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छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से लोग हो रहे बीमार, इलाज के लिए विशेष अस्पताल का क्या है हाल, जानिए - प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण

People are sick due to pollution in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में महीने भर पहले पहले 8 स्पेशल अस्पताल खोले गए हैं. जिसे एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक यानी एआरआई नाम दिया गया है. इनमें क्लाइमेट चेंज और प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है. इसकी राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग हो रही है. आइये जानते हैं एक महीने में प्रदूषण की वजह से कितने मरीज अस्पताल पहुंचे? किस तरह की बीमारी से लोग ग्रसित हैं और बचाव के क्या उपाय हैं?

छत्तीसगढ़ में प्रदूषण
छत्तीसगढ़ में प्रदूषण
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Published : Oct 13, 2022, 2:27 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के 8 शहरों में पिछले महीने ही एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक यानी एआरआई शुरू किए गए हैं. इनमें रायपुर, बलौदा, दुर्ग, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, बिलासपुर और जांजगीर चांपा जिला शामिल हैं. महीने भर में ही इन अस्पतालों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं. एआरआई क्लीनिक में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के साथ, गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों और फेफड़े और सांस की बीमारियों के मरीजों पर फोकस किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से लोग हो रहे बीमार

एक महीने में 3600 से ज्यादा मरीज: छत्तीसगढ़ के 8 क्लीनिकों में एक महीने में ही 3,600 से ज्यादा मरीज पहुंच गए हैं, जिनकी बीमारी का कारण प्रदूषण है. प्रदेश के इन 8 क्लीनिकों में रोज इलाज के लिए लगभग सौ मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें सर्वाधिक औसतन 50 मरीज रायपुर में हैं.

बीमार मरीजों की राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग: प्रदेश के 8 जिलों को औद्योगिक प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. उनमें इस तरह के क्लीनिक पहली बार शुरू किए गए हैं। इनमें क्लाइमेट चेंज और प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है। इसकी राज्य स्तरीय पर मॉनिटरिंग हो रही है.

कौनसी बीमारी से ग्रसित हैं लोग: लोगों को सांस संबंधित रोग जैसे दमा, सांस फूलने की शिकायत, निमोनिया, टीबी, चेस्ट कैंसर के साथ ही स्किन एलर्जी और कैंसर जैसे गंभीर रोग हो रहे हैं. नाक कान गला स्पेशलिस्ट और आईएमए सीनियर सदस्य डॉ राकेश गुप्ता के मुताबिक ''प्रदूषण की वजह से लोगों को श्वास और नाक से संबंधी बीमारी ज्यादा हो रही है. श्वास नली और फेफड़ों में स्थाई किस्म के रोग भी हो रहे हैं. खासकर उद्योगों और प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोग इससे ज्यादा ग्रसित हैं. उद्योगों से हो रहे प्रदूषण की वजह से लोगों में हो रही स्थाई बीमारी इतनी घातक है, कि उससे मरीज की मौत भी हो सकती है. लोगों की औसत आयु में भी कमी आ रही है.''

यह भी पढ़ें: ED raid in chhattishgarh : रायगढ़ खनिज विभाग में ED की दबिश, IAS समीर विश्नोई समेत अन्य आरोपी हो सकते हैं कोर्ट में पेश

प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण: डॉ राकेश गुप्ता के मुताबिक औद्योगिक प्रदूषण से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है. लोग जल्दी थक जाते हैं. सांस फूलने लगती है. ऐसे लक्षण दिखने पर मेडिकल जांच कराई कराना चाहिए. जांच से बीमारी का पता चल सकता है. सही समय पर उपचार किया जा सकता है. इसके लिए प्रावधान भी है कि फैक्ट्री मालिक अपने यहां काम करने वाले वर्करों का चेकअप कराएं और यह पता करें कि उन्हें कोई बीमारी तो नहीं है.

रोज कितने मरीज आ रहे: वर्तमान में रायपुर जिला अस्पताल स्थित एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक में डॉ अंकित शर्मा मरीजों का उपचार कर रहे हैं. डॉ अंकित शर्मा का कहना है कि ''दिन में करीब 25 से 30 मरीज रोज आ रहे हैं . इनमें 5 से 7 मरीज श्वास से संबंधित बीमारियों से ग्रसित होते हैं. इन मरीजों का उपचार के साथ एक डाटा भी कलेक्ट किया जाता है. जिसमें मरीजों से जानकारी ली जाती है कि वह किस तरह के काम करते हैं. क्या फैक्ट्री और कोल माइंस में काम करते हैं. किस एरिया में रहते हैं. धूम्रपान करते हैं या नहीं. महिलाओं से चूल्हा फूकने जैसी जानकारी भी ली जाती है ताकि यह पता चल सके कि उन्हें होने वाली बीमारी की मुख्य वजह क्या है. क्या वे औद्योगिक प्रदूषण की वजह से बीमार हैं या फिर उनकी बीमारी की वजह कुछ और है.

लोगों को जागरूक कर रहे: डॉ अंकित शर्मा ने बताया कि '' लोगों को जागरूक करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इस समय सबसे ज्यादा फोकस रायपुर और कोरबा पर किया जा रहा है, क्योंकि दोनों जिलों में श्वास संबंधी मरीजों की संख्या ज्यादा है.''

क्यों बढ़ रहा औद्योगिक प्रदूषण: नाक कान गला स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि ''प्रदूषण को रोकने के लिए शासन प्रशासन ने कई नियम और कानून बनाए हैं लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं होता. उद्योगों की वजह से प्रदूषण में कमी नहीं आ रही है. इसका खामियाजा उन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है.''

