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छत्तीसगढ़ के पूरब में 75 साल से अंधेरा, कभी भी हो सकती है बड़ी अनहोनी !

No Electricity in Village पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. देश के हर कोने में विकास की इबारत लिखी जा रही है.लेकिन छत्तीसगढ़ का एक कोना ऐसा भी है. जहां अमृत महोत्सव की रोशनी नहीं पहुंची.आज भी ये जगह 75 बरस पुराने ढर्रे पर चल रहा है.यहां के बाशिंदों ने भी अब सरकार और प्रशासन से मदद की उम्मीद छोड़ दी है. Pahad Para of Lurgi village

Pahad Para of Lurgi village
छत्तीसगढ़ के पूरब में 75 साल से अंधेरा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 6, 2024, 4:53 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 8:05 PM IST

छत्तीसगढ़ के पूरब में 75 साल से अंधेरा

बलरामपुर : किसी भी क्षेत्र के विकास की पहचान उसकी बुनियादी जरुरतों को देखकर हो जाती है.क्योंकि सड़क,पानी,बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य ये वो चीजें हैं जिनके बूते किसी भी क्षेत्र का भविष्य तय होता है.लेकिन बलरामपुर जिले में एक जगह ऐसी है जहां इन बुनियादी चीजों को अपने गांव में शायद ही किसी ने देखा हो.क्योंकि आजादी के 75 साल बाद भी इस गांव में लोग पुरातन जीवन जी रहे हैं.

गांव से बुनियादी सुविधाएं कोसों दूर : रामचंद्रपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा का हाल कुछ ऐसा है कि यहां रहने वाले लोगों के लिए संघर्ष ही जीवन है.पीने का पानी हो, चलने के लिए सड़क हो, रात के अंधेरे में बिजली की जरुरत हो या फिर बच्चों के लिए स्कूल इन सभी चीजों के लिए यहां पैदा होने वाले बच्चों को संघर्ष करना सीखा दिया जाता है.फिर ये संघर्ष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रांसफर हो जाती है.

पढ़ाई के लिए तीन किलोमीटर दूर बच्चे पैदल करते हैं सफर : ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा में बुनियादी सुविधाओं के हाल का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है.करीब पचास परिवारों वाले इस ग्राम पंचायत की सुध लेने कोई नहीं आया. अच्छी सड़क और स्वास्थ्य सुविधा तो आप भूल ही जाइए.यहां बच्चों के लिए एक अदद आंगनबाड़ी की स्थापना भी सरकार नहीं कर सकी है.बच्चों को पढ़ने के लिए उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए तीन किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है.तब कहीं जाकर किताबों में लिखे अक्षरों का बोध नौनिहालों को होता है.

खंबा है पर बिजली नहीं : ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा में बिजली भी नहीं आई है. प्रशासन के अफसरों ने सिर्फ खंबे लगाकर अपना काम पूरा कर लिया है. लेकिन खंबों में तार डालकर बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी शायद भूल चुके हैं. इसलिए आज भी रात के अंधेरे में जंगली जानवर और सांप बिच्छुओं के साथ यहां के लोग रात गुजारने को मजबूर हैं.इस शर्मनाक नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे जिस छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली पैदा होती है.जहां से दूसरे राज्यों को बिजली दी जाती है.वहां के एक गांव में एक बल्ब को रोशन करने के लिए बिजली का तार तक नहीं पहुंच सका है.

''बिजली विभाग ने दो साल पहले बिजली का खंबा लगा दिया.लेकिन अब तक बिजली नहीं पहुंची है. गांव में सड़क नहीं हैं कच्चे रास्ते से ही आवाजाही करते हैं. आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र दूर होने के कारण बच्चे वहां नहीं जा पाते हैं.''

जिम्मेदारों ने समाधान निकालने की कही बात : वहीं इस बारे में जब जिम्मेदारों से सवाल किया गया तो उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही.कलेक्टर के मुताबिक इस बारे में वो बिजली विभाग के अफसरों से बात करके समाधान की कोशिश किया जाएगा.

''इस संबंध में बिजली विभाग के कार्य-योजना ईई से इस संबंध में जानकारी लेंगे.कार्य योजना दूसरे ईई के पास रहती है. हमारे पास डिस्ट्रिब्यूशन के ईई नियमित रूप से मीटिंग में आते हैं. जानकारी लेकर जो भी कारण होगा समाधान कराया जाएगा.'' रिमिजियुस एक्का,कलेक्टर

आपको बता दें कि जिस क्षेत्र की हम बात कर रहे हैं.वहां बुनियादी सुविधाओं के अलावा एक और चीज लोगों के बीच दहशत का कारण है.इस क्षेत्र में लगातार हाथियों की आवाजाही रहती है.हाथी लूर्गी गांव में भी आते हैं. ऐसे में रात के अंधेरे में किसी दिन कोई बड़ा दल यदि गांव में घुसा तो बड़ी अनहोनी रोकने से कोई नहीं रोक सकता.बावजूद इसके प्रशासन अब तक बिजली समेत दूसरी बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है.अब मामला प्रशासनिक अफसरों के पास पहुंच चुका है.जिसके बाद देखना होगा कि 75 साल पुराना मिथक इस बार टूटता है या फिर लूर्गी गांव के पहाड़ पारा के बाशिंदों को बिजली समेत दूसरी सुविधाओं के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

