हैदराबाद: कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक वस्तुओं और दवाओं पर राहत देते हुए जीएसटी परिषद ने जीएसटी दरों को घटा दिया है. शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की. लेकिन विरोधियों को जीएसटी की ये कटौती रास नहीं आ रही है. खासकर कांग्रेस नेताओं के मुताबिक सरकार ने ये फैसला लेने में देर कर दी है.
राहत में देरी, राहत से वंचित करना है- सुरजेवाला
कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने सरकार के इस फैसले को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा है कि जिस तरह न्याय में देरी न्याय से वंचित रखने के समान है उसी तरह राहत में देरी राहत से वंचित करने जैसा है. सुरजेवाला ने लिखा कि इस साल फरवरी से मई के बीच लाखों लोगों की जान चली गई, लेकिन इस दौरान मोदी सरकार, वित्त मंत्री और जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की दरें कम करने की गुहार नहीं सुनी.
लाशों के ढेर लगने के बाद छूट देने का क्या फायदा- खाचरियावास
राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी जीएसटी में छूट के फैसले पर सरकार पर निशाना साधा है. खाचरियावास ने कहा कि जब लाशों के ढेर लग रहे थी. जब एंबुलेंस और मेडिकल उपकरणों में छूट की जरूरत थी, तब ये छूट देनी चाहिए थी. तब भी सरकार को सिर्फ एक आदेश पारित करना था. कोरोना संकट में लोग सरकार से राहत की उम्मीद लगा रहे थे लेकिन सरकार तो उस दौरान ऑक्सीजन भी मुहैया नहीं करवा पाई. अब जीएसटी में छूट देकर क्या फायदा, जब मेडिकल उपकरण कोई नहीं खरीद रहा क्योंकि लोगों ने महंगे दाम पर ये सभी उपकरण खरीदे हैं. अब ये छूट देने का कोई फायदा नहीं है.
बिहार में भी विपक्ष के निशाने पर सरकार
मेडिकल उपकरणों और दवाओं में जीएसटी को लेकर छूट का फैसला बिहार में भी विरोधियों को रास नहीं आ रहा. बिहार में कांग्रेस से लेकर राजद और हम पार्टी तक ने देर से लिए फैसले को लेकर सरकार को निशाने पर लिया है.
बिहार कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि देश में जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर फैल रही थी. उस समय लोगों को ना तो ऑक्सीजन मिल रही थी और ना ही कोई दवा मिल रही थी. ऐसे में कालाबाजारी चरम पर थी. लेकिन सरकार ने उस वक्त आम लोगों को कोई राहत नहीं दी. अब जब संक्रमण की रफ्तार कम हुई है, तो लोगों को दिग्भ्रमित करने में केंद्र सरकार लगी हुई है. इस संक्रमण काल में भी केंद्र सरकार राजनीति कर रही है.
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार को ये फैसला बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था, क्योंकि जब संक्रमण का प्रकोप बढ़ रहा था. लोग हलकान हो रहे थे. सबसे ज्यादा जरूरत लोगों को मदद पहुंचाने की सरकार की जिम्मेदारी थी, लेकिन सरकार ने लोगों को कोई रियायत नहीं दी. जब संक्रमण का प्रकोप कम हो गया है, तब सरकार ने ये फैसला लिया है. लेकिन इससे आम लोगों को कोई राहत नहीं मिलेगी.
HAM पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब देश और राज्य में संक्रमण का प्रकोप बढ़ रहा था. उस समय बाजार से ऑक्सीजन संक्रमण की दवा रेमडेसिविर उपलब्ध नहीं थी. जिसकी वजह से लाखों की संख्या में आम लोगों की मौत हो गई. उस समय सरकार की तरफ से कोई ठोस फैसला नहीं लिया, लेकिन जब प्रकोप कम हुआ है तो सरकार ने जो फैसला लिया है वो स्वागत योग्य है लेकिन आगे सरकार ध्यान रखें कि लोगों को कोई परेशानी ना हो.
का वर्षा जब कृषि सुखाने- झामुमो
झारखंड में भी विरोधी दल जीएसटी कम करने के फैसले पर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने केन्द्र के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि का वर्षा जब कृषि सुखायी. यानि खेती सूखने के बाद बारिश का क्या काम. मनोज पांडे ने कहा कि केन्द्र को यह फैसला पहले लेना चाहिए था. पैसे के अभाव में कोरोना से जूझ रही जनता को इलाज कराने में कितना खर्च हुआ है वही जानती है.
झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन ने इस फैसले पर चुटकी लेते हुए कहा कि मोदी सरकार आपदा में अवसर ढूंढ रही है. क्योंकि ये फैसला बहुत पहले होना चाहिए था. आपदा का समय लोग पहले से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं उसके बावजूद सरकार ने फैसला लेने में देरी क्यों की है.
फैसला लेने में क्यों हुई देर ?
कुल मिलाकर विपक्षी दल सरकार के फैसले नहीं इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं. दरअसल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है. एक वक्त था जब मई में रोजाना कोरोना के औसत 4 लाख नए मामले सामने आ रहे थे. अब ये मामले रोजोना 80 से 90 हजार तक पहुंच गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब देश में कोविड-19 के इलाज से जुड़े उपकरणों और दवाओं को लेकर लोग परेशान थे और रेमडेसिविर से लेकर अन्य दवाओं और मेडिकल उपकरणों के लिए कई गुना दाम चुका रहे थे उस वक्त सरकार ने ये जीएसटी कम करने का फैसला क्यों नहीं लिया गया. अब जब सरकार खुद मान रही है कि कोरोना संक्रमण का असर लगातार कम हो रहा है और देशभर में केस कम हो रहे हैं. अब लाजमी है कि केस कम होंगे तो मेडिकल उपकरणों और दवाओं की जरूरत भी कम होगी. फिर ऐसे में जीएसटी में ये राहत किस काम की है.
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