बालासोर/भुवनेश्वर: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए रेल हादसे की जांचकर्ता मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और अन्य संभावित पहलुओं से जांच कर रहे हैं. अधिकारियों ने इस भयावह रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है. हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई और 1100 से अधिक यात्री घायल हैं.
-
#WATCH | Odisha: Prime Minister Narendra Modi was briefed by Union Railways minister Ashwini Vaishnaw, Union Minister Dharmendra Pradhan and other officials about the #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/DBcaMSlWht
— ANI (@ANI) June 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">#WATCH | Odisha: Prime Minister Narendra Modi was briefed by Union Railways minister Ashwini Vaishnaw, Union Minister Dharmendra Pradhan and other officials about the #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/DBcaMSlWht
— ANI (@ANI) June 3, 2023#WATCH | Odisha: Prime Minister Narendra Modi was briefed by Union Railways minister Ashwini Vaishnaw, Union Minister Dharmendra Pradhan and other officials about the #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/DBcaMSlWht
— ANI (@ANI) June 3, 2023
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन दलों के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी. उन्होंने अस्पताल में कुछ घायलों से भी मुलाकात की. मोदी ने कहा, 'अपना दर्द बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. रेल हादसे के लिए दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा.' बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ. दोनों यात्री ट्रेन में करीब 2500 यात्री सवार थे.
दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए. दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है. रेल हादसे के बाद करीब 90 ट्रेन को रद्द किया गया है जबकि 46 ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया. इसके साथ ही 11 ट्रेन को उनके गंतव्य से पहले ही रोक दिया गया है. हादसे के कारण प्रभावित ज्यादातर ट्रेन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन की हैं.
-
#WATCH | "...A crane has arrived, we will pull up (coaches) one by one but we don't expect any survivors under them. We are disheartened, we had never seen so many bodies in our life..," says Odisha's Director General, Fire Services, Sudhanshu Sarangi, on #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/NhUumiWzOy
— ANI (@ANI) June 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">#WATCH | "...A crane has arrived, we will pull up (coaches) one by one but we don't expect any survivors under them. We are disheartened, we had never seen so many bodies in our life..," says Odisha's Director General, Fire Services, Sudhanshu Sarangi, on #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/NhUumiWzOy
— ANI (@ANI) June 3, 2023#WATCH | "...A crane has arrived, we will pull up (coaches) one by one but we don't expect any survivors under them. We are disheartened, we had never seen so many bodies in our life..," says Odisha's Director General, Fire Services, Sudhanshu Sarangi, on #BalasoreTrainAccident pic.twitter.com/NhUumiWzOy
— ANI (@ANI) June 3, 2023
दुर्घटना स्थल ऐसा लग रहा था, जैसे एक शक्तिशाली बवंडर ने रेलगाड़ी के डिब्बों को खिलौनों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया हो. मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेन को लाया गया और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शव निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया. हादसे में घायल यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. रेल हादसे की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई.
समझा जाता है कि बगल की पटरी पर क्षतिग्रस्त हालत में मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने के बाद बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट गये. एक अधिकारी ने शनिवार अपराह्न तक उपलब्ध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हादसे में 288 यात्रियों की मौत हुई है. वहीं, 56 घायलों की हालत गंभीर है.
दक्षिण भारत में कई महीने काम करने के बाद अपने परिवार के पास लौट रहे 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में सवार कई यात्रियों ने अचानक तेज आवाज सुनी, जिसके बाद वे अपनी सीट से गिर पड़े और बत्ती गुल हो गई. बर्धमान के रहने वाले मिजान उल हक रेलगाड़ी के पिछले हिस्से के एक डिब्बे में थे.
-
#WATCH | Amitabh Sharma, Spokesperson, Ministry of Railways speaks on anti-collision device..."The Train Collision Avoidance System (TCAS) or Kavach was on trial last year...in this technology when locomotives are on the same track then there is an automatic break...." pic.twitter.com/h1l6oFBFCv
— ANI (@ANI) June 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">#WATCH | Amitabh Sharma, Spokesperson, Ministry of Railways speaks on anti-collision device..."The Train Collision Avoidance System (TCAS) or Kavach was on trial last year...in this technology when locomotives are on the same track then there is an automatic break...." pic.twitter.com/h1l6oFBFCv
— ANI (@ANI) June 3, 2023#WATCH | Amitabh Sharma, Spokesperson, Ministry of Railways speaks on anti-collision device..."The Train Collision Avoidance System (TCAS) or Kavach was on trial last year...in this technology when locomotives are on the same track then there is an automatic break...." pic.twitter.com/h1l6oFBFCv
— ANI (@ANI) June 3, 2023
कर्नाटक से लौट रहे हक ने कहा, 'ट्रेन तेज गति से दौड़ रही थी. शाम लगभग 7 बजे तेज आवाज सुनाई दी और सबकुछ हिलने लगा. बोगी के अंदर बिजली गुल होते ही मैं ऊपर की सीट से फर्श पर गिर पड़ा.' उन्होंने कहा कि किसी तरह वह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. हक ने हावड़ा स्टेशन पर एजेंसी से कहा, 'यह बेहद दुखद था कि कई लोग बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बे के पास पड़े हुए थे.'