औद्योगिक प्रदूषण से बचाव के उपाय: लोगों को जागरूक करना जरूरी है. प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनना चाहिए. नाक के लिए फिल्टर आता है. फिल्टर का उपयोग करें. औद्योगिक प्रदूषण कैसे कम किया जाए, उस पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. यह काम इंडस्ट्रियल मालिक और वहां रहने वाले लोग मिलकर जागरूकता से ही कर सकते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के 8 शहरों में पिछले महीने ही एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक यानी एआरआई शुरू किए गए हैं. इनमें रायपुर, बलौदा, दुर्ग, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, बिलासपुर और जांजगीर चांपा जिला शामिल हैं. महीने भर में ही इन अस्पतालों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं. एआरआई क्लीनिक में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के साथ, गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों और फेफड़े और सांस की बीमारियों के मरीजों पर फोकस किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से लोग हो रहे बीमार

एक महीने में 3600 से ज्यादा मरीज: छत्तीसगढ़ के 8 क्लीनिकों में एक महीने में ही 3,600 से ज्यादा मरीज पहुंच गए हैं, जिनकी बीमारी का कारण प्रदूषण है. प्रदेश के इन 8 क्लीनिकों में रोज इलाज के लिए लगभग सौ मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें सर्वाधिक औसतन 50 मरीज रायपुर में हैं.

बीमार मरीजों की राज्यस्तरीय मॉनिटरिंग: प्रदेश के 8 जिलों को औद्योगिक प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. उनमें इस तरह के क्लीनिक पहली बार शुरू किए गए हैं। इनमें क्लाइमेट चेंज और प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है। इसकी राज्य स्तरीय पर मॉनिटरिंग हो रही है.

कौनसी बीमारी से ग्रसित हैं लोग: लोगों को सांस संबंधित रोग जैसे दमा, सांस फूलने की शिकायत, निमोनिया, टीबी, चेस्ट कैंसर के साथ ही स्किन एलर्जी और कैंसर जैसे गंभीर रोग हो रहे हैं. नाक कान गला स्पेशलिस्ट और आईएमए सीनियर सदस्य डॉ राकेश गुप्ता के मुताबिक ''प्रदूषण की वजह से लोगों को श्वास और नाक से संबंधी बीमारी ज्यादा हो रही है. श्वास नली और फेफड़ों में स्थाई किस्म के रोग भी हो रहे हैं. खासकर उद्योगों और प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोग इससे ज्यादा ग्रसित हैं. उद्योगों से हो रहे प्रदूषण की वजह से लोगों में हो रही स्थाई बीमारी इतनी घातक है, कि उससे मरीज की मौत भी हो सकती है. लोगों की औसत आयु में भी कमी आ रही है.''

यह भी पढ़ें: ED raid in chhattishgarh : रायगढ़ खनिज विभाग में ED की दबिश, IAS समीर विश्नोई समेत अन्य आरोपी हो सकते हैं कोर्ट में पेश

प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण: डॉ राकेश गुप्ता के मुताबिक औद्योगिक प्रदूषण से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है. लोग जल्दी थक जाते हैं. सांस फूलने लगती है. ऐसे लक्षण दिखने पर मेडिकल जांच कराई कराना चाहिए. जांच से बीमारी का पता चल सकता है. सही समय पर उपचार किया जा सकता है. इसके लिए प्रावधान भी है कि फैक्ट्री मालिक अपने यहां काम करने वाले वर्करों का चेकअप कराएं और यह पता करें कि उन्हें कोई बीमारी तो नहीं है.

रोज कितने मरीज आ रहे: वर्तमान में रायपुर जिला अस्पताल स्थित एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक में डॉ अंकित शर्मा मरीजों का उपचार कर रहे हैं. डॉ अंकित शर्मा का कहना है कि ''दिन में करीब 25 से 30 मरीज रोज आ रहे हैं . इनमें 5 से 7 मरीज श्वास से संबंधित बीमारियों से ग्रसित होते हैं. इन मरीजों का उपचार के साथ एक डाटा भी कलेक्ट किया जाता है. जिसमें मरीजों से जानकारी ली जाती है कि वह किस तरह के काम करते हैं. क्या फैक्ट्री और कोल माइंस में काम करते हैं. किस एरिया में रहते हैं. धूम्रपान करते हैं या नहीं. महिलाओं से चूल्हा फूकने जैसी जानकारी भी ली जाती है ताकि यह पता चल सके कि उन्हें होने वाली बीमारी की मुख्य वजह क्या है. क्या वे औद्योगिक प्रदूषण की वजह से बीमार हैं या फिर उनकी बीमारी की वजह कुछ और है.

लोगों को जागरूक कर रहे: डॉ अंकित शर्मा ने बताया कि '' लोगों को जागरूक करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इस समय सबसे ज्यादा फोकस रायपुर और कोरबा पर किया जा रहा है, क्योंकि दोनों जिलों में श्वास संबंधी मरीजों की संख्या ज्यादा है.''

क्यों बढ़ रहा औद्योगिक प्रदूषण: नाक कान गला स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि ''प्रदूषण को रोकने के लिए शासन प्रशासन ने कई नियम और कानून बनाए हैं लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं होता. उद्योगों की वजह से प्रदूषण में कमी नहीं आ रही है. इसका खामियाजा उन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है.''

औद्योगिक प्रदूषण से बचाव के उपाय: लोगों को जागरूक करना जरूरी है. प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनना चाहिए. नाक के लिए फिल्टर आता है. फिल्टर का उपयोग करें. औद्योगिक प्रदूषण कैसे कम किया जाए, उस पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. यह काम इंडस्ट्रियल मालिक और वहां रहने वाले लोग मिलकर जागरूकता से ही कर सकते हैं.

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