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पाकिस्तान ने पड़ोसियों से संबंध नहीं सुधारे, तो आर्थिक दुर्गति का करना पड़ेगा सामना

दक्षिण एशिया में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता जा रहा है. भारत के साथ उसका संबंध जगजाहिर है. अब अफगानिस्तान से भी उसके अच्छे संबंध नहीं हैं. बांग्लादेश भी पाक से खुश नहीं है. नेपाल में उसकी उपस्थिति है, लेकिन यहां पर कई कठिनाइयां हैं. ऐसे में पाक के पीएम इमरान का श्रीलंका दौरा बहुत मायने रखता है. श्रीलंका ने कहा कि भारत को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए. पर, सवाल यही हैं कि आखिर झूठ की बुनियाद पर पाक कब तक यथास्थिति को झूठलाता रहेगा. इस मुद्दे पर पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी से बात की है हमारी संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने.

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Published : Feb 24, 2021, 9:25 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि पाकिस्तान को अपने पड़ोसियों से संबंध बेहतर करने की आवश्यकता है. हालिया गतिविधियों के साथ ही अफगानिस्तान, ईरान, मालदीव और श्रीलंका भी पाकिस्तान से दूरी बनाए हुए हैं. पश्चिमी पाकिस्तान में ईरानी समूह के नवीनतम सैन्य अभियान को उनके कुछ बंधकों को मुक्त कराने के लिए इस्तेमाल किया गया है और यह संबंध बहुत अच्छा नहीं है.

हालांकि अमेरिका इस बात को स्वीकार कर रहा था कि उन्होंने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है. लेकिन इस समय फिर से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच फ्लिप-फ्लॉप की तरह का संबंध हैं. इसलिए पाकिस्तान को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है. पूर्व राजदूत त्रिपाठी आगे बताते हैं कि इस तरह से पाक पीएम इमरान खान श्रीलंका के साथ संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन श्रीलंकाई नेतृत्व भारत के विरोध में या पाकिस्तान के साथ मित्रता नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा कि भारत के साथ श्रीलंका के रिश्ते के लिए, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है. इसलिए भारत को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के श्रीलंका दौरे से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह पाक का एक प्रयास है कि श्रीलंका की तरफ से इसका समर्थन किया जाए. लेकिन ऐसा न सोचें कि इमरान खान श्रीलंका से कुछ भी हासिल करने जा रहे हैं.

पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने रेखांकित किया कि संभवत: इसके द्वारा वे चाहते थे कि जापान और भारत को बाहर कर दिया जाए. यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि जब श्रीलंकाई जनता कहेगी कि वे दूसरे देशों का बहिष्कार करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि इसमें चीन भी शामिल है. इस तरह, चीन के लिए वहां नए रास्ते बनाना बहुत आसान नहीं होगा. विशेषज्ञ बताते हैं कि श्रीलंकाई सरकार इसे स्वीकार कर सकती है. दूसरे अगर CPEC प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाना है, तो चीन को एक गंभीर साझेदार होना चाहिए. न कि केवल श्रीलंका और पाकिस्तान को.

उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और व्यापार एवं पर्यटन जैसे आपसी हित के साझा क्षेत्रों पर चर्चा की. खान यहां दो दिनों के दौरे पर आए हैं. उन्होंने कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में राजपक्षे से मुलाकात की और उनके साथ बैठक की. राष्ट्रपति राजपक्षे ने बैठक के बाद ट्वीट किया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ आज सुबह सार्थक बातचीत हुई. बातचीत में मुख्य रूप से साझा हितों पर जोर दिया गया, जैसे कि व्यापार, पर्यटन और कृषि में प्रौद्योगिकी अपनाने आदि, जिसका फायदा दोनों देशों को मिल सकता है.

दोनों नेताओं ने कहा कि उनका लक्ष्य कृषि अर्थव्यवस्था को इस तरह से आगे बढ़ाना है कि यह किसानों को उच्च आय मुहैया कराए और उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली कीमतों पर उपज मिले. खान ने कहा कि पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था काफी हद तक श्रीलंका जैसी ही है. दोनों नेताओं ने व्यापार संवर्द्धन की संभावना और निवेश के अवसर बढ़ाने पर भी जोर दिया. प्रधानमंत्री बनने के बाद खान की यह पहली श्रीलंका यात्रा है. खान ने कहा कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के जरिए श्रीलंका के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने की उम्मीद करते हैं.

