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पिछले 40 साल से पुलिस थाने में रह रही अनाथ महिला, जानें क्यों

कर्नाटक के मंगलुरु की महिला 40 साल से थाने में ही रह रही हैं. 40 साल पहले इस महिला को एक पुलिस अधिकारी रेलवे स्टेशन से लेकर आए थे, और इन्हें पनाह दी थी. पुलिस वालों ने इस महिला का नाम होनम्मा रखा है. तब से होनम्मा यहीं कान कर रहीं हैं.

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Published : Mar 18, 2021, 8:20 PM IST

बेंगलुरु : हमेशा ही आपने अपराध करने वालों को थाने होते तो सुना ही होगा, लेकिन कर्नाटक के मंगलौर की महिला के लिए यही थाना उसके घर की तरह हो गया है.

दरअसल ये महिला मूकबधिर है और ये लगभग 40 साल से थाने में ही रह रही हैं.

40 साल पहले रेलवे स्टेशन पर एक 20 वर्ष की महिला अनाथ की तरह घुम रही थीं. उस वक्त पुलिस के एक अधिकारी की नजर उस पर पड़ी और वो इस महिला को पुलिस थाने ले आए और रहने के लिए छत भी दी. तब से पुलिस वालों ने इनका नाम होनम्मा रखा. होनम्मा का इस दुनिया में कोई नहीं है, लेकिन अब पुलिस वाले ही इनके रिश्तेदार हैं.

पिछले 40 साल से पुलिस थाने में रह रही हैं होनम्मा

पढ़ें : फटी जींस वाले बयान पर सीएम तीरथ को सोच बदलने की नसीहत

शुरूआती दिनों में पुलिस ने इनके परिजनों को ढूंढ़ने की बहुत कोशिश भी की, लेकिन किसी का भी पता नहीं चल पाया. इसलिए अब वह थाने में काम कर रही हैं और 40 साल से बंडारू (बंदरगाह) पुलिस थाने में शरण ले रखी है.

होनम्मा स्टेशन की सफाई का काम भी कर रही है और पुलिस की सहायता कर रही है. उन्हें वेतन भी मिलता है. मानवीय उद्देश्यों के लिए थाने के बाहर एक अलग कमरा भी उन्हें रहने के लिए दिया गया है.

बंडारू पुलिस स्टेशन के पते के रूप में हन्नाम्मा का आधार कार्ड, बैंक खाता और वोटर आईडी भी दर्ज है. अब वह पुलिस की रिश्तेदार बन गई है.

पढ़ें : भारत में सितंबर 2021 तक बढ़ेगी शिशु एवं मातृ मृत्यु दर : संयुक्त राष्ट्र

अब, पुलिस उसे वृद्धावस्था मजदूरी सहित वरिष्ठ नागरिकों का लाभ दिलाने की कोशिश भी कर रही है.

पुलिस विभाग के लिए यह गर्व की बात है कि ये पुलिस अनाथ होनम्मा को इतना सम्मान दे रही है.

बेंगलुरु : हमेशा ही आपने अपराध करने वालों को थाने होते तो सुना ही होगा, लेकिन कर्नाटक के मंगलौर की महिला के लिए यही थाना उसके घर की तरह हो गया है.

दरअसल ये महिला मूकबधिर है और ये लगभग 40 साल से थाने में ही रह रही हैं.

40 साल पहले रेलवे स्टेशन पर एक 20 वर्ष की महिला अनाथ की तरह घुम रही थीं. उस वक्त पुलिस के एक अधिकारी की नजर उस पर पड़ी और वो इस महिला को पुलिस थाने ले आए और रहने के लिए छत भी दी. तब से पुलिस वालों ने इनका नाम होनम्मा रखा. होनम्मा का इस दुनिया में कोई नहीं है, लेकिन अब पुलिस वाले ही इनके रिश्तेदार हैं.

पिछले 40 साल से पुलिस थाने में रह रही हैं होनम्मा

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शुरूआती दिनों में पुलिस ने इनके परिजनों को ढूंढ़ने की बहुत कोशिश भी की, लेकिन किसी का भी पता नहीं चल पाया. इसलिए अब वह थाने में काम कर रही हैं और 40 साल से बंडारू (बंदरगाह) पुलिस थाने में शरण ले रखी है.

होनम्मा स्टेशन की सफाई का काम भी कर रही है और पुलिस की सहायता कर रही है. उन्हें वेतन भी मिलता है. मानवीय उद्देश्यों के लिए थाने के बाहर एक अलग कमरा भी उन्हें रहने के लिए दिया गया है.

बंडारू पुलिस स्टेशन के पते के रूप में हन्नाम्मा का आधार कार्ड, बैंक खाता और वोटर आईडी भी दर्ज है. अब वह पुलिस की रिश्तेदार बन गई है.

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अब, पुलिस उसे वृद्धावस्था मजदूरी सहित वरिष्ठ नागरिकों का लाभ दिलाने की कोशिश भी कर रही है.

पुलिस विभाग के लिए यह गर्व की बात है कि ये पुलिस अनाथ होनम्मा को इतना सम्मान दे रही है.

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