नई दिल्ली: जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन (G20 New Delhi Summit) के नतीजों को अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी बताते हुए भारत के शेरपा अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने कहा है कि भारत नई दिल्ली घोषणा के सभी पैराग्राफों के लिए आम सहमति हासिल करने में सक्षम रहा है.
अमिताभ कांत ने विकासशील देशों के थिंक टैंक के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) द्वारा वर्चुअल मोड में आयोजित जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के परिणामों पर एक पैनल चर्चा को संबोधित करते हुए कहा, 'नई दिल्ली घोषणा में 83 पैरा हैं. सभी पैराग्राफों में, हम 100 प्रतिशत आम सहमति हासिल करने में कामयाब रहे. हमने रूस-यूक्रेन संकट पर भी सहमति हासिल की है.'
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Delighted to participate in the panel on the Outcome of the #G20India New Delhi Summit hosted by @RIS_NewDelhi. All greatly appreciative of India’s consensus Declaration.
— Amitabh Kant (@amitabhk87) September 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Great discussion with fellow speakers @JefferySachs, @anil_sooklal, @Siderop, @SchaalAndreas,… pic.twitter.com/6N1HwxV1dh
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उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में काम किया. उन्होंने कहा कि भारत जी20 के पिछले अध्यक्ष इंडोनेशिया के शेरपाओं और ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका के शेरपाओं को, जो आगामी अध्यक्ष पद संभालेंगे, एक साथ लाया और समूह के सभी सदस्य देशों से एक साथ संपर्क किया.
कांत ने कहा कि 'हमने सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों से व्यवस्था के वैश्विक नियमों का पालन करने की अपील की है.यह केवल बुद्ध और गांधी की भूमि में ही संभव हो सकता है.'
उन्होंने कहा कि नतीजों से पता चला है कि भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं, विकसित देशों और रूस को एक साथ ला सकता है. अमिताभ कांत ने कहा कि 'पूरी प्रक्रिया हमारे द्वारा दूरदर्शी तरीके से संचालित की गई. जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के नतीजे अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी हैं. हमने पहले की तुलना में दोगुने परिणाम दिए. हम अफ्रीकी संघ (एयू) को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में लाने में कामयाब रहे.'
कांत ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) कार्य योजना में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के उपयोग पर भी जोर दिया.
उन्होंने कहा कि 'हम विभाजित दुनिया में संयम की आवाज लेकर आए. हमने साबित किया कि जी20 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तुलना में वैश्विक मुद्दों से कहीं बेहतर तरीके से निपट सकता है.'
कांत ने कहा कि अगले दशक में दो-तिहाई व्यापार ग्लोबल साउथ से आएगा. उन्होंने कहा कि 'जी20 में वैश्विक मुद्दे अलग-अलग प्रकृति के होंगे.' प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कोलंबिया विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक जेफरी सैक्स ने कहा कि 'आज लोग दो दुनियाओं में रह रहे हैं.
एक का नेतृत्व अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक कर रहे हैं जो चीन को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं और दूसरा है ग्लोबल साउथ. मैं इसे गैर-उत्तरी अटलांटिक विश्व कहना चाहूंगा.'
'85 फीसदी लोगों की आवाज अब सुननी होगी': उन्होंने कहा कि दुनिया के 85 फीसदी लोगों की आवाज अब सुननी होगी, उन्होंने कहा कि ये आवाज ये कह रही है कि 'अब हमारी बारी है.' जेफरी सैक्स ने कहा कि 'नई दिल्ली घोषणापत्र में सब कुछ है. अब इसे लागू करने की बारी आती है.'
उन्होंने कहा कि जी20 में एयू का शामिल होना आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत-अफ्रीका संबंधों के लिए शानदार होगा. उन्होंने कहा कि '
भारत की सफलता अफ्रीका की सफलता होगी.'
जी20, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका) और आईबीएसए (भारत, ब्राजील दक्षिण अफ्रीका) के लिए दक्षिण अफ्रीका के शेरपा अनिल सूकलाल ने कहा कि भारत ने नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन संघर्ष को केंद्रीय नहीं बनने दिया. सूकलाल ने कहा कि 'यह भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है.'
उन्होंने यह भी बताया कि अफ़्रीका को G20 तालिका में आने के लिए 18 शिखर सम्मेलनों की आवश्यकता पड़ी.