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पीडीपी नेता मदनी ने जमानत में छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

बेंगलुरु ब्लास्ट मामले में आरोपी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता अब्दुल नजीर मदनी ने अपनी जमानत शर्तों में राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. अब्दुल नजीर अपने गृहनगर जाने की अनुमति चाहता है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 2, 2021, 4:34 PM IST

नई दिल्ली : बेंगलुरु ब्लास्ट मामले में आरोपी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता अब्दुल नजीर मदनी ने अपनी जमानत शर्तों में राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है.

अब्दुल नजीर अपने गृहनगर जाने की अनुमति चाहते हैं जबकि उन्हे अपने मुकदमे की लंबित अवधि तक केरल में अपने गृहनगर जाने की अनुमति नहीं है. शीर्ष अदालत ने 2014 में उनकी सुनवाई पूरी होने तक सशर्त जमानत दी थी. अदालत ने अब्दुल नजीर मदनी को बेंगलुरु छोड़ने पर रोक लगा दी थी.

मदनी ने अपनी याचिका में कहा है कि छह साल बाद भी मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई हैं. अभी कोई भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए किसी भी तरह की संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि अदालत इस मामले में बहुत सुस्त गति से कार्रवाई कर रही है. इसके अलावा कोई भी पीठासीन अधिकारी भी नहीं है.

याचिका में मदनी ने कहा कि कई मौकों पर कई वजहों से ट्रायल में देरी हुई. यहां तक कि समय पर गवाह को लाने में देरी के कारण भी ट्रायल में देरी हुई है.

पढ़ें : दाउद का गुर्गा दानिश चिकना गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार अब्दुल नजीर ने अपनी गिरफ्तारी के बाद 11 साल जेल में बिताएं और सशर्त जमानत की सजा काट चुका है.

अब्दुल नजीर मदनी ने यह भी कहा है कि बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते और यहां पर ठीक से उपचार ना हो पाने के कारण उसको जमानत शर्तों में राहत प्रदान करना चाहिए. याचिका में उन्होंने अपने पिता कि बिगड़ती तबीयत का भी हवाला दिया है.

नई दिल्ली : बेंगलुरु ब्लास्ट मामले में आरोपी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता अब्दुल नजीर मदनी ने अपनी जमानत शर्तों में राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है.

अब्दुल नजीर अपने गृहनगर जाने की अनुमति चाहते हैं जबकि उन्हे अपने मुकदमे की लंबित अवधि तक केरल में अपने गृहनगर जाने की अनुमति नहीं है. शीर्ष अदालत ने 2014 में उनकी सुनवाई पूरी होने तक सशर्त जमानत दी थी. अदालत ने अब्दुल नजीर मदनी को बेंगलुरु छोड़ने पर रोक लगा दी थी.

मदनी ने अपनी याचिका में कहा है कि छह साल बाद भी मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई हैं. अभी कोई भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए किसी भी तरह की संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि अदालत इस मामले में बहुत सुस्त गति से कार्रवाई कर रही है. इसके अलावा कोई भी पीठासीन अधिकारी भी नहीं है.

याचिका में मदनी ने कहा कि कई मौकों पर कई वजहों से ट्रायल में देरी हुई. यहां तक कि समय पर गवाह को लाने में देरी के कारण भी ट्रायल में देरी हुई है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार अब्दुल नजीर ने अपनी गिरफ्तारी के बाद 11 साल जेल में बिताएं और सशर्त जमानत की सजा काट चुका है.

अब्दुल नजीर मदनी ने यह भी कहा है कि बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते और यहां पर ठीक से उपचार ना हो पाने के कारण उसको जमानत शर्तों में राहत प्रदान करना चाहिए. याचिका में उन्होंने अपने पिता कि बिगड़ती तबीयत का भी हवाला दिया है.

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