नई दिल्ली : कोरोना का वैक्सीन आने के बाद ब्रिटेन में कोविड का नया वेरिएंट पूरी दुनिया में एक बार फिर तहलका मचा दिया है. कोरोना के इस नये स्ट्रैन को काफी खतरनाक बताकर प्रचारित किया जा रहा है. भारत में भी कोरोना के इस नए वेरिएंट के 6 मरीजों को ट्रेस किया गया है. जो ब्रिटेन से यात्रा कर लौटे है. काफी हद तक कोरोना महामारी पर नियंत्रण पा चुके दुनिया भर के देशों को एक नई चिंता परेशान करने लगी है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है. क्या वाकई कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रैन वाला वायरस सचमुच इतना खतरनाक है? या फिर वैक्सीन के बाजार को मुकाम तक पहुंचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश है?
नए अवतार में पूरी दुनिया में फैल रहा नया स्ट्रैन'
इसको लेकर हमने विशेषज्ञों से बात की, मैक्स साकेत हॉस्पिटल के पूर्व अध्यक्ष और डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ दीपक नटराजन बताते हैं कि इंग्लैंड से निकला हुआ कोरोना वायरस एक नए अवतार में पूरी दुनिया में फैल रहा है. पूरी दुनिया में जो एक दहशत का माहौल पैदा हो रहा है.वायरस ने अपना रूप जरूर बदला है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह वायरस इंसान के शरीर में जाकर ज्यादा परेशान कर सकता है. ऐसा भी नहीं है कि वायरस के इस बदले रूप से ज्यादा मौतें होने वाली है.
13 हजार बार बदल चुका है वायरस अपना रूप'
डॉ नटराजन बताते हैं कि वायरस का रूप बदलना कोई नया नहीं है. वायरस अपने सर्वाइवल के लिए लगातार रूप बदलते रहते है. अभी तक इस वायरस के 13000 बार म्युटेशन हो चुके हैं. और यह कोई आखिरी म्यूटेशन नहीं है. यह एक सतत प्रक्रिया है जो लगातार चलती रहती है. इसका मतलब यह नहीं है कि एक बार फिर पूरी दुनिया को लॉकडाउन में धकेल दिया जाए. जैसा कि ब्रिटेन में दहशत के मारे किया गया है.
लेकिन मौत के कोई साक्ष्य नहीं'
डॉ. नटराजन के मुताबिक ब्रिटेन की एक एडवाइजरी ग्रुप "नवटैब न्यू इमरजिंग रेसपेरेटरी वायरस थ्रेट एडवायजरी ग्रुप" कहना है कि ब्रिटेन में कोरोनावायरस का स्ट्रैन बदल गया है. यह नई वैरीअंट में आया है. जो ज्यादा तेजी से फैलता है. अगर हम यह मान भी लें कि यह वायरस तेजी से फैलता है तो भी इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अभी तक इस बात का कोई सुबूत नहीं है. किस वायरस से ज्यादा मौतें हो रही है.
सितंबर महीने में ही मिल गया था नया स्ट्रैन'
डॉक्टर नटराजन बताते हैं कि यह वायरस सितंबर महीने में ही म्यूटेट कर गया था. पिछले 4 महीने में यह वायरस कहां से कहां फैल तक गया होगा. इसका कोई अंदाजा नहीं है. अगर इससे ज्यादा तबाही हुई होती या ज्यादा मौतें हुई होती तो दुनिया की नजर में अब तक आ गया होता. भारत में 6 लोगों में न्यू 2020 कोविड वायरस देखे गए है. लेकिन इसका कोई खास असर मरीज या उनके संपर्क में आए लोगों को नहीं होगा.
म्युटेशन कर बारे में जानिए सबकुछ
म्यूटेशन क्या होता है और यह कैसे होता है इसके बारे में डॉक्टर नटराजन बताते है कि कोरोना वायरस में 30,000 न्यूक्लियोटाइड्स होते है. इसमें इनके 4-5 जीन्स होतें है. कोरोना वायरस एक सिंगल स्ट्रैन आरएनए प्लस जीन है. जो एक प्रोटीन के अंदर घूम रहा है. जब यह शरीर के बाहर होता है तो निष्क्रिय होता है. इसे आप मरा हुआ मान सकते है. लेकिन जैसे ही यह इंसान के शरीर के भीतर पहुंचता है वहां इसके खाने पीने का सामान प्रोटीन में मौजूद होता है. और यह जीवित हो उठता है. एक बार खाना-पानी मिलने के बाद यह अपनी संख्या लगातार बढ़ाना शुरू कर देता है.
म्युटेशन वैक्सीन के असर पर नहीं पड़ेगा फर्क
अभी तक इस वायरस में 20 म्यूटेशन हो चुके है और 9 स्पाइक जीन पर हुए है. स्पाइक की मदद से वायरस इंसान की कोशिकाओं के भीतर घुस पाता है. जब स्पाइक में म्यूटेशन होता है तो वैज्ञानिकों के लिए इसमें दिलचस्पी बढ़ जाती है. कोरोनावायरस के स्पाइक में भी म्यूटेशन हुए है. दो स्पाइक समाप्त हो चुके है और बाकी की 7 में बदलाव हुए है. यह परिवर्तन न्यूयॉर्क 501 वाई के रूप में हुआ है. स्पाइक का पोजीशन चेंज हो गया है. इसी बदलाव को देखकर वैज्ञानिकों को लगता है कि शायद वायरस ज्यादा खतरनाक हो गया है. लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि स्पाइक में 1000 से ज्यादा न्यूक्लियोटाइडस है. इनमें से अगर सिर्फ नौ में बदलाव आया तो इसे आप कह सकते हैं कि यह सिर्फ 1% ही बदला है. इसका कोई खास असर नहीं होने वाला है. वैक्सीन की एफीकेसी पर नए बदलाव को लेकर कोई असर नहीं पड़ेगा. 1% बदलाव बहुत कम होता है.