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पूर्वोत्तर में उग्रवाद से संबंधित हिंसा में कमी देखी गई: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है, उग्रवाद की घटनाओं में गिरावट देखी गई है. राय ने कहा कि वर्ष 2014 से जुलाई 2022 तक, पूर्वोत्तर के विभिन्न विद्रोही समूहों के कुल 6070 कैडर 1404 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

mha northeast insurgency decreasing
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Published : Aug 4, 2022, 9:20 AM IST

Updated : Aug 4, 2022, 1:26 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को दोहराया कि पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद संबंधी हिंसा में भारी कमी आई है. 2014 के बाद से उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. 2014 की तुलना में वर्ष 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत, नागरिक मौतों में 89 प्रतिशत और सुरक्षा बलों के हताहतों में 60 प्रतिशत की कमी आई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. यह कहते हुए कि जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है, उग्रवाद की घटनाओं में गिरावट देखी गई है. राय ने कहा कि वर्ष 2014 से जुलाई 2022 तक, पूर्वोत्तर के विभिन्न विद्रोही समूहों के कुल 6070 कैडर 1404 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

पढ़ें: 'पूर्वोत्तर में कम हुआ उग्रवाद, महामारी के बावजूद बढ़ी तस्करी'

पिछले साल हुई कुल 209 घटनाओं के मुकाबले इस साल अब तक 133 उग्रवाद संबंधी घटनाएं हुई हैं. इस साल पूर्वोत्तर में इस तरह की हिंसा में छह नागरिकों और एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई. राय ने कहा कि 23 हथियारों के साथ 751 विद्रोहियों ने भी इस साल सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल पूर्वोत्तर में उग्रवाद संबंधी हिंसा में कुल 23 नागरिकों और सुरक्षा बल के आठ जवानों की जान चली गई थी. राय ने बताया कि पिछले साल 471 हथियारों के साथ कुल 1473 विद्रोहियों ने भी सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है.

इससे पहले गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में भी पूर्वोत्तर में उग्रवाद और नागरिकों की मौत को लेकर बड़ा दावा किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले आठ साल में पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी आई है. ऐसे ही सुरक्षा बलों के हताहत कर्मियों की संख्या में भी 75 फीसदी तक की गिरावट हुई है. वहीं, नागरिकों की मृत्यु की बात करें तो उसमें भी 99 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है.

पढ़ें: मिजोरम : असम राइफल्स ने डेटोनेटर और विस्फोटक किया जब्त, एक गिरफ्तार

2020 में पिछले दो दशकों के दौरान उग्रवाद, नागरिकों व सुरक्षाबलों के कर्मियों के हताहत होने के सबसे कम मामले सामने आए. रिपोर्ट के अनुसार, 2014 की तुलना में 2020 में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी की कमी आई. इसी तरह इस दौरान सुरक्षा बलों के हताहतों में 75 फीसदी और नागरिकों की मौत के मामलों में 99 फीसदी की कमी आई. रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 2019 की तुलना में उग्रवाद की घटनाओं में करीब 27 फीसदी की गिरावट देखी गई. 2019 में ऐसी 223 घटनाएं और 2020 में 162 घटनाएं सामने आई थीं. इसी प्रकार नागरिक और सुरक्षा बलों के कर्मियों के हताहतों में लगभग 72 फीसदी की गिरावट देखी गई. 2019 में इस तरह की 25 और 2020 में सात मामले सामने आए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद रोधी अभियानों में 21 विद्रोहियों को मार गिराया गया.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को दोहराया कि पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद संबंधी हिंसा में भारी कमी आई है. 2014 के बाद से उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. 2014 की तुलना में वर्ष 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत, नागरिक मौतों में 89 प्रतिशत और सुरक्षा बलों के हताहतों में 60 प्रतिशत की कमी आई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. यह कहते हुए कि जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है, उग्रवाद की घटनाओं में गिरावट देखी गई है. राय ने कहा कि वर्ष 2014 से जुलाई 2022 तक, पूर्वोत्तर के विभिन्न विद्रोही समूहों के कुल 6070 कैडर 1404 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

पढ़ें: 'पूर्वोत्तर में कम हुआ उग्रवाद, महामारी के बावजूद बढ़ी तस्करी'

पिछले साल हुई कुल 209 घटनाओं के मुकाबले इस साल अब तक 133 उग्रवाद संबंधी घटनाएं हुई हैं. इस साल पूर्वोत्तर में इस तरह की हिंसा में छह नागरिकों और एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई. राय ने कहा कि 23 हथियारों के साथ 751 विद्रोहियों ने भी इस साल सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल पूर्वोत्तर में उग्रवाद संबंधी हिंसा में कुल 23 नागरिकों और सुरक्षा बल के आठ जवानों की जान चली गई थी. राय ने बताया कि पिछले साल 471 हथियारों के साथ कुल 1473 विद्रोहियों ने भी सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है.

इससे पहले गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में भी पूर्वोत्तर में उग्रवाद और नागरिकों की मौत को लेकर बड़ा दावा किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले आठ साल में पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी आई है. ऐसे ही सुरक्षा बलों के हताहत कर्मियों की संख्या में भी 75 फीसदी तक की गिरावट हुई है. वहीं, नागरिकों की मृत्यु की बात करें तो उसमें भी 99 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है.

पढ़ें: मिजोरम : असम राइफल्स ने डेटोनेटर और विस्फोटक किया जब्त, एक गिरफ्तार

2020 में पिछले दो दशकों के दौरान उग्रवाद, नागरिकों व सुरक्षाबलों के कर्मियों के हताहत होने के सबसे कम मामले सामने आए. रिपोर्ट के अनुसार, 2014 की तुलना में 2020 में उग्रवाद की घटनाओं में 80 फीसदी की कमी आई. इसी तरह इस दौरान सुरक्षा बलों के हताहतों में 75 फीसदी और नागरिकों की मौत के मामलों में 99 फीसदी की कमी आई. रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 2019 की तुलना में उग्रवाद की घटनाओं में करीब 27 फीसदी की गिरावट देखी गई. 2019 में ऐसी 223 घटनाएं और 2020 में 162 घटनाएं सामने आई थीं. इसी प्रकार नागरिक और सुरक्षा बलों के कर्मियों के हताहतों में लगभग 72 फीसदी की गिरावट देखी गई. 2019 में इस तरह की 25 और 2020 में सात मामले सामने आए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद रोधी अभियानों में 21 विद्रोहियों को मार गिराया गया.

Last Updated : Aug 4, 2022, 1:26 PM IST
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