नई दिल्ली : पाकिस्तान कागज पर धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन देश में अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता बढ़ रही है. पाकिस्तान में सिख सुरक्षित नहीं हैं (Sikh Unsafe In Pakistan). उनको बराबर निशाना बनाया जा रहा है. गुरुवार को सिंध प्रांत के सुक्कुर शहर में सिंह सभा गुरुद्वारा के परिसर में शरारतीतत्वों ने जबरन प्रवेश किया.
कीर्तन-पाठ करने वालों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जबरन कीर्तन या धार्मिक भक्ति गीत बंद करने को कहा. ऐतिहासिक गुरुद्वारे में मौजूद कई स्थानीय सिखों और हिंदुओं ने आरोप लगाया कि उपद्रवियों ने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का भी अपमान किया.
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#Sukhar, #Sindh #Pakistan: Now where is the Sikhs for Justice #SFJ #Gurpatwant Singh #Pannun and their supporting #Pakistani agency #ISI all sitting in silence and the #Islamist #extremist youth harass the #minority #Sikh community at Gurdwara Sakhar, Peshawar.
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ये पहला मामला नहीं है जब पाकिस्तान में सिखों को इस तरह से निशाना बनाया गया है. पाकिस्तान में सिखों की टारगेट किलिंग की जा रही है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसा तब है जब विदेश मंत्रालय ने हाल के वर्षों में सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और इन समुदायों के पूजा स्थलों में तोड़फोड़ के विरोध में कई बार पाकिस्तानी राजनयिकों को तलब किया है.
अप्रैल से जून 2023 के बीच चार सिखों की हत्या की जा चुकी है. 24 जून को पेशावर में सिख की हत्या का मामला सामने आने के बाद भारत ने पाकिस्तानी राजनयिक को तलब किया था. वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनयिक को यह भी बताया गया कि इस्लामाबाद को देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, 'जो लगातार धार्मिक उत्पीड़न के डर में रहते हैं.'
सबसे छोटे अल्पसंख्यक समूहों में हैं सिख : सिख पाकिस्तान में सबसे छोटे अल्पसंख्यक समूहों में से हैं. देश की 2017 की जनगणना रिपोर्ट में उन्हें 0.07 प्रतिशत के साथ 'अन्य' के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. हालांकि, दिसंबर 2022 में पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो ने घोषणा की कि जनगणना फॉर्म में समुदाय के लिए एक कॉलम होगा. ऐसा पांच सिखों द्वारा शुरू की गई पांच साल की अदालती लड़ाई के बाद सुनने में आया है, जिन्होंने 2017 में पेशावर की एक अदालत में याचिका दायर की थी.
अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और जनगणना फॉर्म में सिखों के लिए एक अलग कॉलम रखने का आदेश दिया. हालांकि इस कदम से पाकिस्तानी सिखों को संस्थानों में प्रतिनिधित्व मिल सकता है, लेकिन इसने भेदभाव को रोकने के लिए कुछ नहीं किया है.
24 जून को पेशावर में हत्या : हाल की घटनाओं पर नजर डालें तो पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी शहर पेशावर में 24 जून की रात हुए हमले में अल्पसंख्यक सिख समुदाय के एक सदस्य की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस का भी कहना था कि मारा गया 35 साल का मनमोहन सिंह टारगेट किलिंग का शिकार लग रहा है.
वहीं, बाद में इस्लामिक स्टेट समूह ने एक बयान में हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि सिंह पेशावर में 'बहुदेववादी' सिख संप्रदाय का अनुयायी था. इस्लामिक स्टेट ने एक दिन पहले उत्तर-पश्चिमी शहर में एक सिख को घायल करने का भी दावा किया.
पेशावर में रहते हैं ज्यादा सिख : पेशावर में सिखों की संख्या ज्यादा है. पेशावर में रहने वाले सिख समुदाय पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं. मार्च में अज्ञात हमलावरों ने शहर में एक सिख व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. पिछले साल सितंबर में, पेशावर में एक सिख हकीम की उसके क्लीनिक के अंदर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
2014 से 2022 तक कम से कम 12 ऐसी घटनाएं हुईं जहां पेशावर और प्रांत के आसपास के जिलों में चरमपंथियों द्वारा सिखों पर हमला किया गया. पिछले दो दशकों में उनकी विशिष्ट धार्मिक पहचान के कारण जबरन धर्मांतरण और इस्लामी संगठनों द्वारा लक्षित हमलों की संख्या बढ़ी है.
पेशावर में क्राइम ग्राफ बढ़ा : पेशावर, पाकिस्तान का छठा सबसे बड़ा शहर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पेशावर में होने वाली हत्याओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष, अब तक 232 लोग मारे गए हैं, जो 2022 के पहले पांच महीनों की तुलना में 136 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इसी तरह हत्या के प्रयास के मामलों में भी वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 310 मामलों की तुलना में 2023 में 360 घटनाएं दर्ज की गईं.
लाहौर में हो चुकी कई सिखों की हत्या : पिछले महीने, पूर्वी शहर लाहौर में हमलावरों ने सरदार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी. अप्रैल में बंदूकधारियों ने पेशावर में दयाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मई 2022 में इसी शहर में बंदूकधारियों ने सिख समुदाय के दो सदस्यों की हत्या कर दी थी.
यूएन ने जताई थी चिंता : जैसे-जैसे पाकिस्तान इस्लामी रूढ़िवाद की ओर झुकता जा रहा है, अल्पसंख्यक देश में अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दिसंबर 2022 में, पाकिस्तान को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 'विशेष चिंता वाला देश' (country of particular concern) के रूप में नामित किया गया था. इसके अलावा, इस्लामाबाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा.
गौरतलब है कि पेशावर और पश्तून बहुल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सिखों की जड़ें उस समय से हैं जब यह पूरा क्षेत्र अफगानिस्तान का हिस्सा था. 1834 में ही महाराजा रणजीत सिंह की सेना के सबसे बहादुर जनरलों में से एक, हरि सिंह नलवा ने पेशावर को अफगान शासकों से छीन लिया और इसे अविभाजित पंजाब का हिस्सा बना दिया.
ब्रिटिश शासन के दौरान, पेशावर और पंजाब के अन्य उत्तर-पश्चिमी जिलों को उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) नामक एक अलग प्रांत बनाया गया था. 1947 में विभाजन के बाद, उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत पाकिस्तान में चला गया, जिसकी राजधानी पेशावर थी.
1947 में अधिकांश सिख भारत आ गए थे. हालांकि हजारों सिख पाकिस्तान में रह गए. लेकिन अल्पसंख्यक सिखों, ईसाइयों और अहमदी संप्रदाय के सदस्यों पर पाकिस्तान में हमले जारी रहे हैं.
सिर्फ 20 हजार सिख आबादी का अनुमान : पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अनुसार, पाकिस्तान में केवल 15,000 से 20,000 सिख बचे होने का अनुमान है, जिनमें से लगभग 500 सिख परिवार पेशावर में हैं. देश में शरिया कानून लागू करने की बढ़ती मांग और बढ़ते अत्याचारों ने सिखों के लिए देश में रहना मुश्किल कर दिया है. धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जाता है और यह समुदाय इसका सबसे बुरा दौर देख रहा है.