतिमाएं राष्ट्रवाद संग सनातन संस्कृति के संरक्षण का दे रहीं सन्देश

रत्नेश राय ने बताया कि इस परिसर में आदि गुरु शंकराचार्य, माता अहिल्याबाई, भारत माता और कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित है. इन प्रतिमाओं को स्थापित करने का मूल उद्देश्य यह है कि जो भी दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दरबार में आए वह इन सभी विभूतियों के बारे में जान सकें. अहिल्याबाई जिन्होंने इस मंदिर का पुनरुद्धार कराया, इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य जिन्हें महादेव का एक स्वरूप कहा जाता है, इसके साथ ही राष्ट्रवाद का सूचक भारत माता मंदिर और कार्तिकेय की प्रतिमा के विषय में लोग जान सकें और अपनी सनातन संस्कृति को समझें, जिससे उनका संरक्षण हो सके.

धाम में हैं आधुनिक सुविधाएं

वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि मां गंगा के किनारे स्थापित काशी विश्वनाथ धाम का विकास, विस्तार और सौंदर्यीकरण का काम शिव भक्तों की सुविधा और सुगम दर्शन को देखते हुए किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस आनंदकानन में विभिन्न धार्मिक कार्य को श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग भवनों का निर्माण कराया गया है. साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए यात्रा सुविधा केंद्र, दिव्यांगों के लिए वातानुकूलित इलेक्ट्रिक सीढ़ी, परिसर में मुमुक्षु भवन, इसके साथ ही अन्य तमाम तरीके के सुविधा केंद्रों की व्यवस्था की गई है. जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो और शिव भक्त आसानी से बाबा के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद ले सकें.

परिसर में लगाए गए हैं भगवान के मनपसंद वृक्ष

बाबा विश्वनाथ का परिसर सिर्फ सनातन संस्कृति के संरक्षण का ही नहीं बल्कि पर्यावरण को सहेजने का भी संदेश दे रहा है. इसी के तहत परिसर में रुद्राक्ष, नीम, आंवला, बेल के वृक्ष लगाए गए हैं. यह वृक्ष जहां एक ओर विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साक्षी बनेंगे तो वहीं दूसरी ओर इस भव्य कॉरिडोर परिसर से पूरे विश्व को पर्यावरण के प्रति सचेत रहने से संरक्षित रहने का संदेश भी दे रहे हैं.

पढ़ेंः kashi vishvnath corridor : 151 डमरु और 101 शंख की ध्वनि के साथ बाबा विश्वनाथ धाम में पीएम मोदी का होगा स्वागत

वाराणसी : विश्व के नाथ बाबा विश्वनाथ का भव्य कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor) बनकर तैयार है. अब बस लोकार्पण का इंतजार है. इस भव्य कॉरिडोर के सपने को जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया तो वहीं इस सपने की नींव 1916 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi dream) ने रखी थी. जी हां 1916 में जब महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने आए थे तो उन्होंने विश्वनाथ धाम की गलियों, यहां की गंदगी को देखते हुए चिंता व्यक्त की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ धाम की नींव रखते हुए राष्ट्रपिता के इस सपने (Mahatma Gandhi dream) का जिक्र किया था और वादा किया था कि वह विश्वनाथ मंदिर की शक्ल सूरत को परिवर्तित कर इसे एक भव्य विश्वनाथ धाम का रूप देकर बापू के इस सपने को पूरा करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 32 महीने बाद महात्मा गांधी के भव्य कॉरिडोर (kashi vishwanath corridor) के सपने को पूरा कर दिया.

महात्मा गांधी के सपने को पीएम मोदी ने किया पूरा

पुराणों में ऐसा कहा जाता है कि किसी समय में मां गंगा बाबा विश्वनाथ के पांव पखारती थीं, लेकिन समय के साथ मां गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच लगभग 400 मीटर की दूरी हो गई और बाबा विश्वनाथ का मंदिर (kashi vishwanath temple) दूर हो गया. वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय ने बताया कि 1916 में महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में शामिल होने आए थे तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेका था और यहां की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि यह मंदिर यदि इसी हाल में रहा तो न जाने देश कैसा होगा. लेकिन लगभग 100 साल बाद प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने का प्रण लिया और बाबा विश्वनाथ के कॉरिडोर निर्माण की नींव रखी. लगभग 32 महीने के सफर के बाद बाबा विश्वनाथ का यह भव्य धाम बनकर तैयार हो गया और महात्मा गांधी का सपना भी पूरा हो गया.

बाबा विश्वनाथ का भव्य कॉरिडोर बनकर तैयार.

परिसर में स्थापित प्रतिमाएं राष्ट्रवाद संग सनातन संस्कृति के संरक्षण का दे रहीं सन्देश

रत्नेश राय ने बताया कि इस परिसर में आदि गुरु शंकराचार्य, माता अहिल्याबाई, भारत माता और कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित है. इन प्रतिमाओं को स्थापित करने का मूल उद्देश्य यह है कि जो भी दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दरबार में आए वह इन सभी विभूतियों के बारे में जान सकें. अहिल्याबाई जिन्होंने इस मंदिर का पुनरुद्धार कराया, इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य जिन्हें महादेव का एक स्वरूप कहा जाता है, इसके साथ ही राष्ट्रवाद का सूचक भारत माता मंदिर और कार्तिकेय की प्रतिमा के विषय में लोग जान सकें और अपनी सनातन संस्कृति को समझें, जिससे उनका संरक्षण हो सके.

धाम में हैं आधुनिक सुविधाएं

वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि मां गंगा के किनारे स्थापित काशी विश्वनाथ धाम का विकास, विस्तार और सौंदर्यीकरण का काम शिव भक्तों की सुविधा और सुगम दर्शन को देखते हुए किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस आनंदकानन में विभिन्न धार्मिक कार्य को श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग भवनों का निर्माण कराया गया है. साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए यात्रा सुविधा केंद्र, दिव्यांगों के लिए वातानुकूलित इलेक्ट्रिक सीढ़ी, परिसर में मुमुक्षु भवन, इसके साथ ही अन्य तमाम तरीके के सुविधा केंद्रों की व्यवस्था की गई है. जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो और शिव भक्त आसानी से बाबा के दरबार में पहुंचकर उनका आशीर्वाद ले सकें.

परिसर में लगाए गए हैं भगवान के मनपसंद वृक्ष

बाबा विश्वनाथ का परिसर सिर्फ सनातन संस्कृति के संरक्षण का ही नहीं बल्कि पर्यावरण को सहेजने का भी संदेश दे रहा है. इसी के तहत परिसर में रुद्राक्ष, नीम, आंवला, बेल के वृक्ष लगाए गए हैं. यह वृक्ष जहां एक ओर विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साक्षी बनेंगे तो वहीं दूसरी ओर इस भव्य कॉरिडोर परिसर से पूरे विश्व को पर्यावरण के प्रति सचेत रहने से संरक्षित रहने का संदेश भी दे रहे हैं.

पढ़ेंः kashi vishvnath corridor : 151 डमरु और 101 शंख की ध्वनि के साथ बाबा विश्वनाथ धाम में पीएम मोदी का होगा स्वागत

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