नई दिल्ली : गुजरात सरकार ने सीप्लेन संचालन (seaplane service) के लिए बुनियादी ढांचे और सुरक्षा उपकरणों पर 7,77,65,991 रुपये खर्च किए हैं. साबरमती रिवर फ्रंट और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बीच सीप्लेन का संचालन 31 अक्टूबर 2020 को शुरू हुआ और 11 अप्रैल 2021 को वाणिज्यिक और कोविड-19 कारणों से बंद कर दिया गया. यह जानकारी सरकार की ओर से राज्यसभा में दी गई है.
दरअसल टीएमसी सांसद डॉ. शांतनु सेन ने पूछा था कि छह महीने से कम समय तक चलने वाली सीप्लेन परियोजना शुरू करने के लिए 2022-2021 में गुजरात ने करीब सात करोड़ रुपये खर्च किए हैं, क्या मंत्रालय को पता है कि गुजरात ने कितने रुपये खर्च किए हैं. इसके जवाब में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक लिखित जवाब में ये जानकारी दी.
नागरिक उड्डयन मंत्री ने अपने उत्तर में सदस्य को विवरण देते हुए अवगत कराया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय उड़ान (UDAN) (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के तहत परिवहन का एक नया तरीका यानी जल हवाई अड्डों से सीप्लेन संचालन शुरू किया. सीप्लेन संचालन के लिए उड़ान में साबरमती रिवर फ्रंट और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी वाटर एयरोड्रोम की पहचान की गई.
उन्होंने कहा, 'इस योजना के तहत 28 फरवरी 2023 तक भारत सरकार ने उड़ान उड़ानों (UDAN flights) के संचालन के लिए गुजरात राज्य में हवाई अड्डों/वाटर एयरोड्रोम के पुनरुद्धार/विकास के लिए 146.41 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात सरकार ने भी मंत्रालय को दो सीप्लेन खरीदने के लिए 1.2 बिलियन (यूएसडी 15.7 मिलियन) रुपये के आवंटन के लिए अनुरोध भेजा है. सिंधिया ने जवाब दिया कि विमान के अधिग्रहण के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए 'हवाई अड्डों/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपोर्ट्स के पुनरुद्धार/उन्नयन' योजना के तहत कोई प्रावधान नहीं है.
सिंधिया ने भारत में चल रही सीप्लेन परियोजनाओं के विवरण पर एक सवाल का जवाब देते हुए सिंधिया ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में देश उड़ान की बोली के तहत पहचाने गए वाटर एयरोड्रोम गुजरात, असम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, हिमाचल प्रदेश और लक्षद्वीप राज्यों में हैं.
मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप में 8, अंडमान और निकोबार में 5, गुजरात, गोवा और असम में 3-3 और आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में 1-1 वाटर एयरोड्रोम चल रहे हैं.
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