मसूरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA), मसूरी में 96वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह में भाग लिया. उन्होंने ट्रेनी प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ये बैच बहुत स्पेशल है क्योंकि वर्तमान बैच वाले अधिकारी भारत की आजादी के 75वें वर्ष में अपना काम शुरू कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि, हममें से बहुत से लोग उस समय नहीं होंगे जब भारत अपनी आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा लेकिन अधिकारियों ये बैच, उस समय भी रहेगा. इसलिए आजादी के इस अमृतकाल में, अगले 25 साल में देश जितना विकास करेगा, उसमें बहुत बड़ी भूमिका वर्तमान अधिकारियों की भी होगी.
पीएम ने ट्रेनी आईएएस अधिकारियों को अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि, आप जितने वर्ष भी इस सेवा में रहेंगे, आपकी व्यक्तिगत और प्रोफेशनल सफलता का पैमाना यही फैक्टर रहना चाहिए. आपको एक चीज का हमेशा ध्यान रखना है और वो है 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य. ये लक्ष्य है- आत्मनिर्भर भारत का, आधुनिक भारत का.
फाइलों और फील्ड का फर्क समझाया
पीएम ने कहा कि, आपको फाइलों और फील्ड का फर्क समझते हुए ही काम करना होगा. फाइलों में आपको असली फील नहीं मिलेगी. फील के लिए आपको फील्ड से जुड़े रहना होगा. क्योंकि जो फाइलों में आंकड़े होते हैं, वो सिर्फ नंबर्स नहीं होते. हर एक आंकड़ा, हर एक नंबर, एक जीवन होता है. इसलिए आपको नंबर के लिए नहीं, हर एक जीवन के लिए काम करना है. इसके साथ ही जब हम Sense of Duty और Sense of Purpose के साथ काम करते हैं, तो हमें कोई काम बोझ नहीं लगता.
कोरोना से नई सीख
पीएम ने कहा कि, कोरोना ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, उसमें एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है. इस नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है और तेज गति से अपना विकास भी करना है. आजादी के इस अमृतकाल में हमें Reform, Perform, Transform को अगले लेवल पर ले जाना है.
यह भी पढ़ें- LBS Academy Mussoorie में फाउंडेशन कोर्स की शुरुआत, प्रशिक्षु अफसरों ने सीखे फिटनेस के गुर
बता दें, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 96वां फाउंडेशन कोर्स पहला कामन फाउंडेशन कोर्स है. फाउंडेशन कोर्स 'मिशन कर्मयोगी' पर आधारित है, इसमें नए अध्यापन और पाठ्यक्रम डिजाइन शामिल हैं. इस बैच में 16 सेवाओं के 488 ओटी और 3 रॉयल भूटान सेवाएं (प्रशासनिक, पुलिस और वन) शामिल हैं. इसका लक्ष्य सिविल सेवा क्षमता निर्माण के माध्यम से शासन में सुधार करना है.
पढ़ें- LBSNAA निदेशक के रूप में लोक रंजन का अतिरिक्त प्रभार तीन महीने बढ़ा
क्या है मिशन कर्मयोगी
बता दें कि राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम को मिशन कर्मयोगी के नाम से जाना जाता है. 'सबका प्रयास' की भावना में इसमें पद्म पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत और ग्रामीण भारत के एक व्यापक अनुभव के लिए गांव की यात्रा जैसी पहल के माध्यम से अधिकारी प्रशिक्षु को एक छात्र या नागरिक से एक लोक सेवक में बदलने पर जोर दिया गया था. अधिकारी प्रशिक्षुओं ने इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए दूरस्थ/सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों का भी दौरा किया. सभी 488 अधिकारी प्रशिक्षुओं को विभिन्न खेलों में प्रथम स्तर का ट्रेनिंग भी दी गई.