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जम्मू कश्मीर : परिसीमन आयोग ने अन्य राजनीतिक दलों के साथ की मुलाकात - National Conference

परिसीमन आयोग के सदस्यों ने अपने दौरे के दूसरे दिन अन्य समूहों के साथ आगे की बैठक की. इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), कांग्रेस, बीजेपी, अपनी पार्टी, पहाड़ी फोरम, गुज्जर और बकरवाल इत्तेहाद आदि के प्रतिनिधिमंडल सदस्य आयोग से मिले थे.

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Published : Jul 7, 2021, 5:11 PM IST

श्रीनगर : विभिन्न राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों से मिलने के एक दिन बाद परिसीमन आयोग के सदस्य (Delimitation Commission members) अन्य समूहों के साथ आगे की बैठक करने के लिए बुधवार को दक्षिण कश्मीर (South Kashmir) के पहलगाम पहुंचे.

इस संबंध में मुलाकात के बाद अपनी पार्टी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि परिसीमन आयोग से मुलाकात काफी अच्छी रही. इस दौरान उन्होंने परिसीमन आयोग से अपील की कि यहां 2011 की जनसंख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा हो.

वहीं कांग्रेस नेता गुलजार अहमद ने कहा कि हमने आयोग के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने मांग की है परिसीमन के साथ राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और फिर चुनाव हों.

हलगाम पहुंचा परिसीमन आयोग

इसके अलावा गुज्जर बकरावल इत्तेहाद के प्रमुख चौधरी हारून खताना ने बताया कि उन्होंने आयोग के कहा कि बकरावल राज्य में तीसरी बड़ी कौम है, इसलिए उनको आबादी के हिसाब से अधिकार दिया जाए.

आयोग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) में परिसीमन अभ्यास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जम्मू कश्मीर ( Jammu Kashmir ) का दौरा कर रहा है, जिसमें कोविड -19 महामारी के कारण देरी हुई थी.

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), कांग्रेस, बीजेपी, अपनी पार्टी, पहाड़ी फोरम, गुज्जर और बकरवाल इत्तेहाद आदि के प्रतिनिधिमंडल सदस्य आयोग से मिले.

विभिन्न डीडीसी सदस्य, दक्षिण कश्मीर के सभी चार जिलों - अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा के जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने भी पहलगाम में परिसीमन आयोग से मुलाकात की.

मंगलवार को आयोग ने भाजपा, बसपा, भाकपा, नेकां, कांग्रेस और पीसी के प्रतिनिधिमंडलों के साथ कई बैठकें की थीं. हालांकि, महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और जेकेएएनसी के नेतृत्व वाली पीडीपी ने परिसीमन प्रक्रिया (delimitation process) से दूर रहने का फैसला किया.

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का गठन पिछले साल छह मार्च को किया गया था. साथ अनुच्छेद 370 के अंतर्गत तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे (special status) में संशोधन के छह महीने बाद और क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.

इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2026 में होने वाला था. हालांकि, 5 अगस्त, 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (Reorganisation Act ) ने जम्मू-कश्मीर के लिए मतदान क्षेत्रों की संख्या 87 से बढ़ाकर 90 कर दी. आयोग के पास इस कवायद को पूरा करने में करीब नौ महीने का समय बचा है.

पढ़ें - पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की हत्या में शामिल था आंतकी मेहराजुद्दीन हलवाई : आईजीपी

24 जून को जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की बैठक में परिसीमन मुद्दे पर चर्चा की गई थी. केंद्र ने केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव (assembly polls) होने से पहले परिसीमन अभ्यास पूरा करने की मांग की.

श्रीनगर : विभिन्न राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों से मिलने के एक दिन बाद परिसीमन आयोग के सदस्य (Delimitation Commission members) अन्य समूहों के साथ आगे की बैठक करने के लिए बुधवार को दक्षिण कश्मीर (South Kashmir) के पहलगाम पहुंचे.

इस संबंध में मुलाकात के बाद अपनी पार्टी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि परिसीमन आयोग से मुलाकात काफी अच्छी रही. इस दौरान उन्होंने परिसीमन आयोग से अपील की कि यहां 2011 की जनसंख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा हो.

वहीं कांग्रेस नेता गुलजार अहमद ने कहा कि हमने आयोग के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने मांग की है परिसीमन के साथ राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और फिर चुनाव हों.

हलगाम पहुंचा परिसीमन आयोग

इसके अलावा गुज्जर बकरावल इत्तेहाद के प्रमुख चौधरी हारून खताना ने बताया कि उन्होंने आयोग के कहा कि बकरावल राज्य में तीसरी बड़ी कौम है, इसलिए उनको आबादी के हिसाब से अधिकार दिया जाए.

आयोग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) में परिसीमन अभ्यास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जम्मू कश्मीर ( Jammu Kashmir ) का दौरा कर रहा है, जिसमें कोविड -19 महामारी के कारण देरी हुई थी.

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), कांग्रेस, बीजेपी, अपनी पार्टी, पहाड़ी फोरम, गुज्जर और बकरवाल इत्तेहाद आदि के प्रतिनिधिमंडल सदस्य आयोग से मिले.

विभिन्न डीडीसी सदस्य, दक्षिण कश्मीर के सभी चार जिलों - अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा के जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने भी पहलगाम में परिसीमन आयोग से मुलाकात की.

मंगलवार को आयोग ने भाजपा, बसपा, भाकपा, नेकां, कांग्रेस और पीसी के प्रतिनिधिमंडलों के साथ कई बैठकें की थीं. हालांकि, महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और जेकेएएनसी के नेतृत्व वाली पीडीपी ने परिसीमन प्रक्रिया (delimitation process) से दूर रहने का फैसला किया.

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का गठन पिछले साल छह मार्च को किया गया था. साथ अनुच्छेद 370 के अंतर्गत तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे (special status) में संशोधन के छह महीने बाद और क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.

इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2026 में होने वाला था. हालांकि, 5 अगस्त, 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (Reorganisation Act ) ने जम्मू-कश्मीर के लिए मतदान क्षेत्रों की संख्या 87 से बढ़ाकर 90 कर दी. आयोग के पास इस कवायद को पूरा करने में करीब नौ महीने का समय बचा है.

पढ़ें - पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की हत्या में शामिल था आंतकी मेहराजुद्दीन हलवाई : आईजीपी

24 जून को जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की बैठक में परिसीमन मुद्दे पर चर्चा की गई थी. केंद्र ने केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव (assembly polls) होने से पहले परिसीमन अभ्यास पूरा करने की मांग की.

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