ग्वालियर : यूपी में जनसंख्या नियंत्रण कानून के चर्चों के बीच मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के फैसले के मुताबिक 2 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होंगे. इस संबंध में मध्य प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के विरुद्ध एक अभ्यर्थी लक्ष्मण सिंह बघेल ने अपील की थी.
ग्वालियर खण्डपीठ में अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शील नागू और आनंद पाठक की युगलपीठ ने कहा अभ्यर्थी भले ही आवेदन के समय दो बच्चों के पिता थे, लेकिन नियुक्ति से पहले तीसरे बच्चे के पिता बन गए. इसलिए अभ्यर्थी को मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम-1961 के तहत नौकरी के लिए अपात्र माना जाएगा.
3 बच्चे वाले सभी माता-पिता पर होगा लागू आदेश
मध्य प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के अधिवक्ता अरुण कटारे ने बताया कि उच्च न्यायालय की युगल पीठ में लक्ष्मण सिंह बघेल की याचिका खारिज हो जाने के बाद अब मध्य प्रदेश में नौकरी कर रहे ऐसे सभी महिला-पुरुषों के अपात्र माना जाएगा. जिनके तीसरे बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ है.
अभ्यर्थी ने HC में लगाई थी याचिका
व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के 112 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह बघेल ने भी इन पदों के लिए आवेदन किया था. आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2009 थी. उस समय याचिकाकर्ता के 2 ही बच्चे थे. तीसरे बच्चे का जन्म 20 नवंबर 2009 को हुआ. लक्ष्मण सिंह की अपील थी कि आवेदन के समय याचिकाकर्ता के केवल दो ही बच्चे थे, इसलिए उसे सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के पद के लिए अपात्र नहीं माना जा सकता.
सिंगल बैंच से पहले ही खारिज हो चुकी थी याचिका
उच्च न्यायालय ने उनके तर्क को खारिज करते हुए एकल पीठ के आदेश को सही माना और अपील को खारिज कर दिया. बता दें कि इससे पहले उच्च न्यायालय की एकलपीठ भी लक्ष्मण सिंह की अपील को खारिज कर चुकी थी.
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