नई दिल्ली/ बेंगलुरु : डॉक्टरों ने 25 साल के युवक की सफलतापूर्वक सर्जरी कर उसे नई जिंदगी दी है. उसके सीने से 13.85 किलोग्राम का ट्यूमर निकाला (tumour removed) गया है. माना जा रहा है कि ये अभी तक का सबसे बड़ा ट्यूमर है, जिसका आकार एक फुटबाल जैसा है. चिकित्सा साहित्य और अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले गुजरात में 2015 में सीने का सबसे बड़ा ट्यूमर निकाला गया था, जिसका वजन 9.5 किलोग्राम था.
मरीज देवेश शर्मा को अत्यंत गंभीर स्थिति में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. वह 2-3 महीनों से सांस लेने में तकलीफ के कारण बिस्तर पर सीधे सो तक नहीं पा रहे थे. बेंगलुरु के एक अस्पताल में जांच के बाद उन्हें सीटी स्कैन कराने की सलाह दी गई थी, जिसकी रिपोर्ट में पता चला कि बड़े आकार के ट्यूमर ने सीने के 90% से अधिक हिस्से में कब्जा कर रखा था. ट्यूमर की स्थिति ये थी कि दोनों फेफड़े भी अपनी जगह से हट गए थे, जिसके कारण केवल 10% फेफड़े ही काम कर रहे थे. डॉक्टरों के लिए उसकी सर्जरी आसान नहीं थी, वहीं सबसे मुश्किल ये था कि रोगी का ब्लड ग्रुप भी एबी निगेटिव था, जिसका मिलना आसान नहीं होता.
चार घंटे चली सर्जरी
जटिल सर्जरी के बारे में फोर्टिस के डायरेक्टर डॉ. उद्गीथ धीर ने कहा, 'रोगी बहुत गंभीर स्थिति में हमारे पास आया क्योंकि सीने में ट्यूमर के आकार के कारण उसके फेफड़े संकुचित हो गए थे, जिससे वह अपनी दैनिक दिनचर्या में सक्षम नहीं था. करीब 4 घंटे चली सर्जरी में सीने के दोनों किनारों को खोलना और बीच में सीने की हड्डी (उरोस्थि) को काटना शामिल था. तकनीकी शब्दों में इसे हम क्लैम शेल चीरा कहते हैं. ट्यूमर अपने विशाल आकार के कारण न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी के माध्यम से हटाया नहीं जा सकता था. ऐसे में सीने से बड़े ट्यूमर को हटाने के लिए बड़ा कट लगाना जरूरी था. खून ज्यादा न बहे इसका भी ख्याल रखना था. यह ज्यादा जोखिम वाली सर्जरी थी, क्योंकि ट्यूमर का बड़ा हिस्सा पूरे सीने पर कब्जा कर चुका था.
डॉ. धीर ने कहा, मरीज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमने एक ट्रेकियोस्टोमी करने का फैसला किया, जहां हमने गर्दन में एक छोटा छेद बनाया ताकि हम उसके स्राव को बाहर निकाल सकें क्योंकि उसके दिल में भी संक्रमण फैल चुका था. पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज करीब 39 दिनों के लिए आईसीयू में रहा. हमें खुशी है कि वह धीरे-धीरे ठीक हो रहा है.'
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