श्रीनगर : भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि पाकिस्तान सोशल मीडिया, स्थानीय लोगों पर प्रभाव रखने वाले व्यक्तियों और मादक पदार्थों के जरिये कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथ के रास्ते पर ले जा रहा है, ताकि वे हथियार उठा सकें. उन्होंने कहा कि हालांकि, सेना ने शत्रु तत्वों के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए कई जनहितैषी पहल की हैं. सेना की 15वीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला ने कहा कि मादक पदार्थ भेजने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार से किये जा रहे प्रयास चिंता का विषय हैं, क्योंकि यह कश्मीर की भविष्य की पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, "सोशल मीडिया इसमें (कट्टरपंथी बनाने में) एक बड़ी भूमिका निभाता है और पश्चिम दिशा में स्थित बैरी देश (पाकिस्तान) भारी निवेश करता है, वहां विमर्श तैयार किया जाता है, जिसे बाद में लोगों के बीच रख दिया जाता है तथा उसे यहां युवा ग्रहण कर लेते हैं."
सेना में, अपने करियर का ज्यादातर समय जम्मू कश्मीर में बिताने वाले अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया के अलावा, जमात-ए-इस्लामी के स्थानीय सदस्य भी युवाओं को बहकाने में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा, "स्थानीय जमाती, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. इसलिए, इन दोनों का संयोग उन्हें (युवाओं) एक गलत रास्ते पर ले जाता है या तंजीम में शामिल होने की ओर उन्मुख करता है या हथियार उठाने और कुछ गलत करने के लिए उकसाता है." लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने कहा कि कश्मीर के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं.
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उन्होंने कहा, "यह केवल ऐसा है कि एक बड़े समाज में, कुछ शत्रु तत्व होते हैं जो कम शिक्षित या कमजोर आर्थिक स्थिति वाले व्यक्तियों को अपने चंगुल में फंसाते हैं. यह प्राथमिक रूप से सोशल मीडिया है, वहां ये जमाती हैं, और एक हद तक प्रभाव रखने वाले व्यक्ति तथा कुछ मादक पदार्थ हैं, जो उन्हें गलत राह पर ले जाता है." यह पूछे जाने पर कि क्या पड़ोसी देश (पाकिस्तान), कश्मीर में हथियार और मादक पदार्थ गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है, अधिकारी ने कहा कि कश्मीर घाटी में एलओसी का भू-भाग इसे मुश्किल बनाता है. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ प्रणाली और समाज को बर्बाद कर रहा है. उन्होंने कहा, "जहां तक कश्मीर की बात है, कई युवा इस तरह के धंधे में शामिल हो रहे हैं, वे इसे बेचते हैं और इसका सेवन भी करते हैं. वहां कुछ पैसे आते हैं जिनका इस्तेमाल तंजीम के नाकाम मंसूबों का वित्त पोषण करने में किया जाता है."
(पीटीआई-भाषा)