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श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार को नहीं करना पड़ रहा इंतजार, मिली राहत - crematorium in dehradun

कोरोना कर्फ्यू के बाद से जो सिलसिला दो महीने से जारी था. वह अब पिछले तीन दिनों से कम होने लगा है. यानी अब जिन तीनों श्मशान घाटों पर जहां करीब 60-70 अंतिम संस्कार किए जा रहे थे, अब वो कुल आंकड़ा 20 से 25 पर पहुंच गया है.

देहरादून
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Published : May 18, 2021, 9:46 AM IST

देहरादून : राजधानी के तीन श्मशान घाटों पर पिछले दो महीनों से शवों के अंतिम संस्कार तक की जगह नहीं मिल पा रही थी. आलम यह था कि एक चिता ठंडी नहीं होती थी कि दूसरा शव लेकर लोग पहुंच जाते थे. श्मशान घाट प्रबंधन की मानें तो हालत ये थे कि श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किए जाने वाले शवों का आंकड़ा एक ही दिन में दो दर्जन से ज्यादा पहुंच गया था. जिस वजह से श्मशान घाट प्रशासन को शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए बाहर से लोग हायर करने पड़ रहे थे. इतना ही नहीं, शव जलाने की व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने के लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन की व्यवस्था को भी लागू किया गया था, मगर अब धीरे-धीरे ये संख्या कम होती दिख रही है.

देहरादून के श्मशान घाटों से राहत भरी खबर.

कोरोना कर्फ्यू के बाद से जो सिलसिला दो महीने से जारी था. वह अब पिछले तीन दिनों से कम होने लगा है. यानी अब जिन तीनों श्मशान घाटों पर जहां करीब 60-70 अंतिम संस्कार किए जा रहे थे, अब वो कुल आंकड़ा 20 से 25 पर पहुंच गया है. उम्मीद है कि आने वाले अगले एक हफ्ते में फिर से श्मशान घाटों पर रोजाना चार से पांच शव ही पहुंचेंगे. बहरहाल, राज्य में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या भले ही अभी भी लगभग 180 से ऊपर हो, लेकिन श्मशान घाट पर आने वालों शवों की संख्या पर विराम लगता नजर आ रहा है, जो कि राहत की खबर है.

पढ़ें-ब्लैक फंगस के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत : पीएम मोदी

देहरादून में तीन श्मशान घाट हैं. जिनमें लक्खी बाग, नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट और चंद्रबनी श्मशान घाट शामिल हैं. इनमें देहरादून ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं. अगर सामान्य दिनों की बात करें तो इन तीनों ही श्मशान घाटों पर रोजाना करीब चार से पांच शव ही आते थे, लेकिन कोरोना काल में प्रत्येक श्मशान घाट पर आने वाले शवों का आंकड़ा बढ़कर 20 से 25 तक पहुंच गया था. मगर अब राहत भरी खबर है कि इन घाटों पर आने वाले शवों की संख्या में कमी देखी जा रही है.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से रोजाना जारी किए जा रहे हेल्थ बुलेटिन में मौत के आंकड़े और श्मशान घाटों किए जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की संख्या पर ध्यान दें तो यह आंकड़े इस बात को बयां कर रहे है कि जब स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में मौत का आंकड़ा कम था. उस दौरान श्मशान घाटों किए जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की संख्या अधिक थी. ऐसे में ये आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि इन श्मशान घाटों पर आने वाले शवों में से तमाम शव ऐसे रहे होंगे, जो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

लक्खी बाग श्मशान घाट में पिछले दो महीने से रोजाना करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा था. जब ईटीवी भारत की टीम ने लक्खी बाग श्मशान घाट के पुजारी पंडित रोहित शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब रोजाना पिछले दो महीने से करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. सामान्य दिनों में कभी साल में एक दिन ऐसा होता था जब एक दिन में 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया हो.