यह भी पढ़ें-इमरान ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की

सीपीईसी, बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजिगयांग प्रांत से जोड़ता है. खान के साथ आए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रीलंका को रक्षा सहयोग के लिए 1.5 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता की पेशकश की है. पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में यह कहा गया है.

नई दिल्ली : पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि पाकिस्तान को अपने पड़ोसियों से संबंध बेहतर करने की आवश्यकता है. हालिया गतिविधियों के साथ ही अफगानिस्तान, ईरान, मालदीव और श्रीलंका भी पाकिस्तान से दूरी बनाए हुए हैं. पश्चिमी पाकिस्तान में ईरानी समूह के नवीनतम सैन्य अभियान को उनके कुछ बंधकों को मुक्त कराने के लिए इस्तेमाल किया गया है और यह संबंध बहुत अच्छा नहीं है.

हालांकि अमेरिका इस बात को स्वीकार कर रहा था कि उन्होंने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है. लेकिन इस समय फिर से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच फ्लिप-फ्लॉप की तरह का संबंध हैं. इसलिए पाकिस्तान को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है. पूर्व राजदूत त्रिपाठी आगे बताते हैं कि इस तरह से पाक पीएम इमरान खान श्रीलंका के साथ संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन श्रीलंकाई नेतृत्व भारत के विरोध में या पाकिस्तान के साथ मित्रता नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा कि भारत के साथ श्रीलंका के रिश्ते के लिए, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है. इसलिए भारत को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के श्रीलंका दौरे से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह पाक का एक प्रयास है कि श्रीलंका की तरफ से इसका समर्थन किया जाए. लेकिन ऐसा न सोचें कि इमरान खान श्रीलंका से कुछ भी हासिल करने जा रहे हैं.

पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने रेखांकित किया कि संभवत: इसके द्वारा वे चाहते थे कि जापान और भारत को बाहर कर दिया जाए. यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि जब श्रीलंकाई जनता कहेगी कि वे दूसरे देशों का बहिष्कार करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि इसमें चीन भी शामिल है. इस तरह, चीन के लिए वहां नए रास्ते बनाना बहुत आसान नहीं होगा. विशेषज्ञ बताते हैं कि श्रीलंकाई सरकार इसे स्वीकार कर सकती है. दूसरे अगर CPEC प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाना है, तो चीन को एक गंभीर साझेदार होना चाहिए. न कि केवल श्रीलंका और पाकिस्तान को.

उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और व्यापार एवं पर्यटन जैसे आपसी हित के साझा क्षेत्रों पर चर्चा की. खान यहां दो दिनों के दौरे पर आए हैं. उन्होंने कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में राजपक्षे से मुलाकात की और उनके साथ बैठक की. राष्ट्रपति राजपक्षे ने बैठक के बाद ट्वीट किया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ आज सुबह सार्थक बातचीत हुई. बातचीत में मुख्य रूप से साझा हितों पर जोर दिया गया, जैसे कि व्यापार, पर्यटन और कृषि में प्रौद्योगिकी अपनाने आदि, जिसका फायदा दोनों देशों को मिल सकता है.

दोनों नेताओं ने कहा कि उनका लक्ष्य कृषि अर्थव्यवस्था को इस तरह से आगे बढ़ाना है कि यह किसानों को उच्च आय मुहैया कराए और उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली कीमतों पर उपज मिले. खान ने कहा कि पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था काफी हद तक श्रीलंका जैसी ही है. दोनों नेताओं ने व्यापार संवर्द्धन की संभावना और निवेश के अवसर बढ़ाने पर भी जोर दिया. प्रधानमंत्री बनने के बाद खान की यह पहली श्रीलंका यात्रा है. खान ने कहा कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के जरिए श्रीलंका के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने की उम्मीद करते हैं.

यह भी पढ़ें-इमरान ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की

सीपीईसी, बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजिगयांग प्रांत से जोड़ता है. खान के साथ आए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रीलंका को रक्षा सहयोग के लिए 1.5 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता की पेशकश की है. पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में यह कहा गया है.

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