बर्धमान के निवासी और बेंगलुरु में बढ़ई के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि जिस बोगी में वह यात्रा कर रहा था, वह पलट जाने से उसकी छाती, पैर और सिर में चोट लगी. उन्होंने कहा, 'हमें खुद को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़कर डिब्बे से बाहर कूदना पड़ा. दुर्घटना के बाद हमने कई लाशें पड़ी देखीं.' हादसे में बचे लोगों के अनुसार, अनारक्षित डिब्बों में बड़ी संख्या में यात्री सवार थे और इनमें ज्यादातर प्रवासी श्रमिक शामिल थे, जो तमिलनाडु या केरल जा रहे थे.
कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं: ट्रेन हादसा रोधी प्रणाली 'कवच' काम क्यों नहीं कर रही थी, इस पर भी सवाल उठाए गए. रेलवे ने कहा है कि 'कवच' प्रणाली मार्ग पर उपलब्ध नहीं थी. प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि सिग्नल दिया गया था, फिर बंद कर दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू की है, जिसका नेतृत्व रेलवे सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण पूर्व क्षेत्र करेंगे.
-
#WATCH | Odisha: Restoration work is underway at the site of #BalasoreTrainAccident as wreckage and mangled coaches of derailed trains are being moved away from the track.
— ANI (@ANI) June 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Death toll in the incident stands at 288 with 747 people injured along with 56 grievously injured so far.… pic.twitter.com/BGHkJWw9hL
">#WATCH | Odisha: Restoration work is underway at the site of #BalasoreTrainAccident as wreckage and mangled coaches of derailed trains are being moved away from the track.
— ANI (@ANI) June 3, 2023
Death toll in the incident stands at 288 with 747 people injured along with 56 grievously injured so far.… pic.twitter.com/BGHkJWw9hL#WATCH | Odisha: Restoration work is underway at the site of #BalasoreTrainAccident as wreckage and mangled coaches of derailed trains are being moved away from the track.
— ANI (@ANI) June 3, 2023
Death toll in the incident stands at 288 with 747 people injured along with 56 grievously injured so far.… pic.twitter.com/BGHkJWw9hL
सूत्रों ने पहले कहा था कि दुर्घटना के पीछे सिग्नल फेल होना कारण हो सकता है. रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ‘लूप लाइन’ में घुसी और खड़ी मालगाड़ी से टकराई या यह पहले पटरी से उतरी और फिर ‘लूप लाइन’ में प्रवेश करने के बाद खड़ी ट्रेन से टकरा गई. प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल 'दिया गया था और ट्रेन संख्या 12841 को अप मेन लाइन के लिए रवाना किया गया था, लेकिन ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लूपलाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गयी.'
रिपोर्ट के अनुसार 'इस बीच, (ट्रेन संख्या) 12864 ‘डाउन मेन लाइन’ से गुजरी और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए और पलट गए.' उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल की ‘लूप लाइन’ एक स्टेशन क्षेत्र में निर्मित की जाती है और इस मामले में यह बाहानगा बाजार स्टेशन है. इसका (लूप लाइन का) उद्देश्य परिचालन को सुगम करने के लिए अधिक ट्रेन को समायोजित करना होता है. लूप लाइन आमतौर पर 750 मीटर लंबी होती है, ताकि कई इंजन वाली लंबी मालगाड़ी का पूरा हिस्सा उस पर आ जाए.
दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं: सूत्रों ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की गति 116 किमी प्रति घंटा थी. रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है. ये रेलगाड़ियां आमतौर पर अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति तक चलती हैं. भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, 'एसई (दक्षिण-पूर्व) क्षेत्र के सीआरएस (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) ए एम चौधरी हादसे की जांच करेंगे.' अभी तक किसी भी अधिकारी ने हादसे में साजिश की आशंका जाहिर नहीं की है. भारतीय रेल के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, 'बचाव अभियान पूरा हो गया है. हम अब मार्ग को सुचारू करने का कार्य शुरू कर रहे हैं. इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.' रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके.
जब लोको पायलट (ट्रेन चालक) किसी सिग्नल को तोड़ कर आगे बढ़ता है, तो यह ‘कवच’ सक्रिय हो जाता है. सिग्नल की अनदेखी करना रेलगाड़ियों के टकराने का प्रमुख कारण है. यह प्रणाली जब किसी अन्य ट्रेन को उसी मार्ग पर एक निर्धारित दूरी के अंदर होने का संकेत प्राप्त करती है, तब लोको पायलट को सतर्क कर सकती है, ब्रेक लगाती है और ट्रेन को स्वत: रोक देती है.
(पीटीआई-भाषा)