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भारत ने ओपेक देशों से तेल उत्पादन की कटौती में कमी करने को कहा : धर्मेन्द्र प्रधान

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक तेल कीमतों के बजाए मांग में पुनरुद्धार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं.

Pradhan on
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Published : Feb 17, 2021, 10:03 PM IST

नई दिल्ली : दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत ने बुधवार को सऊदी अरब और अन्य वैश्विक तेल उत्पादकों से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का स्तर कम करने की अपील की है. भारत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होने से आर्थिक पुनरुद्धार और मांग प्रभावित हो रही है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक तेल कीमतों के बजाए मांग में पुनरुद्धार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सऊदी अरब के फरवरी और मार्च में स्वेच्छा से 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी है. सऊदी अरब ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस समेत सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) के साथ समझौते के तहत यह कदम उठाया है.

तेल कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंची

इससे तेल कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है, जो एक साल का उच्चतम स्तर है. इससे भारत में खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया है. प्रधान ने ऊर्जा परिदृश्य पर 11वें आईईए आईईएफ ओपेक संगोष्ठी में कहा कि पिछले कुछ सप्ताह से कच्चे तेल के दाम में तेजी से पहले से मांग में गिरावट के कारण नाजुक वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार पर असर पड़ रहा है. भारत ने मुद्रास्फीति दबाव को कई मोर्चों पर काबू में किया है, लेकिन कच्चे तेल के कारण उत्पन्न महंगाई पर वह कुछ नहीं कर सकता.

विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव

उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं. इससे मांग वृद्धि पर भी असर पड़ रहा है. इससे न केवल भारत में, बल्कि दूसरे विकासशील देशों में नाजुक आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पेट्रोल की बिक्री छह महीने पहले कोविड पूर्व स्तर पर पहुंच गई थी, वह फिर से फरवरी के पहले पखवाड़े में महामारी पूर्व स्तर से नीचे आ गई है. प्रधान ने कहा कि उपभोग आधारित पुनरूद्धार की तत्काल जरूरत है.

उत्पादक देश कर रहे कटौती

उन्होंने उत्पादन में कटौती का जिक्र करते हुए कहा कि उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों का सामूहिक हित इसे बढ़ाने में है. मंत्री ने कहा कि प्रमुख उत्पादक देशों ने घोषित उत्पादन कटौती में न केवल संशोधन किया, बल्कि स्वेच्छा से अतिरिक्त कटौती भी कर रहे हैं. मैंने कोविड महामारी के कारण मांग में कमी को देखते हुए पिछले साल अप्रैल में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के उत्पादन में कटौती को लेकर संयुक्त फैसले का समर्थन किया था.

संतुलित रुख अपनाने की जरूरत

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इसे बढ़ाया जाए, क्योंकि यह उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों के हित में है. प्रधान ने कहा कि सऊदी अरब के तेल मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद और ओपेक महासचिव मोहम्मद सानुसी बारकिंडो इस बात को सुन रहे हैं. 'इस समय संतुलित रुख अपनाने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें-भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र बोले- किसानों की उपेक्षा कर कोई भी सरकार नहीं चल सकती

गौरतलब है कि ईंधन के दाम में लगातार नौवें दिन बढ़ोतरी के साथ पेट्रोल की कीमत राजस्थान में 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गई है.

नई दिल्ली : दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत ने बुधवार को सऊदी अरब और अन्य वैश्विक तेल उत्पादकों से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का स्तर कम करने की अपील की है. भारत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होने से आर्थिक पुनरुद्धार और मांग प्रभावित हो रही है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक तेल कीमतों के बजाए मांग में पुनरुद्धार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सऊदी अरब के फरवरी और मार्च में स्वेच्छा से 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी है. सऊदी अरब ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और रूस समेत सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) के साथ समझौते के तहत यह कदम उठाया है.

तेल कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंची

इससे तेल कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है, जो एक साल का उच्चतम स्तर है. इससे भारत में खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया है. प्रधान ने ऊर्जा परिदृश्य पर 11वें आईईए आईईएफ ओपेक संगोष्ठी में कहा कि पिछले कुछ सप्ताह से कच्चे तेल के दाम में तेजी से पहले से मांग में गिरावट के कारण नाजुक वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार पर असर पड़ रहा है. भारत ने मुद्रास्फीति दबाव को कई मोर्चों पर काबू में किया है, लेकिन कच्चे तेल के कारण उत्पन्न महंगाई पर वह कुछ नहीं कर सकता.

विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव

उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं. इससे मांग वृद्धि पर भी असर पड़ रहा है. इससे न केवल भारत में, बल्कि दूसरे विकासशील देशों में नाजुक आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पेट्रोल की बिक्री छह महीने पहले कोविड पूर्व स्तर पर पहुंच गई थी, वह फिर से फरवरी के पहले पखवाड़े में महामारी पूर्व स्तर से नीचे आ गई है. प्रधान ने कहा कि उपभोग आधारित पुनरूद्धार की तत्काल जरूरत है.

उत्पादक देश कर रहे कटौती

उन्होंने उत्पादन में कटौती का जिक्र करते हुए कहा कि उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों का सामूहिक हित इसे बढ़ाने में है. मंत्री ने कहा कि प्रमुख उत्पादक देशों ने घोषित उत्पादन कटौती में न केवल संशोधन किया, बल्कि स्वेच्छा से अतिरिक्त कटौती भी कर रहे हैं. मैंने कोविड महामारी के कारण मांग में कमी को देखते हुए पिछले साल अप्रैल में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के उत्पादन में कटौती को लेकर संयुक्त फैसले का समर्थन किया था.

संतुलित रुख अपनाने की जरूरत

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इसे बढ़ाया जाए, क्योंकि यह उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों के हित में है. प्रधान ने कहा कि सऊदी अरब के तेल मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद और ओपेक महासचिव मोहम्मद सानुसी बारकिंडो इस बात को सुन रहे हैं. 'इस समय संतुलित रुख अपनाने की जरूरत है.

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गौरतलब है कि ईंधन के दाम में लगातार नौवें दिन बढ़ोतरी के साथ पेट्रोल की कीमत राजस्थान में 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गई है.

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