उत्तरकाशी/देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक चला 41 श्रमवीरों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन आखिरकार पूरा हो चुका है. सभी 41 श्रमवीर सही सलामत रेस्क्यू कर लिए गए हैं. सभी सुरक्षित हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन राज्य और केंद्र की तमाम एजेंसियां लगी रही. जिसका परिणाम उन्हें लगभग 400 घंटों के बाद मिला. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में कई लोगों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही. लेकिन कुछ रियल हीरोज ऐसे भी रहे जो पर्दे के पीछे रहकर 17 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने में अपनी अहम भूमिका निभाई.
डीएम अभिषेक रोहिल्ला: सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर (दीपावली पर्व) की सुबह भू-धंसाव हुआ. 13 नवंबर की सुबह डीएम अभिषेक घटनास्थल पर मौजूद थे. डीएम अभिषेक ने अपनी भूमिका निभाते हुए तत्काल आसपास की मशीनरी से ही काम लेना शुरू किया. मौके पर डटे रहने के साथ ही तमाम अधिकारियों की छुट्टियां रद्द की और तत्काल प्रभाव से ग्राउंड जीरो पर सभी को इकट्ठा कर उनको काम बांटा गया. अभिषेक रोहिल्ला पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने इस पूरी घटना को करीब से देखा. 2015 बेच के आईएएस अभिषेक रोहिल्ला इससे पहले चमोली, नैनीताल और देहरादून में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन के खत्म होने के बाद 29 नवंबर को वे एक बार फिर से अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गए हैं.
एसपी अर्पण यदुवंशी: रेस्क्यू ऑपरेशन में उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने भी अहम भूमिका निभाई. एसपी अर्पण भी डीएम अभिषेक के साथ घटनास्थल पर डटे रहे. उनके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी टनल के बाहर हर दिन जमा हो रही भीड़ को नियंत्रण करने की थी. साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आ रहे तमाम एजेंसियों से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और मशीनरों को बिना किसी देरी के टनल तक पहुंचना प्राथमिकता में था. ऐसे में ग्रीन कॉरिडोर बनाने से लेकर भीड़ को नियंत्रण करने में उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए.
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एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा: उत्तराखंड में आपदा के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली उत्तराखंड एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा का योगदान भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में किसी से कम नहीं था. एसडीआरएफ से ऑपरेशन में एक कदम आगे बढ़कर अपनी भूमिका निभाई. कमांडेंट मणिकांत मिश्रा भी अपनी टीम के साथ टनल पर पहले दिन से मौजूद रहे. मणिकांत मिश्रा ही पहले अधिकारी थे, जिन्होंने सबसे पहले पाइप जाने के बाद मजदूरों से बातचीत की और सभी के सुरक्षित होने की जानकारी अधिकारियों से लेकर मजदूरों के परिजनों को दी. मणिकांत मिश्रा ने एक तरफ टनल में फंसे मजदूरों से भोजपुरी में बातकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्हें यकीन दिलाया कि अपनी हिम्मत न हारें. दूसरी तरफ वो अपनी टीम को भी मोटिवेट करते रहे. उन्होंने खुद रेस्क्यू ऑपरेशन में एक सिपाही की भूमिका निभाई. पहले दिन से अंतिम दिन तक मणिकांत मौके पर ही डटे रहे.
पीएमओ उप सचिव मंगेश घिल्डियाल: उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पीएमओ ने भी बड़ी भूमिका निभाई. इस भूमिका में सबसे बड़ी जिम्मेदारी उत्तराखंड कैडर के आईएएस और प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव पद पर तैनात मंगेश घिल्डियाल की भी रही. पीएमओ की टीम से मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत तमाम अधिकारियों के साथ समन्वय बनाया. मंगेश घिल्डियाल ने उत्तराखंड प्रशासन के साथ मिलकर केंद्र सरकार से जो भी सहायता चाहिए, उसके बीच में सेतु का काम किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय को पल-पल की जानकारी दी. मंगेश घिल्डियाल वे अधिकारी रहे जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर काम शानदार अंजाम दिया.
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उत्तराखंड सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी: उत्तरकाशी में क्या कुछ चल रहा है. किस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. यह पूरी दुनिया जानना चाहती थी. देश और दुनिया की तमाम मीडिया मौके पर थी. वीवीआईपी का जमावड़ा लगा हुआ था. प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार फोन और अन्य माध्यमों से टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट ले रहा था. इन सब काम की जिम्मेदारी उत्तराखंड में आईएएस अधिकारी बंशीधर तिवारी के कंधों पर थी. बंशीधर तिवारी भी पर्दे के पीछे रहकर शानदार भूमिका निभा रहे थे. उत्तराखंड में महानिदेशक सूचना के पद पर तैनात बंशीधर तिवारी 17 दिनों से उत्तरकाशी में ही मौजूद थे. क्योंकि मुख्यमंत्री का कार्यालय भी अस्थाई तौर पर उत्तरकाशी में बना दिया गया था. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय और मुख्यमंत्री के कार्यालय के बीच संबंध बनाने की जिम्मेदारी को बंशीधर तिवारी बखूबी निभा रहे थे.
एसडीएम मनीष सिंह: सिलक्यारा टनल हादसे के एक हफ्ते बाद हरिद्वार से उत्तरकाशी भेजे गए एसडीएम मनीष सिंह ने भी इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. उन्हें सीएम के आदेश पर तत्काल उत्तरकाशी इसलिए भेजा गया. क्योंकि उनके पास कुमाऊं और गढ़वाल के क्षेत्रों में आई आपदाओं में सही तालमेल और आगाज से अंजाम तक पहुंचाने का अनुभव है. एसडीएम मनीष सिंह को उत्तरकाशी में कई तरह की जिम्मेदारी दी गई. जिसमें मजदूरों के परिजनों के साथ बातचीत और समय बिताना, वीआईपी मूवमेंट के साथ-साथ टनल के रेस्क्यू ऑपरेशन में पड़ रही जरूरतों को पूरा करना, जानकारियां उच्चाधिकारियों को देना. मनीष सिंह भी ऑपरेशन के अंतिम दिन तक मौके पर मौजूद रहे.
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नोडल अधिकार नीरज खैरवाल: उत्तरकाशी टनल हादसे के 4 दिन बाद आईएएस नीरज खैरवाल को उत्तराखंड सरकार ने नोडल अधिकारी बनाकर भेजा. नीरज खैरवाल ने तमाम अधिकारियों और एजेंसियों के लिए एक माला के धागे के रूप में काम किया. नीरज खैरवाल ने सभी अधिकारियों के साथ-साथ एजेंसी, पीएमओ, सीएमओ को एक साथ लेकर काम किया.
देशभर से आई दुआएं: उत्तराखंड में हुए देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में इन अधिकारियों ने शांति से अपनी भूमिका निभाई. वैसे इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश की दुआ और मौके पर तैनात हर कर्मचारी अधिकारी की भूमिका बराबर की है. टनल हादसे और हादसे के बाद इस ऑपरेशन को शायद ही कोई भुला पाए. अच्छी बात ये है कि सभी 41 मजदुर सुरक्षित हैं. अब उनका आगे का इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा है.
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