कोझिकोड (केरल) : कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में एक दो साल के पाकिस्तानी बच्चे की बोन मैरो ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई. पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के डॉक्टरों ने इस बच्चे का इलाज करने में असर्मथता जतायी थी. लेकिन कोइक्कोड के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक सर्जरी की और पाकिस्तानी बच्चे को नई जिंदगी दी. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से आए जलाल और साधुरी के बेटे सैफ जलाल सीवियर कंबाइंड इम्यूनो डेफिसिएंसी नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे. डॉक्टरों ने माता-पिता से कहा था कि वह जीवित नहीं रहेगा क्योंकि दुनिया में कहीं भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.
हालांकि, बच्चे के माता-पिता ने हार नहीं मानी और उसे पाकिस्तान के कई अस्पतालों में ले गए. बाद में बच्चे को इलाज के लिए यूएई ले जाया गया. बच्चे का यूएई में कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया गया था. इससे बच्चे को फेफड़े में संक्रमण हो गया और उसके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया. और बाद में बच्चे की हालत और बिगड़ गई. जलाल और साधुरी को केरल के एस्टर मालाबार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एमआईएमएस) में उपलब्ध उपचार के बारे में पता चला.
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बिना देर किए उन्होंने अपनी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए दूतावास से संपर्क किया. वहां से बच्चे को भारतीय अधिकारियों के पूरे सहयोग से कोइक्कोड लाया गया. यहां एस्टर मिम्स के हेमेटोलॉजिस्ट की एक टीम ने बच्चे की गहन जांच की. बाद में, डॉक्टर ने पाया कि बच्चे की माँ का अस्थि मज्जा बच्चे के अस्थि मज्जा के साथ पूरी तरह से संगत था और उन्होंने अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण सर्जरी की. दो महीने की सर्जरी के बाद अब सैफ जलाल ठीक हो गए हैं.
इलाज करने वाली टीम के सदस्य डॉ. केशवन ने कहा कि मां का बोन मैरो बच्चे के बोन मैरो से पूरी तरह से मेल खाता था. इसलिए सर्जरी सफल रही. अब बच्चा ऑक्सीजन पर नहीं है. उन्होंने कहा कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है. सैफ के पिता जलाल ने कहा कि जब हम यहां आए तो हमारे बच्चे की हालत बहुत गंभीर थी. डॉक्टर ने कहा हम इलाज के लिए तैयार हैं. इसी तरह सर्जरी के दो महीने बाद लड़का अब ठीक हो गया है. हम उन सभी का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हमारी मदद की.
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