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SC On Petitioner: याचिकाकर्ता को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए चयनात्मक रुख रखने वाला नहीं : न्यायालय - याचिकाकर्ता को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक या राजनीतिक मुद्दों पर याचिका लगाने वालों के बारे में कहा कि उन्हें धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए.

Petitioner should be secular, not selective: Court (representational photo)
याचिकाकर्ता को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए चयनात्मक रुख रखने वाला नहीं : न्यायालय (प्रतीकात्मक फोटो )
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Published : Feb 1, 2023, 10:17 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक नाम या चिह्न वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर मंगलवार को याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें अवश्य ही 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हर किसी के प्रति निष्पक्ष' होना चाहिए. शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस बारे में विचार करेगा कि क्या इस विषय को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की ओर से पेश हुए वकील द्वारा सैयद वसीम रिजवी की पीआईएल पर आपत्ति जताते हुए यह कहा. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ इन दो दलों को पक्षकार बनाया है जिनके मुस्लिम नाम हैं, लेकिन अन्य धर्मों से संबंधित नाम या चिह्न वाले दलों को छोड़ दिया गया है.

एआईएमआईएम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने भी कहा कि न्यायालय विषय को पांच न्यायाधीशों की एक वृहद पीठ के पास भेजने पर विचार कर सकता है क्योंकि किसी भी आदेश के दूरगामी परिणाम होंगे. न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि न्यायालय इस बारे में विचार करेगा कि विषय को वृहद पीठ के पास भेजा जाए या नहीं.

पीठ ने रिजवी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया से कहा, 'आपको अन्य पक्षों द्वारा जताई गई आपत्तियों को ध्यान में रखना चाहिए...' न्यायालय ने कहा, 'यह जरूरी नहीं है कि आप धार्मिक नाम वाले सभी राजनीतिक दलों को शामिल करें, बल्कि आप कम से कम एक धर्म या चिह्न वाली पार्टी को शामिल कर सकते हैं. ये आरोप नहीं होने चाहिए कि आप एक खास धर्म के खिलाफ जा रहे हैं.'

ये भी पढ़ें- AIMIM TELLS SC : 'पार्टी के नाम में 'मुस्लिमीन' शब्द का इस्तेमाल धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन नहीं'

रिजवी ने पीआईएल में अन्य निर्देशों के साथ-साथ धार्मिक नाम वाले राजनीतिक दलों को आवंटित चिह्न या नाम रद्द करने का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने भाटिया से कहा, 'आपसे यह कहा जा रहा है कि याचिकाकर्ता को धर्मनिरपेक्ष और हर किसी के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए.' पीठ ने विषय की अगली सुनवाई 20 मार्च के लिए निर्धारित कर दी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक नाम या चिह्न वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर मंगलवार को याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें अवश्य ही 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हर किसी के प्रति निष्पक्ष' होना चाहिए. शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस बारे में विचार करेगा कि क्या इस विषय को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की ओर से पेश हुए वकील द्वारा सैयद वसीम रिजवी की पीआईएल पर आपत्ति जताते हुए यह कहा. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ इन दो दलों को पक्षकार बनाया है जिनके मुस्लिम नाम हैं, लेकिन अन्य धर्मों से संबंधित नाम या चिह्न वाले दलों को छोड़ दिया गया है.

एआईएमआईएम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने भी कहा कि न्यायालय विषय को पांच न्यायाधीशों की एक वृहद पीठ के पास भेजने पर विचार कर सकता है क्योंकि किसी भी आदेश के दूरगामी परिणाम होंगे. न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि न्यायालय इस बारे में विचार करेगा कि विषय को वृहद पीठ के पास भेजा जाए या नहीं.

पीठ ने रिजवी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया से कहा, 'आपको अन्य पक्षों द्वारा जताई गई आपत्तियों को ध्यान में रखना चाहिए...' न्यायालय ने कहा, 'यह जरूरी नहीं है कि आप धार्मिक नाम वाले सभी राजनीतिक दलों को शामिल करें, बल्कि आप कम से कम एक धर्म या चिह्न वाली पार्टी को शामिल कर सकते हैं. ये आरोप नहीं होने चाहिए कि आप एक खास धर्म के खिलाफ जा रहे हैं.'

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रिजवी ने पीआईएल में अन्य निर्देशों के साथ-साथ धार्मिक नाम वाले राजनीतिक दलों को आवंटित चिह्न या नाम रद्द करने का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने भाटिया से कहा, 'आपसे यह कहा जा रहा है कि याचिकाकर्ता को धर्मनिरपेक्ष और हर किसी के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए.' पीठ ने विषय की अगली सुनवाई 20 मार्च के लिए निर्धारित कर दी.

(पीटीआई-भाषा)

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