हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार की जिला कोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां एक बुजुर्ग दंपती ने अपने बेटे और बहू से पोता-पोती की मांग की है. अगर, बेटा और बहू उनकी यह मांग पूरी नहीं करते हैं, तो उन्हें हर्जाने के तौर पर बुजुर्ग दंपती को ढाई-ढाई करोड़ यानि कुल 5 करोड़ रुपये देने होंगे. जिला कोर्ट हरिद्वार में दंपती ने इसलिए लिए मुकदमा दर्ज किया है. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होनी है.
दरअसल, हरिद्वार के रहने वाले संजीव रंजन प्रसाद बीएचईएल से सेवानिवृत्त (Sanjeev Ranjan Prasad retired from BHEL) हो चुके हैं. वह इस समय अपनी पत्नी साधना के साथ एक हाउसिंग सोसाइटी में रह रहे हैं. संजीव रंजन प्रसाद के वकील अरविंद कुमार ने बताया कि इस दंपती ने साल 2016 में अपने इकलौते बेटे श्रेय सागर की शादी नोएडा की रहने वाली शुभांगी सिन्हा के साथ की थी. उनका बेटा पायलट और उनकी बहू नोएडा में ही जॉब करती है.
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This case portrays the truth of society. We invest in our children, make them capable of working in good firms. Children owe their parents basic financial care. The parents have demanded either a grandchild within a year or compensation of Rs 5 crores: Advocate AK Srivastava pic.twitter.com/uH04Q8jEua
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'मेरे पास अब कुछ भी नहीं': संजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई लिखाई पर अपना पूरा पैसा खर्च कर दिया. उन्होंने अमेरिका में अपने बेटे को ट्रेनिंग दिलवाई. उनके पास अब कुछ भी जमापूंजी नहीं है. अपना घर बनाने के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया. वह इस समय बहुत आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं.
अदालत में दी ये दलील: बुजुर्ग दंपती ने हरिद्वार जिला कोर्ट (Haridwar District Court) में याचिका दायर करते हुए कहा कि छह साल की शादी के बाद भी उनके बेटे-बहू को कोई बच्चा नहीं हुआ है. उनका बेटा-बहू बच्चे को लेकर कोई प्लानिंग नहीं कर रहे हैं. जिसकी वजह से उन्हें मानसिक रूप से काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.
साथ ही बुजुर्ग दंपती ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने अपने बेटे की परवरिश और उसे काबिल बनाने के लिए अपनी सारी जमापूंजी लगा दी. बावजूद इसके उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अकेले रहना पड़ रहा है, जो काफी पीड़ादायक है. उन्होंने मांग की है कि उनका बेटा और बहू उन्हें पोती-पोता दें. चाहे फिर वह लड़का हो या लड़की इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें हमें ढाई-ढाई करोड़ रुपये देना होगा जो हमने उनपर खर्च किये हैं.
वहीं, इस मामले में बुजुर्ग दंपती की कोर्ट में पैरवी करने वाले वकील एके श्रीवास्तव का कहना है कि यही आज समाज का सच है. हम अपने बच्चों पर खर्च करते हैं उन्हें अच्छी नौकरी करने लायक बनाते हैं. ऐसे में बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने माता-पिता की बेसिक फाइनेंशल जरूरतों की जिम्मेदारी उठाएं. इसीलिए प्रसाद दंपती ने यह केस दायर किया है, फिलहाल, इस याचिका पर 17 मई को सुनवाई होनी है.