पढ़ें-बिहार में ब्लैक फंगस ने सरकार की बढ़ाई परेशानी, दहशत में लोग

वे बताते हैं कि पिछले तीन दिनों से यह संख्या घटकर 11 हो गई. यही नहीं रोहित शर्मा ने बताया कि 15 मई को इस श्मशान घाट पर चार शवों का दाह संस्कार किया गया था. इसी तरह 16 मई को 11 शव, 17 मई को भी 12 शवो का दाह संस्कार किया गया है. रोहित ने देहरादून के अन्य श्मशान घाट के बारे में बताते हुए कहा पिछले दो महीने से यही स्थिति उन श्मशान घाटों पर भी बनी हुई थी, मगर अब सब जगह हालात सामान्य होने लगे हैं.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

यही नहीं, जब रोहित शर्मा से यह सवाल किया गया कि किस उम्र के लोगों का शव यहां सबसे अधिक आया तो उन्होंने बताया कि लक्खी बाग श्मशान घाट पर 35 से 60 साल के लोगों के शवों की संख्या अधिक रहती है. रोहित बताते हैं कि पिछले दो महीने से जब शवों की संख्या अधिक आने लगी थी, उस दौरान श्मशान घाट में शवों का अंबार न लग जाए, इसके लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन सिस्टम लागू किया गया, जिससे तय समय और व्यवस्थित तरीके से शवों का दाह संस्कार किया जा सके.

रोहित बताते हैं कि लक्खी बाग श्मशान घाट में रोजाना 10 से 11 शव, चंद्रबनी श्मशान घाट में सात से आठ शव और नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट में चार से पांच शव रोज आ रहे हैं.

पढ़ें- बिहार में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे मोबाइल एंबुलेंस, जिम्मेदार कौन?

राज्य सरकार भी इस बात को मान रही है कि लोग टेस्ट न करा कर कोरोना संक्रमित होने के बावजूद भी इस बात को छिपा रहे हैं. इस बाबत जब शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि लोग हॉस्पिटल तब जा रहे हैं. जब उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब हो जाती है. जिस वजह से हालात बिगड़ जाते हैं. उन्होंने कहा राज्य सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि समय रहते अपना कोविड टेस्ट करा लें.

उन्होंने कहा खासकर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं, मगर लोगों को यह समझना होगा कि टेस्ट कराना न सिर्फ उस व्यक्ति के लिए बल्कि उसके परिवार और गांव के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा सरकार की सख्ती और लोगों की जागरुकता से जरुर हम कोरोना की चेन को तोड़ने में कामयाब होंगे.

देहरादून : राजधानी के तीन श्मशान घाटों पर पिछले दो महीनों से शवों के अंतिम संस्कार तक की जगह नहीं मिल पा रही थी. आलम यह था कि एक चिता ठंडी नहीं होती थी कि दूसरा शव लेकर लोग पहुंच जाते थे. श्मशान घाट प्रबंधन की मानें तो हालत ये थे कि श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किए जाने वाले शवों का आंकड़ा एक ही दिन में दो दर्जन से ज्यादा पहुंच गया था. जिस वजह से श्मशान घाट प्रशासन को शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए बाहर से लोग हायर करने पड़ रहे थे. इतना ही नहीं, शव जलाने की व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने के लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन की व्यवस्था को भी लागू किया गया था, मगर अब धीरे-धीरे ये संख्या कम होती दिख रही है.

देहरादून के श्मशान घाटों से राहत भरी खबर.

कोरोना कर्फ्यू के बाद से जो सिलसिला दो महीने से जारी था. वह अब पिछले तीन दिनों से कम होने लगा है. यानी अब जिन तीनों श्मशान घाटों पर जहां करीब 60-70 अंतिम संस्कार किए जा रहे थे, अब वो कुल आंकड़ा 20 से 25 पर पहुंच गया है. उम्मीद है कि आने वाले अगले एक हफ्ते में फिर से श्मशान घाटों पर रोजाना चार से पांच शव ही पहुंचेंगे. बहरहाल, राज्य में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या भले ही अभी भी लगभग 180 से ऊपर हो, लेकिन श्मशान घाट पर आने वालों शवों की संख्या पर विराम लगता नजर आ रहा है, जो कि राहत की खबर है.

