नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय को बृहस्पतिवार को आश्वस्त किया गया कि 'लाभ के पद' (Office Of Profit) प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में निर्वाचन आयोग की राय पर मणिपुर के राज्यपाल शीघ्र ही कोई निर्णय लेंगे.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरात्न की पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह आश्वासन दिया. इससे पहले पीठ ने सॉलिसीटर जनरल से राज्यपाल के निर्णय के बारे में प्रश्न किया था.
पीठ ने कहा, निर्वाचन आयोग ने जनवरी माह में राय व्यक्त की थी. अनुच्छेद 192 के अनुसार राज्यपाल को निर्णय मानना होगा. बीते 11 माह में कुछ नहीं हुआ. हम कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते लेकिन अपने कार्यालयों को यह सूचित कर दीजिए....
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा, मैं आपको आश्वासन देता हूं कि हम कुछ करेंगे और कोई निर्देश पारित करने की जरूरत नहीं होगी.
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि मणिपुर के राज्यपाल 'लाभ के पद' मामले में भाजपा के 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के संबंध में निर्वाचन आयोग की राय को लेकर बैठे नहीं रह सकते.
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब उसे सूचित किया गया कि राज्यपाल ने 13 जनवरी 2021 के निर्वाचन आयोग की राय पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. शीर्ष अदालत कारोंग से विधायक डी डी थैसी और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 12 विधायकों को इस आधार पर अयोग्य घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया था कि वे संसदीय सचिवों के पद पर हैं जो 'लाभ के पद' के समान है.
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विधायक थैसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपने तर्क में कहा था कि राज्यपाल निर्णय को लटकाए नहीं रख सकते और वह विचार जानने के हकदार हैं.
गौरतलब है कि मणिपुर से भाजपा के 12 विधायक कथित तौर पर 2018 के 'लाभ के पद' मामले में अयोग्य ठहराए जाने के मामले का सामना कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने विधायकों को नियमों का उल्लंघनकर्ता नहीं माना था क्योंकि वे राज्य में दो कानूनों द्वारा प्रदत्त छूट के तहत संसदीय सचिव के पद पर आसीन थे.
इन कानूनों को बाद में उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था. न्यायालय द्वारा इन कानून को निरस्त किये जाने के बाद मणिपुर कांग्रेस ने राज्यपाल नजमा हेप्तुल्ला के समक्ष याचिका दायर कर भापजा के 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था.
राज्यपाल ने इस मामले में पिछले साल अक्टूबर में निर्वाचन आयोग से राय मांग थी.
बताते हैं कि आयोग ने इस साल जनवरी में राज्यपाल को एक पत्र लिखकर उन्हें अपनी राय से अवगत कराया था.
(पीटीआई-भाषा)