नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारतीय एथलीट दल को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा, दो दिन पहले की अद्भुत तस्वीरें, यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलता देखकर मैं ही नहीं, पूरा देश ही रोमांचित हो उठा. पूरे देश ने जैसे अपने इन योद्धाओं से कहा- विजयी भवः, विजयी भवः!
मन की बात के 79वें संस्करण में पीएम ने कहा, जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो मुझे भी इनसे गप-शप करने का, उनके बारे में जानने का और देश को बताने का अवसर मिला था. ये खिलाड़ी जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करके यहां पहुंचे हैं.
पीएम ने कहा कि इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं.
'अमृत महोत्सव' भारतवासियों का कार्यक्रम : पीएम
उन्होंने कहा कि कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें अमृत महोत्सव में देश याद कर रहा है. सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. 'अमृत महोत्सव' किसी सरकार का, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं है. यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है.
पीएम मोदी ने कहा कि रोज के काम करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं, जैसे, वोकल फॉर लोकल (Vocal for local) हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों को सपोर्ट करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए. देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, हैंडलूम कमाई का बहुत बड़ा साधन है. ये ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी, जुड़े हुए हैं. आपके छोटे-छोटे प्रयास बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 के बाद से ही 'मन की बात' में हम अक्सर खादी की बात करते हैं. ये आपका ही प्रयास है कि आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है. बात जब आजादी के आंदोलन और खादी की हो तो पूज्य बापू का स्मरण होना स्वाभाविक है. जैसे बापू के नेतृत्व में 'भारत छोड़ो आंदोलन' चला था, वैसे ही आज हर देशवासी को भारत जोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करना है.
अधिकांश सुझाव युवाओं के
पीएम ने आगे कहा, कुछ दिन पहले MyGov की ओर से 'मन की बात' के श्रोताओं को लेकर एक स्टडी की गई. स्टडी के बाद सामने आया कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब 75 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के लोग होते हैं. आप लोगों से मिले सुझाव ही मन की बात की असली ताकत है. आपके सुझाव ही मन की बात के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं. उन्होंने कहा, 'यानी, भारत की युवा शक्ति के सुझाव 'मन की बात' को दिशा दे रहे हैं. मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूं.'
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उल्लेखनीय है कि 'मन की बात' को लेकर विपक्षी दल प्राय: आरोप लगाते हैं कि इसमें प्रधानमंत्री के 'मन की बात' होती है और जनता के 'मन की बात' को प्रमुखता नहीं दी जाती. मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम में भेजे गए सभी सुझावों व विचारों पर चर्चा तो नहीं हो पाती लेकिन उनमें बहुत सारे ऐसे होते हैं जिन्हें संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है, ताकि उन पर आगे काम किया जा सके.