पढ़ें-ब्लैक फंगस के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत : पीएम मोदी

देहरादून में तीन श्मशान घाट हैं. जिनमें लक्खी बाग, नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट और चंद्रबनी श्मशान घाट शामिल हैं. इनमें देहरादून ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं. अगर सामान्य दिनों की बात करें तो इन तीनों ही श्मशान घाटों पर रोजाना करीब चार से पांच शव ही आते थे, लेकिन कोरोना काल में प्रत्येक श्मशान घाट पर आने वाले शवों का आंकड़ा बढ़कर 20 से 25 तक पहुंच गया था. मगर अब राहत भरी खबर है कि इन घाटों पर आने वाले शवों की संख्या में कमी देखी जा रही है.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से रोजाना जारी किए जा रहे हेल्थ बुलेटिन में मौत के आंकड़े और श्मशान घाटों किए जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की संख्या पर ध्यान दें तो यह आंकड़े इस बात को बयां कर रहे है कि जब स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में मौत का आंकड़ा कम था. उस दौरान श्मशान घाटों किए जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की संख्या अधिक थी. ऐसे में ये आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि इन श्मशान घाटों पर आने वाले शवों में से तमाम शव ऐसे रहे होंगे, जो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

लक्खी बाग श्मशान घाट में पिछले दो महीने से रोजाना करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा था. जब ईटीवी भारत की टीम ने लक्खी बाग श्मशान घाट के पुजारी पंडित रोहित शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब रोजाना पिछले दो महीने से करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. सामान्य दिनों में कभी साल में एक दिन ऐसा होता था जब एक दिन में 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया हो.

पढ़ें-बिहार में ब्लैक फंगस ने सरकार की बढ़ाई परेशानी, दहशत में लोग

वे बताते हैं कि पिछले तीन दिनों से यह संख्या घटकर 11 हो गई. यही नहीं रोहित शर्मा ने बताया कि 15 मई को इस श्मशान घाट पर चार शवों का दाह संस्कार किया गया था. इसी तरह 16 मई को 11 शव, 17 मई को भी 12 शवो का दाह संस्कार किया गया है. रोहित ने देहरादून के अन्य श्मशान घाट के बारे में बताते हुए कहा पिछले दो महीने से यही स्थिति उन श्मशान घाटों पर भी बनी हुई थी, मगर अब सब जगह हालात सामान्य होने लगे हैं.

देहरादून के श्मशान घाट.
देहरादून के श्मशान घाट.

यही नहीं, जब रोहित शर्मा से यह सवाल किया गया कि किस उम्र के लोगों का शव यहां सबसे अधिक आया तो उन्होंने बताया कि लक्खी बाग श्मशान घाट पर 35 से 60 साल के लोगों के शवों की संख्या अधिक रहती है. रोहित बताते हैं कि पिछले दो महीने से जब शवों की संख्या अधिक आने लगी थी, उस दौरान श्मशान घाट में शवों का अंबार न लग जाए, इसके लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन सिस्टम लागू किया गया, जिससे तय समय और व्यवस्थित तरीके से शवों का दाह संस्कार किया जा सके.

रोहित बताते हैं कि लक्खी बाग श्मशान घाट में रोजाना 10 से 11 शव, चंद्रबनी श्मशान घाट में सात से आठ शव और नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट में चार से पांच शव रोज आ रहे हैं.

पढ़ें- बिहार में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे मोबाइल एंबुलेंस, जिम्मेदार कौन?

राज्य सरकार भी इस बात को मान रही है कि लोग टेस्ट न करा कर कोरोना संक्रमित होने के बावजूद भी इस बात को छिपा रहे हैं. इस बाबत जब शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि लोग हॉस्पिटल तब जा रहे हैं. जब उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब हो जाती है. जिस वजह से हालात बिगड़ जाते हैं. उन्होंने कहा राज्य सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि समय रहते अपना कोविड टेस्ट करा लें.

उन्होंने कहा खासकर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं, मगर लोगों को यह समझना होगा कि टेस्ट कराना न सिर्फ उस व्यक्ति के लिए बल्कि उसके परिवार और गांव के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा सरकार की सख्ती और लोगों की जागरुकता से जरुर हम कोरोना की चेन को तोड़ने में कामयाब होंगे.

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