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India VS Bharat : 'लोग इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं', कोर्ट ने 2016 में याचिका खारिज करते हुए कहा था - सुप्रीम कोर्ट

देश में भारत बनाम इंडिया को लेकर सियासत तेज है. लेकिन कोर्ट की बात की जाए तो उसने कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं (India VS Bharat ).

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उच्चतम न्यायालय
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2023, 10:53 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सभी उद्देश्यों के लिए 'इंडिया' को 'भारत' कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका 2016 में खारिज करते हुए कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं (India VS Bharat).

जी20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' (भारत की राष्ट्रपति) लिखे जाने के बाद राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ने के मद्देनजर, शीर्ष न्यायालय द्वारा इस याचिका को खारिज किया जाना प्रासंगिक हो गया है.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था, 'भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिये. कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए.'

दोनों न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जी20 निमंत्रण पत्र को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे केंद्र ने शीर्ष न्यायालय से नवंबर 2015 में कहा था कि देश को 'इंडिया' के बजाय 'भारत' नहीं कहा जाए.

न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है. संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, 'इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है.'

जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अनुच्छेद एक के उपबंध आम सहमति से अंगीकृत किए गए थे.

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को आड़े हाथ लिया था और उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि इसके पास करने के लिए और कुछ नहीं है, तथा उन्हें याद दिलाया था कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं. पीठ ने 11 मार्च 2016 को कहा था, 'जनहित याचिका गरीबों के लिए है. आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है.'

याचिका में, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि सभी आधिकारिक और गैर आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वे भारत शब्द का इस्तेमाल करें. याचिका में कहा गया था कि संविधान सभा में देश के लिए सुझाये गये प्रमुख नामों में 'भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष तथा इस तरह के अन्य नाम थे.'

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Journey Of Bharat : ऋग्वेद से लेकर संविधान तक 'भारत' की यात्रा के बारे में जानिए सबकुछ

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सभी उद्देश्यों के लिए 'इंडिया' को 'भारत' कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका 2016 में खारिज करते हुए कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं (India VS Bharat).

जी20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' (भारत की राष्ट्रपति) लिखे जाने के बाद राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ने के मद्देनजर, शीर्ष न्यायालय द्वारा इस याचिका को खारिज किया जाना प्रासंगिक हो गया है.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था, 'भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिये. कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए.'

दोनों न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जी20 निमंत्रण पत्र को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे केंद्र ने शीर्ष न्यायालय से नवंबर 2015 में कहा था कि देश को 'इंडिया' के बजाय 'भारत' नहीं कहा जाए.

न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है. संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, 'इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है.'

जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अनुच्छेद एक के उपबंध आम सहमति से अंगीकृत किए गए थे.

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को आड़े हाथ लिया था और उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि इसके पास करने के लिए और कुछ नहीं है, तथा उन्हें याद दिलाया था कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं. पीठ ने 11 मार्च 2016 को कहा था, 'जनहित याचिका गरीबों के लिए है. आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है.'

याचिका में, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि सभी आधिकारिक और गैर आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वे भारत शब्द का इस्तेमाल करें. याचिका में कहा गया था कि संविधान सभा में देश के लिए सुझाये गये प्रमुख नामों में 'भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष तथा इस तरह के अन्य नाम थे.'

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