कानपुर: पदम् श्री से सम्मानित लेदर कारोबारी इरशाद मिर्जा नहीं रहे. वह 89 साल के थे. उनका कारोबार शहर से लेकर दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में फैला था. अपने शानदार काम के लिए इरशाद मिर्जा को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका था. कॉउन्सिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) के पूर्व चेयरमैन मुख़्तारुल अमीन ने इरशाद मिर्जा के निधन कि पुष्टि की. उन्होंने बताया क़ी शहर के चमड़ा कारोबार को पहचान दिलाने में इरशाद मिर्जा ने अहम भूमिका निभाई थी. हमेशा से ही उन्होंने चमड़ा कारोबारियों के हक क़ी लड़ाई सबसे आगे रहकर लड़ी. सभी कारोबारियों के लिए वह एक प्रेरणास्रोत थे. उन्होंने कानपुर में टेनरियों के संचालन को लेकर सरकार के सामने हमेशा पूरी मजबूती से अपनी बातें रखीं. वहीं शहर में उनकी फर्म मिर्जा इंटरनेशनल क़ी अपनी एक अलग पहचान रही है.
दुबई, अमेरिका, कनाडा समेत कई देशों में कानपुर के चमड़ा उत्पादों को पहचान दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इन दिनों बीमार चल रहे थे. शहर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. रविवार को उनके निधन की पुष्टि उनके बड़े बेटे राशिद मिर्जा ने क़ी. राशिद ने बताया कि इरशाद मिर्जा को इण्डिया की लेदर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए जाना जाता था. सरकार ने उन्हें पद्मश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित भी किया था. उन्होंने चमड़ा उद्योग को देश ही नहीं, विश्व पटल पर एक मुकाम तक पहुंचाया. उनके निधन की जानकारी मिलते ही शहर के कई विशिष्टजन उनके आवास पर पहुंच गए.
40 साल पहले मिर्जा इंटरनेशनल को शुरू किया था
इरशाद मिर्जा की टेनरी मिर्जा इंटरनेशनल शहर की बड़ी टेनरी है. कॉउन्सिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) के पूर्व चेयरमैन मुख़्तारुल अमीन ने बताया की इरशाद मिर्जा ने कानपुर की लेदर इंडस्ट्री को तैयार किया. उन्होंने हमेशा से ही लेदर कारोबारियों के हक की लड़ाई सबसे आगे आकर लड़ी. शहर में टेनरियों के संचालन सम्बन्धी मामले पर उन्होंने सरकार के समक्ष पूरी मजबूती से सभी का पक्ष रखा. उनके निधन की सूचना मिलने पर लेदर कारोबारियों के बीच शोक छा गया. बोले हम सभी उद्यमियों के लिए वह एक प्रेरणास्त्रोत थे.