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छत्तीसगढ़ के पूरब में 75 साल से अंधेरा

बलरामपुर : किसी भी क्षेत्र के विकास की पहचान उसकी बुनियादी जरुरतों को देखकर हो जाती है.क्योंकि सड़क,पानी,बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य ये वो चीजें हैं जिनके बूते किसी भी क्षेत्र का भविष्य तय होता है.लेकिन बलरामपुर जिले में एक जगह ऐसी है जहां इन बुनियादी चीजों को अपने गांव में शायद ही किसी ने देखा हो.क्योंकि आजादी के 75 साल बाद भी इस गांव में लोग पुरातन जीवन जी रहे हैं.

गांव से बुनियादी सुविधाएं कोसों दूर : रामचंद्रपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा का हाल कुछ ऐसा है कि यहां रहने वाले लोगों के लिए संघर्ष ही जीवन है.पीने का पानी हो, चलने के लिए सड़क हो, रात के अंधेरे में बिजली की जरुरत हो या फिर बच्चों के लिए स्कूल इन सभी चीजों के लिए यहां पैदा होने वाले बच्चों को संघर्ष करना सीखा दिया जाता है.फिर ये संघर्ष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रांसफर हो जाती है.

पढ़ाई के लिए तीन किलोमीटर दूर बच्चे पैदल करते हैं सफर : ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा में बुनियादी सुविधाओं के हाल का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है.करीब पचास परिवारों वाले इस ग्राम पंचायत की सुध लेने कोई नहीं आया. अच्छी सड़क और स्वास्थ्य सुविधा तो आप भूल ही जाइए.यहां बच्चों के लिए एक अदद आंगनबाड़ी की स्थापना भी सरकार नहीं कर सकी है.बच्चों को पढ़ने के लिए उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए तीन किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है.तब कहीं जाकर किताबों में लिखे अक्षरों का बोध नौनिहालों को होता है.

खंबा है पर बिजली नहीं : ग्राम पंचायत लूर्गी के पूरब टोला पहाड़ पारा में बिजली भी नहीं आई है. प्रशासन के अफसरों ने सिर्फ खंबे लगाकर अपना काम पूरा कर लिया है. लेकिन खंबों में तार डालकर बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी शायद भूल चुके हैं. इसलिए आज भी रात के अंधेरे में जंगली जानवर और सांप बिच्छुओं के साथ यहां के लोग रात गुजारने को मजबूर हैं.इस शर्मनाक नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे जिस छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली पैदा होती है.जहां से दूसरे राज्यों को बिजली दी जाती है.वहां के एक गांव में एक बल्ब को रोशन करने के लिए बिजली का तार तक नहीं पहुंच सका है.

''बिजली विभाग ने दो साल पहले बिजली का खंबा लगा दिया.लेकिन अब तक बिजली नहीं पहुंची है. गांव में सड़क नहीं हैं कच्चे रास्ते से ही आवाजाही करते हैं. आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र दूर होने के कारण बच्चे वहां नहीं जा पाते हैं.''

जिम्मेदारों ने समाधान निकालने की कही बात : वहीं इस बारे में जब जिम्मेदारों से सवाल किया गया तो उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही.कलेक्टर के मुताबिक इस बारे में वो बिजली विभाग के अफसरों से बात करके समाधान की कोशिश किया जाएगा.

''इस संबंध में बिजली विभाग के कार्य-योजना ईई से इस संबंध में जानकारी लेंगे.कार्य योजना दूसरे ईई के पास रहती है. हमारे पास डिस्ट्रिब्यूशन के ईई नियमित रूप से मीटिंग में आते हैं. जानकारी लेकर जो भी कारण होगा समाधान कराया जाएगा.'' रिमिजियुस एक्का,कलेक्टर

आपको बता दें कि जिस क्षेत्र की हम बात कर रहे हैं.वहां बुनियादी सुविधाओं के अलावा एक और चीज लोगों के बीच दहशत का कारण है.इस क्षेत्र में लगातार हाथियों की आवाजाही रहती है.हाथी लूर्गी गांव में भी आते हैं. ऐसे में रात के अंधेरे में किसी दिन कोई बड़ा दल यदि गांव में घुसा तो बड़ी अनहोनी रोकने से कोई नहीं रोक सकता.बावजूद इसके प्रशासन अब तक बिजली समेत दूसरी बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है.अब मामला प्रशासनिक अफसरों के पास पहुंच चुका है.जिसके बाद देखना होगा कि 75 साल पुराना मिथक इस बार टूटता है या फिर लूर्गी गांव के पहाड़ पारा के बाशिंदों को बिजली समेत दूसरी सुविधाओं के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

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Last Updated : Jan 6, 2024, 8:05 PM IST
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