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कोविड दवाओं, उपकरणों की कालाबाजारी करने वालों को सख्त सजा को लेकर SC में याचिका

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिक दायर की गई है जिसमें कोरोना महामारी के दौरान दवा व चिकित्सा उपकरण और ऑक्सीजन की कालाबाजारी को नियंत्रित करने के लिए कड़ी सजा दिये जाने का अनुरोध किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : May 28, 2021, 9:25 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी वस्तुओं की जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी को नियंत्रित करने के लिए सख्त सजा दिये जाने का अनुरोध किया गया है.

अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने इस जनहित याचिका में केंद्र और राज्यों को इन गतिविधियों में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने और उनकी 100 प्रतिशत 'बेनामी संपत्तियों और आय से अधिक संपत्तियों' को जब्त करने का निर्देश देने का भी न्यायालय से अनुरोध किया है.

अधिवक्ता अश्विनी दुबे के जरिये दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुनाफाखोरी, दवाओं में मिलावट और कालाबाजारी के कारण कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया.

याचिका में जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इन अपराधों के लिए एक अध्याय शामिल करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पढ़ें - जापान भारत को 1000 वेंटिलेटर, 2000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर देगा

शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है, 'भारत के विधि आयोग को जमाखोरी, मिलावट, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया जाये.'

याचिका में कहा गया है, 'आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी के हजारों लोगों की अस्पतालों के बिस्तरों की जमाखोरी, मिलवाटी कोविड दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर जैसे जीवन रक्षक टीकों की कालाबाजारी के कारण सड़कों, वाहनों, अस्पताल परिसरों और घरों में मौत हो गई.'

इसमें कहा गया है, 'हालांकि, जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करने के लिए लोगों के खिलाफ लगभग 300 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. लेकिन न तो उनके खिलाफ एनएसए लगाया गया और न ही उनकी संपत्तियां जब्त की गई.'

पीटीआई (भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसी वस्तुओं की जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी को नियंत्रित करने के लिए सख्त सजा दिये जाने का अनुरोध किया गया है.

अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने इस जनहित याचिका में केंद्र और राज्यों को इन गतिविधियों में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने और उनकी 100 प्रतिशत 'बेनामी संपत्तियों और आय से अधिक संपत्तियों' को जब्त करने का निर्देश देने का भी न्यायालय से अनुरोध किया है.

अधिवक्ता अश्विनी दुबे के जरिये दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुनाफाखोरी, दवाओं में मिलावट और कालाबाजारी के कारण कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया.

याचिका में जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इन अपराधों के लिए एक अध्याय शामिल करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पढ़ें - जापान भारत को 1000 वेंटिलेटर, 2000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर देगा

शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है, 'भारत के विधि आयोग को जमाखोरी, मिलावट, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों की जांच करने और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया जाये.'

याचिका में कहा गया है, 'आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी के हजारों लोगों की अस्पतालों के बिस्तरों की जमाखोरी, मिलवाटी कोविड दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर जैसे जीवन रक्षक टीकों की कालाबाजारी के कारण सड़कों, वाहनों, अस्पताल परिसरों और घरों में मौत हो गई.'

इसमें कहा गया है, 'हालांकि, जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करने के लिए लोगों के खिलाफ लगभग 300 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. लेकिन न तो उनके खिलाफ एनएसए लगाया गया और न ही उनकी संपत्तियां जब्त की गई.'

पीटीआई (भाषा)

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