बस्तर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में 7 नवबंर को पहले चरण में बस्तर संभाग की सभी 12 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा. छत्तीसगढ़ का बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. हर बार नक्सली बैनर पोस्टर लगाकर चुनाव बहिष्कार करते हैं और हिंसा भी फैलाते हैं. लिहाजा इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना बड़ी चुनौती है.
पिछले 23 सालों में 120 नेताओं की हत्या: अक्सर चुनाव के दौरान बस्तर के संवेदनशील इलाकों में जनप्रतिनिधियों पर नक्सलियों का खतरा बढ़ जाता है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक पिछले 23 सालों में 1700 आम नागरिकों की हत्या और 1200 जवानों की हत्या नक्सलियों ने की है. वहीं करीब 120 नेताओं की हत्या नक्सलियों ने की है. इन वारदातों में झीरम कांड भी शामिल है. मरने वाले नेताओं में बीजेपी, कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता भी शामिल हैं. हालांकि बीते कुछ सालों में ऐसी घटनाओं में कमी देखने को मिली है. खासकर चुनाव के दौरान इनके निशाने पर जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सुरक्षाबल के जवान और निर्दोष ग्रामीण होते हैं. टारगेट के तहत नक्सली इस दौरान हत्या को अंजाम देते हैं. इसे देखते हुए क्षेत्र में पुलिस बल पहले से ही अलर्ट हैं. क्षेत्र में चुनाव को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ताकि कोई घटना न हो.
बस्तर के जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा के लिहाज से Z+ कैटेगरी, X-Y-Z कैटेगरी के तहत सुरक्षा दी गई है. हाल ही में बस्तर के 24 भाजपा के नेताओं को सुरक्षा दी गई है. - सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
झीरम कांड में मारे गए थे नक्सली: साल 2013 में दरभा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेसी नेताओं पर हमला कर दिया था. पहले से नक्सली घात लगाकर बैठे थे. कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा जैसे ही झीरम पहुंची, नक्सलियों ने हमला कर दिया. इस हमले में कांग्रेस की एक पीढ़ी ही खत्म हो गई. इसके अलावा नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के अंदरुनी इलाकों में भी नक्सलियों ने अलग-अलग समय में जनप्रतिनिधियों को मार गिराया था. साल 2023 में भी नक्सलियों ने नेताओं की हत्या की है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को देखते हुए बस्तर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चुनावी प्रचार को लेकर भी बस्तर पुलिस पहले से सतर्क है. सभी जनप्रतिनिधियों को चुनावी प्रचार के दौरान सुरक्षा दी जा रही है.