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उत्तराखंड में कॉर्बेट के आसपास कमर्शियल गतिविधियों पर NTCA का नोटिस, बदलाव पर वन विभाग देगा जवाब - इको सेंसिटिव जोन का ड्राफ्ट

कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास क्षेत्र में व्यवसायिक निर्माण और गतिविधि को लेकर एनटीसीए ने उत्तराखंड वन विभाग को नोटिस जारी किया है. बता दें कि शिकायतकर्ता गौरव कुमार बंसल ने एनटीसीए को याचिका देकर राज्य सरकार पर बड़े व्यवसायियों को फायदा देने के लिए नियमों में शिथिलता का आरोप लगाया है.

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Published : Dec 10, 2022, 10:33 PM IST

देहरादून: इको सेंसेटिव जोन (eco sensitive zone) के एक किलोमीटर की परिधि में निर्माण कार्य पर रोक को लेकर जहां पहले ही राज्य सरकार चिंतित है. वहीं अब एनटीसीए ने कॉर्बेट क्षेत्र में बफर जोन के आसपास व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने को लेकर उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) से जवाब तलब किया है. एनटीसीए में शिकायतकर्ता ने राज्य सरकार पर बड़े व्यवसायियों को फायदा देने के लिए नियमों में शिथिलता का आरोप लगाया है.

उत्तराखंड में कॉर्बेट के आसपास कमर्शियल गतिविधियों पर NTCA का नोटिस

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) क्षेत्र में बफर जोन के आसपास व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर एक बार फिर वन महकमा सवालों के घेरे में है. इस बार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority) ने एक याचिका के मामले पर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को नोटिस जारी करते हुए बफर जोन के आसपास होटल, रिजॉर्ट और फार्म हाउस के निर्माण को लेकर जवाब मांगा है.

बता दें कि लगातार कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने को लेकर शिकायतें आती रहती हैं. खासतौर पर बड़े-बड़े रिजॉर्ट होटल बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं. वन्यजीव प्रेमी का भी मानना है कि बड़ी संख्या में लोगों के यहां आने और गतिविधियां बढ़ने के कारण वन्यजीवों पर इसका सीधा असर हो रहा है.

इको सेंसेटिव जोन के नियम
इको सेंसेटिव जोन के नियम
ये भी पढ़ें: दरक रहा जोशीमठ, धंस रहे घर, खतरे में ऐतिहासिक शहर का अस्तित्व

वहीं, एनटीसीए में शिकायतकर्ता गौरव कुमार बंसल ने एक याचिका के जरिए वन विभाग पर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में ऊंची पहुंच रखने वाले कई व्यवसायियों और नौकरशाहों को फायदा देने के लिए बड़े-बड़े निर्माण के लिए नियमों में शिथिलता बरती जा रही है. एनटीसीए के मानक अनुसार जहां बफर जोन से इको सेंसेटिव जोन की दूरी के लिहाज से मानक तय करने के हैं, वहीं, राज्य ने कोर जोन से इस दूरी को रखकर बड़े लोगों को फायदा देने की कोशिश की है.

गौरव कुमार बंसल का आरोप है कि उत्तराखंड सरकार ने इको सेंसिटिव जोन का ड्राफ्ट (Draft of Eco Sensitive Zone) बनाया है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन को एरिया टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से माना गया है, जो गलत है.

इको सेंसेटिव जोन के नियम
इको सेंसेटिव जोन के नियम

मामले में एनटीसीए ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को इसके मद्देनजर जवाब देने के लिए कहा गया है. जिसको लेकर फिलहाल इस नोटिस का अध्ययन किया जा रहा है. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा एनटीसीए के नियमों के अनुसार ही काम होगा और एनटीसीए ने जो भी इस मामले में निर्देश दिए हैं, उन पर ही डिपार्टमेंट काम करेगा. उधर उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने कहा एनटीसीए के नोटिस का परीक्षण कराया जा रहा है. नोटिस में जो बातें लिखी गई हैं, उसके आधार पर जवाब दिया जाएगा.

देहरादून: इको सेंसेटिव जोन (eco sensitive zone) के एक किलोमीटर की परिधि में निर्माण कार्य पर रोक को लेकर जहां पहले ही राज्य सरकार चिंतित है. वहीं अब एनटीसीए ने कॉर्बेट क्षेत्र में बफर जोन के आसपास व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने को लेकर उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) से जवाब तलब किया है. एनटीसीए में शिकायतकर्ता ने राज्य सरकार पर बड़े व्यवसायियों को फायदा देने के लिए नियमों में शिथिलता का आरोप लगाया है.

उत्तराखंड में कॉर्बेट के आसपास कमर्शियल गतिविधियों पर NTCA का नोटिस

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) क्षेत्र में बफर जोन के आसपास व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर एक बार फिर वन महकमा सवालों के घेरे में है. इस बार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority) ने एक याचिका के मामले पर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को नोटिस जारी करते हुए बफर जोन के आसपास होटल, रिजॉर्ट और फार्म हाउस के निर्माण को लेकर जवाब मांगा है.

बता दें कि लगातार कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों के बढ़ने को लेकर शिकायतें आती रहती हैं. खासतौर पर बड़े-बड़े रिजॉर्ट होटल बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं. वन्यजीव प्रेमी का भी मानना है कि बड़ी संख्या में लोगों के यहां आने और गतिविधियां बढ़ने के कारण वन्यजीवों पर इसका सीधा असर हो रहा है.

इको सेंसेटिव जोन के नियम
इको सेंसेटिव जोन के नियम
ये भी पढ़ें: दरक रहा जोशीमठ, धंस रहे घर, खतरे में ऐतिहासिक शहर का अस्तित्व

वहीं, एनटीसीए में शिकायतकर्ता गौरव कुमार बंसल ने एक याचिका के जरिए वन विभाग पर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में ऊंची पहुंच रखने वाले कई व्यवसायियों और नौकरशाहों को फायदा देने के लिए बड़े-बड़े निर्माण के लिए नियमों में शिथिलता बरती जा रही है. एनटीसीए के मानक अनुसार जहां बफर जोन से इको सेंसेटिव जोन की दूरी के लिहाज से मानक तय करने के हैं, वहीं, राज्य ने कोर जोन से इस दूरी को रखकर बड़े लोगों को फायदा देने की कोशिश की है.

गौरव कुमार बंसल का आरोप है कि उत्तराखंड सरकार ने इको सेंसिटिव जोन का ड्राफ्ट (Draft of Eco Sensitive Zone) बनाया है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन को एरिया टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से माना गया है, जो गलत है.

इको सेंसेटिव जोन के नियम
इको सेंसेटिव जोन के नियम

मामले में एनटीसीए ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को इसके मद्देनजर जवाब देने के लिए कहा गया है. जिसको लेकर फिलहाल इस नोटिस का अध्ययन किया जा रहा है. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा एनटीसीए के नियमों के अनुसार ही काम होगा और एनटीसीए ने जो भी इस मामले में निर्देश दिए हैं, उन पर ही डिपार्टमेंट काम करेगा. उधर उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने कहा एनटीसीए के नोटिस का परीक्षण कराया जा रहा है. नोटिस में जो बातें लिखी गई हैं, उसके आधार पर जवाब दिया जाएगा.

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