श्रीनगर: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के साथ ही कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने ईटीवी भारत से फोन पर कहा कि मुझे खुशी है कि सुनवाई खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि हम हमेशा से जानते थे कि फैसला सुरक्षित रखा जाएगा. अब हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे.
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने मामले के तथ्यों को पीठ के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उत्कृष्ट काम किया.बता दें कि अनुच्छेद 370 के तहत दी गई विशेष स्थिति को रद्द कर दिया गया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और में विभाजित कर दिया गया था.
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के 2019 के राष्ट्रपति आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. पीठ ने कहा, 'बार के सभी सदस्यों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हम इस पर बहस समाप्त करते हैं. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.' संविधान पीठ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे, ने 2 अगस्त से मामले की सुनवाई शुरू की थी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत जल्द ही अपना फैसला सुनाएगी.
मार्च 2020 में इस मुद्दे को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंपने के याचिकाकर्ताओं की मांग को स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमणा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने तर्क दिया था कि अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित प्रेम नाथ कौल और संपत प्रकाश मामले में शीर्ष अदालत के दिए गए पहले के फैसले एक दूसरे से विरोधाभासी नहीं थे. सीजेआई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति खन्ना पीठ के नए सदस्य हैं. मुख्य न्यायाधीश रमणा और न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी, जो पिछली पीठ का हिस्सा थे, सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
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(एक्सट्रा इनपुट-एजेंसी)