रायपुर : हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु के समय तक मुहूर्तों का महत्व माना गया है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन सभी कार्यों में मुहूर्त का संबंध निरंतर चलता ही रहता है. किसी भी कार्य विशेष के लिए पंचांग के माध्यम से निश्चित की गई शुभ समय अवधि को मुहूर्त कहा जाता है. अपनी विशेष विद्या से ग्रह नक्षत्रों की गणना के आधार पर ज्योतिषी यह बताते हैं कि किसी भी कार्य को करने के लिए समय उचित है या नहीं. पंचक के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते, इसके पीछे कारण क्या हैं आइए जानते हैं.
क्यों नहीं है पंचक शुभ : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता. इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है. नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है. जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है. तब उस समय को पंचक कहते हैं. घनिष्ठा से रेवती तक 5 नक्षत्र जैसे (घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती) होते हैं उन्हें पंचक कहा जाता है. ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है, कि पंचक में कुछ विशेष कार्य नहीं किए जाते."
पंचक के दौरान क्या ना करें : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा का कहना है कि "पंचक के दौरान नहीं किए जाने वाले कार्य जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी, ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए. इससे अग्नि का भय रहता है. पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुंब या निकटजनों में 5 लोगों की मृत्यु हो जाती है. पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए. क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी गई है. इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है. पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए. ऐसा विद्वानों का मत है, इससे धन हानि और घर में कलेश होता है. ऐसी मान्यता है कि पंचक में पलंग बनवाना भी बड़े संकट को न्योता देना है.''
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पंचक में दक्षिण दिशा में यात्रा क्यों ना करें : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा का कहना है कि "पंचक के दौरान अगर किसी कारणवश दक्षिण दिशा की यात्रा पर जाना ही है, तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढ़ाकर यात्रा करें. गरुड़ पुराण में वर्णन आता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे से बना कर अर्थी पर रखें और इन पांचों के शव का पूरी विधि विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है."