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रतलाम सिविल अस्पताल के गेट पर इलाज के लिए तड़पता रहा मरीज, बेटे की गोद में निकला दम - ऑक्सीजन लेवल

हरियाखेड़ा गांव के 70 वर्षीय निवासी ओंकारलाल पाटीदार की तबीयत खराब होने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए जावरा के सिविल हॉस्पिटल में लाए थे. मरीज को लेकर वह अस्पताल के ओपीडी कक्ष के बाहर करीब डेढ़ घंटे तक बैठे रहे, इलाज नहीं मिलने पर बुजुर्ग पिता की बेटे की गोद में मौत हो गई.

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Published : May 9, 2021, 8:15 PM IST

रतलाम : जिले के जावरा में शनिवार को एक बुजुर्ग की सिविल अस्पताल के गेट पर इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि वे अपने मरीज को इलाज के लिए सिविल अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन करीब डेढ़ घंटे तक उनके मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, जिसके कारण सिविल अस्पताल के बाहर कार में ही उनकी मौत हो गई.

बेटे की गोद में तोड़ा दम

परिजनों के मुताबिक, हरियाखेड़ा गांव के 70 वर्षीय निवासी ओंकारलाल पाटीदार की तबीयत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए उन्हें जावरा के सिविल हॉस्पिटल लाया गया था. लेकिन हॉस्पिटल का कोई भी वार्ड ब्वाय या कर्मचारी उन्हें अंदर नहीं ले गया, मरीज को लेकर वह अस्पताल के ओपीडी कक्ष के बाहर करीब डेढ़ घंटे तक कार में अस्पताल स्टाफ का इंतजार करते रहे. लेकिन कोई नहीं आया और बुजुर्ग की मौत बेटे की गोद में हो गई.

बेटे की गोद में पिता की मौत.

परिजनों में आक्रोश

अस्पताल के बाहर बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने आक्रोश में आकर काफी देर तक हंगामा किया. इसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और पुलिस अधिकारियों ने परिजनों को शांत कराया. जानकारी के मुताबिक, बुजुर्ग को सांस लेने में दिक्कत थी और उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई.

अस्पताल की दलील

बुजुर्ग की मौत को बाद पुलिस शव को कब्जे में लेकर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शव का अंतिम संस्कार करना चाहती थी, लेकिन इससे पहले उनके परिजन शव को लेकर गांव रवाना हो गए. इस मामले को लेकर अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि मरीज की हालत काफी नाजुक थी. उसे डॉक्टरों ने देखा भी, लेकिन उसकी मौत हो गई. बकौल अस्पताल, अस्पताल में सुविधा बढ़ाई जा रही है, यहां जावरा सहित आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं.

पढ़ेंः कर्नाटक: घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिला बेड, दो मरीजों की मौत

रतलाम : जिले के जावरा में शनिवार को एक बुजुर्ग की सिविल अस्पताल के गेट पर इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि वे अपने मरीज को इलाज के लिए सिविल अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन करीब डेढ़ घंटे तक उनके मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, जिसके कारण सिविल अस्पताल के बाहर कार में ही उनकी मौत हो गई.

बेटे की गोद में तोड़ा दम

परिजनों के मुताबिक, हरियाखेड़ा गांव के 70 वर्षीय निवासी ओंकारलाल पाटीदार की तबीयत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए उन्हें जावरा के सिविल हॉस्पिटल लाया गया था. लेकिन हॉस्पिटल का कोई भी वार्ड ब्वाय या कर्मचारी उन्हें अंदर नहीं ले गया, मरीज को लेकर वह अस्पताल के ओपीडी कक्ष के बाहर करीब डेढ़ घंटे तक कार में अस्पताल स्टाफ का इंतजार करते रहे. लेकिन कोई नहीं आया और बुजुर्ग की मौत बेटे की गोद में हो गई.

बेटे की गोद में पिता की मौत.

परिजनों में आक्रोश

अस्पताल के बाहर बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने आक्रोश में आकर काफी देर तक हंगामा किया. इसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और पुलिस अधिकारियों ने परिजनों को शांत कराया. जानकारी के मुताबिक, बुजुर्ग को सांस लेने में दिक्कत थी और उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई.

अस्पताल की दलील

बुजुर्ग की मौत को बाद पुलिस शव को कब्जे में लेकर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शव का अंतिम संस्कार करना चाहती थी, लेकिन इससे पहले उनके परिजन शव को लेकर गांव रवाना हो गए. इस मामले को लेकर अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि मरीज की हालत काफी नाजुक थी. उसे डॉक्टरों ने देखा भी, लेकिन उसकी मौत हो गई. बकौल अस्पताल, अस्पताल में सुविधा बढ़ाई जा रही है, यहां जावरा सहित आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं.

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