नई दिल्ली : सरकार के तमाम दावों के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑक्सीजन की किल्लत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. दिल्ली के बवाना स्थित सालासर ऑक्सीजन प्लांट के बाहर भी सोमवार को सैकड़ों लोगों की भीड़ खाली ऑक्सीजन सिलेंडर लिए घंटों लाइन में खड़ी दिखी. परेशान लोगों का कहना था कि वह पिछले 24 घंटों से भी ज्यादा समय से प्लांट के बाहर इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है.
कोरोना महामारी के दूसरे दौर में लगातार बढ़ते संक्रमितों की संख्या के बीच ऑक्सीजन और जरूरी दवाइयों की किल्लत लगातार सामने आती रही है. दिल्ली में सरकार ने ऑक्सीजन प्लांटों पर अंकुश लगाते हुए उनका कोटा तय कर दिया है और उन्हें निर्देश जारी किए हैं कि वह पहले अस्पतालों को प्राथमिकता में रखें और आम लोगों को उसके बाद ही ऑक्सीजन वितरित करें, लेकिन प्लांट्स के बाहर आक्रोशित लोगों का कहना है कि जब वह अस्पताल में जाते हैं, तो वहां बेड उपलब्ध न होने का हवाला देकर वापस भेज दिया जाता है.
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इतना ही नहीं जब घर में रह रहे मरीज के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, तो प्लांट्स में उन्हें ऑक्सीजन नहीं दिया जाता. ऐसी परिस्थिति में उनके पास अपने परिजनों को सांसों के लिए तरसते और मरते देखने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. हालांकि, ऑक्सीजन प्लांट के मालिक इस बात का खंडन कर रहे हैं कि वह लोगों को ऑक्सीजन नहीं दे पा रहे हैं.
सालासर ऑक्सीजन प्लांट बवाना के मालिक अभिषेक गुप्ता का कहना है कि नए निर्देशों के अनुसार, उन्हें SOS और अस्पतालों को प्राथमिकता में रखना है, उसके बाद आम लोगों को ऑक्सीजन देना है. कोटा में कमी के कारण लोगों को ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन ऑक्सीजन सभी को उपलब्ध कराने का वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
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प्लांट मालिक के स्पष्टीकरण से ऑक्सीजन प्लांट के बाहर की तस्वीरें मेल नहीं खाती. लोग अपनी परेशानी के लिए सरकार और प्रशासन को ही जिम्मेदार मानते हैं. निश्चित रूप से ऑक्सीजन की कमी एक तथ्य है, जिसे नकारा नहीं जा सकता.