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जम्मू-कश्मीर के लोगों को धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद: उमर अब्दुल्ला - नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि केंद्र का हलफनामा यह दावा करता है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने से क्षेत्र में अभूतपूर्व शांति आई है, यह वास्तविकता को छिपाने का एक प्रयास था. उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुरू होने का स्वागत किया है.

National Conference Vice President Omar Abdullah
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला
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Published : Jul 11, 2023, 9:35 PM IST

Updated : Jul 11, 2023, 9:43 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंततः सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, जो पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि वह 2 अगस्त से दैनिक आधार पर मामले की सुनवाई करेगी.

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि अनुच्छेद 370 बहाल करने के पक्ष में एक मजबूत मामला है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी दादी एवं नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पत्नी बेगम अकबर जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि मामले को उच्चतम न्यायालय में सूचीबद्ध होने में चार साल लगा. इससे यह प्रदर्शित होता है कि हमारा मामला कितना मजबूत है.

उन्होंने कहा कि इतना लंबा समय लगा, क्योंकि पांच अगस्त 2019 को संविधान को नष्ट कर दिया गया था. उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने को पर्यटन तथा जी20 कार्यक्रमों से जोड़कर देखा जा सकता है, लेकिन जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त किया जाना गलत है. उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार का पक्ष कमजोर है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे सूचीबद्ध कराने तक की कोशिश नहीं की. यदि सरकार इच्छुक थी तो उसने उच्चतम न्यायालय से इसकी शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया होता.

उन्होंने कहा कि शुक्र है कि प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश यहां आए और लौटने पर, इसे सूचीबद्ध किया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर केंद्र के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का शीर्ष न्यायालय का फैसला उनके इस रुख का समर्थन करता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के कदम का ठोस तार्किक आधार नहीं था.

महबूबा ने कहा कि इस बारे में वास्तविक आशंकाएं जताई गई हैं कि चार साल तक चुप रहने के बाद उच्चतम न्यायालय ने इतनी तत्परता से याचिकाओं को क्यों सूचीबद्ध किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला यह पुष्टि करता है कि अनुच्छेद 370 को अवैध रूप से निरस्त करने को उचित ठहराने के लिए उसके पास तार्किक व्याख्या नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि ...उम्मीद है कि इस विषय के बारे में बहुत कम जानने वाले लोगों के सामूहिक अंत:करण को संतुष्ट करने के लिए इस देश के संविधान का बलिदान नहीं दिया जाएगा. नेकां के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि प्रधान न्यायधीश दो अगस्त से प्रतिदिन याचिकाओं की सुनवाई करेंगे. इससे जम्मू कश्मीर के लोगों में उम्मीद जगी हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग पिछले चार साल साल से इस दिन का इंतजार कर रहे थे. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम वाई तारिगामी ने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक हस्तक्षेप है. हम इसका स्वागत करते हैं. हमें उम्मीद है कि न्याय होगा. केंद्र ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया था.

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंततः सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, जो पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि वह 2 अगस्त से दैनिक आधार पर मामले की सुनवाई करेगी.

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि अनुच्छेद 370 बहाल करने के पक्ष में एक मजबूत मामला है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी दादी एवं नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पत्नी बेगम अकबर जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि मामले को उच्चतम न्यायालय में सूचीबद्ध होने में चार साल लगा. इससे यह प्रदर्शित होता है कि हमारा मामला कितना मजबूत है.

उन्होंने कहा कि इतना लंबा समय लगा, क्योंकि पांच अगस्त 2019 को संविधान को नष्ट कर दिया गया था. उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने को पर्यटन तथा जी20 कार्यक्रमों से जोड़कर देखा जा सकता है, लेकिन जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त किया जाना गलत है. उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार का पक्ष कमजोर है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे सूचीबद्ध कराने तक की कोशिश नहीं की. यदि सरकार इच्छुक थी तो उसने उच्चतम न्यायालय से इसकी शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया होता.

उन्होंने कहा कि शुक्र है कि प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश यहां आए और लौटने पर, इसे सूचीबद्ध किया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर केंद्र के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का शीर्ष न्यायालय का फैसला उनके इस रुख का समर्थन करता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के कदम का ठोस तार्किक आधार नहीं था.

महबूबा ने कहा कि इस बारे में वास्तविक आशंकाएं जताई गई हैं कि चार साल तक चुप रहने के बाद उच्चतम न्यायालय ने इतनी तत्परता से याचिकाओं को क्यों सूचीबद्ध किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला यह पुष्टि करता है कि अनुच्छेद 370 को अवैध रूप से निरस्त करने को उचित ठहराने के लिए उसके पास तार्किक व्याख्या नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि ...उम्मीद है कि इस विषय के बारे में बहुत कम जानने वाले लोगों के सामूहिक अंत:करण को संतुष्ट करने के लिए इस देश के संविधान का बलिदान नहीं दिया जाएगा. नेकां के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि प्रधान न्यायधीश दो अगस्त से प्रतिदिन याचिकाओं की सुनवाई करेंगे. इससे जम्मू कश्मीर के लोगों में उम्मीद जगी हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग पिछले चार साल साल से इस दिन का इंतजार कर रहे थे. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम वाई तारिगामी ने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक हस्तक्षेप है. हम इसका स्वागत करते हैं. हमें उम्मीद है कि न्याय होगा. केंद्र ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया था.

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

Last Updated : Jul 11, 2023, 9:43 PM IST
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